भारत की सहायता से बेचैन हुए चीन ने श्रीलंका से किया आर्थिक सहायता देने का वादा

कोलंबो – चीन के कर्ज़े के फंदे में फंसने के कारण आर्थिक स्तर पर कमज़ोर हुए श्रीलंका को हर तरह की सहायता करने की तैयारी भारत ने की है। भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने अपने श्रीलंका दौरे में यह बात बहुत ड़टकर कही थी। भारत हमारे देश को काफी सहायता प्रदान कर रहा है, यह कहकर श्रीलंका के विदेश मंत्री ने भारत के प्रति कृतज्ञता भी व्यक्त की है। इसकी वजह से भारत और श्रीलंका का सहयोग मज़बूत होगा इस चिंता ने चीन को परेशान किया है। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश के ज़रिये श्रीलंका को सहायता प्रदान करने के लिए हम पहल करेंगे, ऐसा ऐलान चीन ने किया है। साथ ही इससे पहले चीन के कर्ज की फिर से रचना करने की तैयारी भी चीन ने दर्शाई है।

चीन के एक्ज़िम बैंक ने श्रीलंका को खत लिखा है और इसमें श्रीलंका ने हमसे प्राप्त किए कर्ज की रचना फिर से करने की तैयारी इस बैंक ने दिखाई है। इससे पहले श्रीलंका ने कई बार चीन से यह मांग की थी लेकिन, तब चीन ने इससे इन्कार किया था। पूर्व में चीन ने भारी व्याजदर से श्रीलंका को काफी कर्ज दिया था। बुनियादी सुविधाओं के विकास प्रकल्पों के लिए दिया गया यह कर्ज अव्यवहार्य और श्रीलंका के लिए घातक साबित होगा, ऐसी चेतावनियां आर्थिक विशेषज्ञों ने दी थीं। लेकिन, तब की श्रीलंका सरकार ने इसे अनदेखा किया था।

इसके बाद इसी कर्ज के भार में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था डूब गई और श्रीलंका में अराजकता फैली थी। यह देश चीन से प्राप्त कर्जे के फंदे में पूरी तरह से फंसने के बाद टूटने की कगार पर था। चीन से कर्ज पाकर श्रीलंका को निचले स्तर पर धकेलने वाले नेता राजपक्षे बाद में देश छोड़कर भाग जाने के लिए मज़बूर हुए थे। ऐसी स्थिति में श्रीलंका की नई सरकार इस देश को संभालने की कोशिश कर रही है और भारत इसकी हर तरह से सहायता कर रहा है। श्रीलंकन अर्थव्यवस्था सामान्य होने की संभावना दिखने पर चीन बेचैन हुआ है। खास तौर पर भारत से श्रीलंका को मिल रही सहायता के अच्छे प्रभाव दिखाई दे रहे हैं और श्रीलंकन नेता और जनता इसके लिए भारत के प्रति कृतज्ञता जता रही है। इसकी वजह से चीन ने श्रीलंका को दिए हुए कर्ज की रचना फिर से करने की तैयारी दर्शाई है और मुद्राकोश के कर्ज की लालच भी श्रीलंका को दिखाई गई है।

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