मतभेद होने के बावजूद ‘लॉन्ग गेम’ को सामने रखकर राष्ट्राध्यक्ष बायडेन प्रधानमंत्री मोदी का अमरीका में स्वागत करेंगे – नामांकित अमरिकी विश्लेषकों का अनुमान

वॉशिंग्टन – हाल ही में जापान में आयोजित की गई ‘जी ७’ की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी और अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो ब ायडेन की चर्चा को दुनियाभर में बड़ी प्रसिद्ध मिली थी। प्रधानमंत्री मोदी अमरीका में हमसे भी अधिक लोकप्रिय होने का बयान राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने इस दौरान किया था। अगले महीने में प्रधानमंत्री अमरीका का दौरा कर रहे हैं। उस समय उनसे मिलने के लिए हमसे कई लोगों ने पासेस की मांग करने का दावा भी अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने किया था। लेकिन, दोनों देशों के बीच मतभेद होने के बावजूद बायडेन प्रधानमंत्री मोदी का अमरीका में स्वागत करेंगे, यह बात बड़ी अहमियत रखती हैं। ‘लॉन्ग गेम’ यानी व्यापक हितों पर गौर करके राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने यह निर्णय करने का दावा इस देश के नामांकित विश्लेषकों ने किया है। 

अमरीका में स्वागतयूक्रेन युद्ध में भारत ने अमरीका के उम्मीद के अनुसार भूमिका अपनाकर रशिया ने यूक्रेन पर किए हमले का विरोध नहीं किया है। इस वजह से अमरीका के सियासी दायरे में काफी नाराज़गी हैं। लेकिन, बायडेन प्रशासन ने भारत के आर्थिक सहयोग को अधिक अहमियत देने का निर्णय किया है। इस वजह से प्रधानमंत्री मोदी का अमरीका में स्वागत करने के लिए बायडेन उत्सुक हैं। क्यों कि, चीन के खतरे के मद्देनज़र भारत के सहयोग की रणनीतिक अहमियत बायडेन प्रशासन को समझी हैं, यह दावा रिक रुसो ने किया है। अमरिकी ‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक ॲण्ड इंटरनैशनल स्टडीज्‌‍’ के ‘इंडिया यूएस पॉलिसी स्टडीज्‌‍’ विभाग के प्रमुख सलाहकार के तौर पर रिक रुसो की पहचान है।

भारत की आर्थिख और रणनीतिक अहमियत पर गौर करके ही बायडेन प्रशासन ने मतभेद भूलकर सहयोग बढ़ाने के लिए पहल की हैं। राष्ट्राध्यक्ष बायडेन के पहले के प्रशासनों ने भी भारत को लेकर यही विचार करके इस देश के साथ सहयोग बढ़ाया था, ऐसा दावा रुसो ने किया। साथ ही भारत और अमरीका के सहयोग के सामने की अन्य चुनौतियों की जानकारी रुसो ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में साझा की। जिसमें भारतीय नागरिकों को अमरीका का वीजा देने में हो रही देरी का मुद्दा सबसे आगे रहेगा। भारतीय नागरिकों को अमरीका का वीजा पाने में काफी देर होती हैं और दोनों देशों की जनता के संवाद पर इसका खराब असर हो रहा हैं, ऐसा रिक रुसो ने कहा।

इसके साथ ही भारत और अमरीका के व्यापार में बनी बाधाओं पर रुसो ने ध्यान आकर्षित किया। काफी समय से रक्षात्मक आर्थिक नीति अपनाते रहे भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था खुली करने का निर्णय किया। फिर भी भारत और अमरीका के व्यापार में उम्मीद के अनुसार प्रगति नहीं हुई है। इसकी वजह से दोनों देशों के बीच बने बड़े व्यापारी विवाद ही हैं। अमरीका के स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों पर भारत में काफी बड़ा कर वसुला जाता है। वहीं, अमरीका ने भारत की व्यापारी सहुलियत रोक दी है। ऐसे विवादों के कारण दोनों देशों का व्यापार आगे नहीं बढ़ सका, यह दावा भी रुसो ने किया।

इसके बावजूद अमरीका भारत का सबसे बड़ा व्यापारी भागीदार देश हैं। भारत और अमरीका के बीच शुरू वस्तू और सेवा क्षेत्र के व्यापार का झुकाव भारत की ओर हैं। भारत के ‘आईटी’ क्षेत्र के लिए अमरीका एक अहम देश हैं। साथ ही रक्षा क्षेत्र की संवेदनशील और अतिप्रगत प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर अमरीका भारत से काफी बड़ा सहयोग कर सकती हैं। इस वजह से भारत की आर्थिक सुरक्षा में अमरीका की भूमिका काफी अहम होने का दावा रुसो ने किया। साथ ही अमरीका को भी भारत की ज़रूरत हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता ऐसा कहकर रुसो ने भारत और अमरीका का सहयोग एकतरफा होने की चेतावनी दी हैं। 

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