‘एमएसएमई’ को प्रोत्साहित करने पर निर्यात में १९३ अरब ड़ॉलर्स की बढ़ोतरी संभव – ‘एसबीआय इकोरॅप’ की रिपोर्ट का दावा

नई दिल्ली,  (वृत्तसंस्था) – कोरोना वायरस की वजह से जागतिक स्तर पर चीन के विरोध में माहौल बना है और ऐसे दौर में भारत सरकार ने लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र को निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्‍यक है। भारत ने यदि क्षमता विकसित की और बाज़ार में चीन की निर्यात का हिस्सा काबिज़ किया, तो देश की निर्यात में बढ़ोतरी हो सकेगी। कम से कम उम्मीद के अनुसार, भारत की निर्यात २० अरब ड़ॉलर्स से १९३ अरब ड़ॉलर्स तक बढ़ने की संभावना हैं, ऐसी रिपोर्ट ‘एसबीआय इकोरॅप’ ने पेश की है। इस पृष्ठभूमि पर, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र (एमएसएमई) समेत सभी क्षेत्रों के लिए जल्द ही पैकेज का ऐलान सरकार करेगी, ऐसा बयान केंद्र सरकार के वरिष्ठ अफ़सर ने किया है।

कोरोना वायरस की महामारी के लिए ज़िम्मेदार चीन पर दुनियाभर के सभी देश नाराज़ हैं। भारत को इस स्थिति का लाभ उठाना होगा। यह अवसर हाथ से ज़ाया ना होने दें, यह बात भी विश्‍लेषक कह रहें हैं। भारत सरकार भी, चीन से बाहर निकल रहें कारखानों, उद्योगों और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कोशिश कर रही है। चीन से बाहर निकलने की तैयारी में होनेवालीं करीबन हज़ार बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ सरकार के साथ बातचीत कर रहीं हैं, ऐसीं खबरें भी प्राप्त हुई हैं। लेकिन, इसके साथ ही ‘एमएसएमई’ क्षेत्र को भी प्रोत्साहित करने की ज़रूरत होने की बात विशेषज्ञ कह रहें हैं।

देश के विकास दर में ‘एमएसएमई’ क्षेत्र का योगदान २९ प्रतिशत है। साथ ही, देश की कुल निर्यात में से ४८ प्रतिशत निर्यात इसी क्षेत्र से हो रही है। साथ ही, सबसे अधिक नौकरियाँ और रोज़गार के अवसर इसी क्षेत्र में निर्माण होते हैं। लेकिन, फिलहाल इस क्षेत्र की स्थिति काफ़ी खराब हुई है। इस वज़ह से अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए इस क्षेत्र की ओर खास ध्यान देनें की माँग हो रही है। ऐसी पृष्ठभूमि पर ‘एसबीआयइकोरॅप’ की रिपोर्ट प्रकाशित हुई है।

इस रिपोर्ट में, एमएसएमई क्षेत्र को सरकार ने प्रोत्साहित करने की ज़रूरत होने की बात कही गई है। चीन की तुलना में विचार करें, तो ग्राहकों के लिए उपयोगी वस्तु का निर्माण कर रहीं एमएसएमई कंपनियों में, वस्त्र उत्पादन में भारत की स्थिति काफी अच्छी है। लेकिन ग्राहकों के लिए उपयोगी वस्तु तैयार करने के लिए ज़रूरी यंत्र सामान, उपकरणों की निर्यात करने में चीन फिलहाल भारत से आगे है। लेकिन, भारत वर्तमान की स्थिति का लाभ उठाकर इन उत्पादनों की निर्यात बढ़ाने के लिए कोशिश कर सकता है। साथ ही, अनाज उत्पादन और प्रक्रिया क्षेत्र में भी चीन की तुलना में भारत काफी पीछे हैं। यदि इस क्षेत्र को सरकार ने विशेष प्रोत्साहित किया, तो इस क्षेत्र की कंपनियाँ चीन से भी स्पर्धा कर सकेगी, यह बात ‘एसबीआय इकोरॅप’ ने अपनी रिपोर्ट में दर्ज़ की है।

इस क्षेत्र की क्षमता विकसित करने के लिए सरकार विशेष ध्यान दें, यह सुझाव इस रिपोर्ट में रख़ा गया है। ऐसें प्रावधानों का लाभ तुरंत २०२० में प्राप्त नही होगा। लेकिन, लंबे समय में प्राप्त होनेवालें लाभ पर नज़र रखनी होगी। चीन के हाथ से छूट रहें बाज़ार में भारत को अपना स्थान निर्माण करना होगा। यदि स्थिति बिल्कुल अनुकूल ना हों, फिर भी भारत अपनी निर्यात २० अरब ड़ॅलर्स से १९३ अरब ड़ॉलर्स तक बढ़ा सकता है, यह निष्कर्ष भी इस रिपोर्ट में दर्ज़ है।

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