चीन से भारत को सकारात्मक संदेश; दवाईयों पर आयात कर पीछे ले लिया

नई दिल्ली – अमरिका और चीन में व्यापार युद्ध का भड़का टालने के लिए समझौते शुरू है और चीन ने भारत के दवाई निर्माण क्षेत्र का उत्साह बढ़ाने का निर्णय लिया है। १ मई से चीन ने २८ दवाइयों पर आयात कर निकाल लिया है। इसका लाभ भारतीय कंपनियों को होगा एवं चीन के साथ व्यापार में भारत को सहन करने लग रहा नुकसान का प्रमाण कम होगा ऐसा विश्वास चीन के भारत में स्थित राजदूत लू झाओहुई ने व्यक्त किया है। उस समय भारत के प्रधानमंत्री एवं चीन के राष्ट्राध्यक्ष में इस वर्ष में तीन बार भेंट होने की जानकारी चीन के राजदूत ने दी है।

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भारत और चीन का विपक्ष या व्यापार ८३ अरब डॉलर्स के आगे गया है। पर अब इस व्यापार में भारत को ६० अरब डॉलर्स का नुकसान सहन करना पड़ रहा है। भारत में चीन को लगातार यह मुद्दा उपस्थित किया था। भारत की आयटी और दवाई निर्माण क्षेत्र के कंपनियों ने चीन में अवसर मिले ऐसी मांग भारत से लगातार की जाती थी। पर चीन ने इस पर नजर अंदाज किया था। इसकी वजह से चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ रहा था। भारत के व्यापारी नुकसान के प्रमाण उसके साथ बढ़ते जा रहे थे। पर पिछले कई महीनों से भारत में चीन के आयात किए जाने वाले कई उत्पादनो पर कर बढ़ाकर अपना असंतोष व्यक्त किया था। इसपर चीन ने नाराजगी व्यक्त की थी और भारत के मांगो का विचार करने की तैयारी चीन ने नहीं दिखाई थी।

फिलहाल चीन को भारत के मांग की तरफ नजरअंदाज करना संभव नहीं है, क्योंकि अमरिका ने चीन के साथ व्यापार युद्ध छेड़ने की तैयारी की है। अबतक चीन ने अमरिका के साथ व्यापार में बहुत बड़ा लाभ प्राप्त किया और आगे चलकर वैसा नहीं होने दिया जाएगा, ऐसा अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने सूचित किया था। इसपर दोनों देशों में व्यापारी युद्ध भड़कने की स्थिति होते हुए इस बारे में समझौते के लिए अमरिका के वित्त मंत्री, उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ चीन में दाखिल हुए हैं। द्विपक्षीय व्यापार को लेकर अमरिका और चीन में रस्सीखेच शुरू होते हुए भारत से पहले से ही होने वाली मांग मंजूर की है। भारतीय कंपनियों से निर्माण किए जाने वाले लगभग २८ दवाइयों पर आयात कर पीछे लेने का निर्णय घोषित किया है। यह औषधि प्रमुख तौर पर कैंसर के उपचार के उपयोग में लाये जाते है।

चीन के भारत में राजपूत लू झाओहुई ने घोषणा करके इसकी वजह से द्विपक्षीय व्यापार में भारत को सहन करनेवाला नुकसान कम होगा ऐसा दावा किया है। इसकी वजह से चीन भारत को सकारात्मक संदेश देने का प्रयत्न करने की बात दिखाई दे रही है। चीन के वुहान में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग इनके भेंट के बाद दोनों देशों के संबंध में ऊंचाई पर जाने की बात चीन के राजदूत ने कही है। इस पृष्ठभूमि पर चीन से ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं, ऐसे संकेत राजदूत लू झाओहुई ने दिए हैं।

दौरान अमरीका के साथ व्यापार युद्ध की आशंका से अस्वस्थ हुए चीन अपनी तीव्र राजनैतिक मतभेद बाजू में रखते हुए जापान के साथ व्यापारी चर्चा शुरू की इस चर्चा में चीन ने जापान के लिए व्यापारी सहूलियत भी घोषित की थी। भारत के बारे में चीन ने यही धारणा स्वीकारी है और फिलहाल आर्थिक संबंधों पर परिणाम करनेवाले कठोर राजनीतिक एवं सामाजिक भूमिका स्वीकारने की बात चीन से टाली जा रही है।

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