सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता भारत का अधिकार – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

न्यूयॉर्क – जर्मनी, जापान और भारत को संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने समर्थन दिया। बायडेन प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम सार्वजनिक ना करने की शर्त पर यह जानकारी साझा की। लेकिन, इसके लिए काफी कुछ करना पडेगा, यह इशारा भी इस अधिकारी ने दिया। इसी बीच, भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता ना मिलना, भारत के लिए ही बुरी बात नहीं है बल्कि, इससे काफी बदलाव ना करनेवाले संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के लिए ही यह बात अफसोस जनक होगी। इस पर भारत को अधिकार है, ऐसा भारतीय विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने कहा।

सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यताजर्मनी, जापान और भारत की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए अमरीका का काफी पहले से समर्थन रहा है। लेकिन, इसके लिए काफी कुछ करना पडेगा, ऐसा अमरिकी अधिकारी ने कहा है। अमरीका ने पहले भी भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपना समर्थन दर्शाया था। इस वजह से अमरिकी अधिकारी के दावे में कुछ भी नया नहीं है। लेकिन, इसके लिए उसे ‘काफी कुछ करना पडेगा’, ऐसा कहकर भारत को अपनी शर्तों का अहसास कराया हुआ दिख रहा है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों में बदलाव करने के लिए सभी देशों के सहयोग की उम्मीद है। खास तौर पर सुरा ७ परिषद के देशों ने बदलाव के लिए पहल किए बिना यह बात मुमकिन नहीं है, लेकिन यह देश इसके लिए उत्सुक नहीं दिखते, इस वजह से सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यों का विस्तार करने में रोड़ा लगा है।

पिछले ८० सालों से संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में बदलाव नहीं हुए हैं। यह बदलाव वास्तव में काफी पहले होने चाहिए थे। पर अब भी इस पर काम शुरू नहीं हुआ है, यह कहकर भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्रसंघ और सुरक्षा परिषद का कारोबार पुराने तरीके से ही चल रहा है, ऐसी आलोचना की। भारत जल्द ही विश्व में तीसरे क्रमांक की अर्थव्यवस्था बनेगा तथा भारत सबसे अधिक जनसंख्या का देश बनेगा और इस देश का सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पर अधिकार ही है, यह बात जयशंकर ने ड़टकर कही।

भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है, यह बात भारत के लिए जितनी खराब हैं, उतनी ही संयुक्त राष्ट्रसंघ की विश्वस्नीयता पर भी इससे सवाल उठ रहे हैं। इस पर भारतीय विदेशमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। भारत को स्थायी सदस्यता मिले, इसके लिए हम काम कर रहे हैं, ऐसा हम जब कहते हैं इसके पीछे बड़ी गंभीरता होती है, यह दावा भी विदेशमंत्री ने इस दौरान किया। इसी बीच पिछले कुछ सालों से भारत स्थायी सदस्यता के लिए अपनी दावेदारी अधिक आक्रामकता से करने लगा है। अमरीका, रशिया, यूके-युनाइटेड किंगडम, फ्रान्स जैसे स्थायी सदस्यों ने भारत की दावेदारी के लिए अपना समर्थन पहले ही घोषित किया था। लेकिन, चीन अब भी भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध कर रहा है।

भारत के साथ-साथ जर्मनी, जापान, ब्राज़िल भी सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के विस्तार की माँग कर रहे हैं। सिर्फ पांच देश विश्व को चला नहीं सकते। बदलती हुई स्थिति के अनुसार स्थायी सदस्यों का विस्तार होना ही चाहिये, ऐसी इन देशों की माँग है। लेकिन, पिछले कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का स्थान काफी उंचा उठा है और इसकी वजह से भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी उसी मात्रा में मज़बूत होती जा रही है। भारत के विदेशमंत्री अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार इसका अहसास करा रहे हैं।

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