इराक में जनता का बड़ा आक्रोश – प्रदर्शनकारियों ने किया संसद पर कब्ज़ा

बगदाद – इराक की राजनीति में ईरान की बढ़ती हुई दखलअंदाज़ी की वजह से इराक की जनता के असंतोष का विस्फोट हुआ। गुस्साए हुए प्रदर्शनकारियों ने इराक की संसद पर कब्ज़ा किया और इराकी नेताओं के घरों पर भी हमले किए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ईरान के खिलाफ नारेबाज़ी की। साथ ही तुर्की के दूतावास पर भी हमले हुए। इससे इराक में श्रीलंका जैसी स्थिति निर्माण होने की कड़ी संभावना जतायी जा रही है।

संसद पर कब्ज़ापिछले साल अक्तुबर में इराक के आम चुनावों में मुक्तदा अल-सद्र नामक धार्मिक नेता का दल सबसे ज्यादा ७३ सीटों पर विजयी हुआ। सद्र के दल ने स्थानीय गुटों की सहायता से सरकार गठित करने का दावा किया था। लेकिन, ईरान समर्थक राजनीतिक गुटों ने सद्र का दावा ठुकराने से पिछले दस महीनों से इराक में राजनीतिक अस्थिरता कायम है।

सद्र के समर्थन में मुस्तफा अल-कधीमी को प्रधानमंत्री बनाया गया था। लेकिन, इराक में मौजूद ईरान समर्थक गुटों का बड़ा प्रभाव होने की वजह से कधीमी के नेतृत्व को परेशान किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कधीमी अमरीका के हस्तक होने का आरोप ईरान समर्थक गुटों ने लगाया था। इसी दौरान इन ईरान समर्थक राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री पद के लिए मोहम्मद अल-सुदानी के नाम का ऐलान किया।

संसद पर कब्ज़ाईरान ने ही सुदानी के नाम की सिफारिश की, यह आरोप लगाकर सद्र के समर्थकों ने बुधवार को हज़ारों की संख्या में इराक के अति-संरक्षित ग्रीन ज़ोन में घुसपैठ की। तथा इराकी संसद में प्रवेश करने की कोशिश की। शुरू में सुरक्षा सैनिक इन प्रदर्शनकारियों को रोकने में सफल हुए। लेकिन, हज़ारों की संख्या में पहुँचे प्रदर्शनकारियों के सामने इराकी सैनिकों को टिकना मुमकिन नहीं हो सका। प्रदर्शनकारियों ने संसद पर कब्ज़ा किया तथा ईरान समर्थक नेताओं के घरों पर भी हमले किए, ऐसी खबरें प्राप्त हो रही हैं।

कुछ प्रदर्शनकारियों ने संसद के प्रांगण से ईरान के खिलाफ जोरदार नारे लगाए, ईरान का धिक्कार किया। इसी बीच इराक के उत्तरी ओर ड़ेरा जमा रहे और कुर्दिस्तान पर हमले करनेवाले तुर्की के दूतावास के बाहर भी इराकी जनता ने प्रदर्शन किए। बुधवार रात प्रधानमंत्री कधीमी और मुक्तदा अल-सद्र ने प्रदर्शनकारियों को संसद छोड़ने की सूचना की। इसके बाद ग्रीन ज़ोन में प्रदर्शनों की तीव्रता कम होने का दावा किया जा रहा है। लेकिन, बुधवार के प्रदर्शन ईरान के लिए चेतावनी हैं, ऐसा खाड़ी के विश्लेषकों का कहना है। इसी बीच इराक ईंधन से समृद्ध अरब देश होने के बावजूद वहां पर राजनीतिक स्थिरता स्थापित नहीं हो पाई है। ईरान से जुड़े राजनीतिक दलों का सत्ता पर प्रभाव इराक की जनता को बिल्कुल ही मंजूर नहीं है। मुक्तदा अल-सद्र ने ईरान और अमरीका का इराक में राजनीतिक दखलअंदाज़ी बर्दाश्त ना करने का इशारा दिया था। पिछले साल हुए चुनावों में इराक की जनता ने सद्र को सबसे ज्यादा सीटों से जीताया था। लेकिन, ईरान से जुड़े राजनीतिक दलों ने सद्र सरकार स्थापित नहीं कर सके, ऐसा प्रावधान कर रखा है। इस वजह से इराक की जनता में ईरान के खिलाफ बना असंतोष चरम स्तर पर पहुँचा है और संसद पर हुआ हमला इसी असंतोष की गंभीरता दिखाता है।

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