तालिबान के साथ सहयोग जारी रखने पर पाकिस्तान को बड़ी किमत चुकानी पड़ेगी – अफ़गानिस्तान के उप-राष्ट्राध्यक्ष का इशारा

taliban-cooperation-pak-afghan-1काबुल – ‘पाकिस्तान ने आगे भी तालिबान को सहायता देना जारी रखा तो उसकी बड़ी किमत पाकिस्तान को चुकानी पड़ेगी’, ऐसी कड़ी चेतावनी अफ़गानिस्तान के उप-राष्ट्राध्यक्ष अमरुल्ला सालेह ने दी हैं। तालिबान से  सहयोग कर रहें पाकिस्तान से संबंधित हमारा धीरज अब खत्म होने के संकेत इसके ज़रिये अफ़गानिस्तान से दिए जा रहे हैं। खास बात यह है कि, अमरीका की यात्रा करके लौटने के बाद उप-राष्ट्राध्यक्ष अमरुल्ला ने पाकिस्तान को यह इशारा दिया। कुछ घंटे पहले ही अफ़गानिस्तान की ड्युरांड़ सीमा पर हो रहीं तालिबान और पाकिस्तानी सेना की तस्करी पर हवाई हमलें करने का ऐलान किया गया हैं।

‘बिल्कुल गठित होने के साथ ही तालिबान को आश्रय देनेवाला पाकिस्तान इस संगठन के साथ शांतिवार्ता करने के लिए अहम भूमिका निभा सकता हैं। इस वजह से अफ़गानिस्तान में शांति स्थापित हुई तो पाकिस्तान अफ़गानिस्तान का विश्‍वासू देश बनेगा। अन्य सभी देशों को अफ़गानिस्तान की लोकनियुक्त सरकार के साथ अच्छे ताल्लुकात रखने हैं। लेकिन, इन देशों में पाकिस्तान का समावेश नही हैं’, ऐसी आलोचना अफ़गानिस्तान के उप-राष्ट्राध्यक्ष ने स्थानीय अखबार से की बातचीत के दौरान की।

taliban-cooperation-pak-afghan-2अफ़गानिस्तान में सेना और तालिबान का संघर्ष तीव्र हुआ हैं। तालिबान ने बीते दो महीनों में अफ़गानिस्तान के कम से कम ६४ जिलों पर कब्ज़ा किया होने का दावा अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने किया। तालिबान की इस लष्करी आक्रामक बढ़त के लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार होने का आरोप तीव्र हो रहा हैं और इससे संबंधित सबुत भी सामने आ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने हाल ही में जारी की हुई रपट में इससे संबंधित अहम जानकारी दर्ज़ की हैं।

‘जैश ए मोहम्मद’ और ‘लश्‍कर ए तोयबा’ जैसी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन तालिबान के साथ अफ़गान सेना के विरोध में संघर्ष करने में शामिल होने का बयान संयुक्त राष्ट्रसंघ की रपट में किया गया हैं। इस संघर्ष के लिए पाकिस्तान की सेना तालिबान को प्रशिक्षित कर रही हैं। साथ ही पाकिस्तान के सैनिक भी तालिबानी आतंकियों के साथ खड़े होकर इस जंग में लड़ने के सबुत सामने आए हैं। अफ़गान सेना ने तालिबान के विरोध में कार्रवाई करते समय हिरासत में लिए पाकिस्तानी सैनिक ने यह जानकारी सार्वजनिक की थी।

पाकिस्तान के नेता भी स्थानिय माध्यमों के सामने यह बात कबुल रहे है कि, हमारा देश तालिबान को सहायता प्रदान कर रहा हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के रावत, लोइ बेर, बारा कहूह और तारनोल इलाके में तालिबानी आतंकियों के परिवार बसे होने की बात पाकिस्तान के अंदरुनि सुरक्षा मंत्री शेख रशिद ने दो दिन पहले ही कबुली थी। अफ़गानिस्तान के संघर्ष में घायल हुए तालिबानी आतंकियों का इलाज़ भी यहां के स्थानिय अस्पतालों में ही किया जा रहा हैं, ऐसा शेख रशिद ने कहा था। साथ ही अफ़गान सेना से लुट किए हुए टैंक, बख्तरबंद गाड़ियाँ एवं हथियारों का अन्य ज़खीरा तालिबान सीमा के उस ओर स्थित पाकिस्तानी सेना के हाथों सौंप रहा हैं, ऐसीं खबरें भी प्राप्त हो रही हैं।

इस पृष्ठभूमि पर अफ़गानिस्तान के उप-राष्ट्राध्यक्ष अमरुल्ला सालेह ने पाकिस्तान को तालिबान के साथ जारी सहयोग की बड़ी किमत चुकानी पड़ी होने का इशारा दिया। कुछ दिन पहले अफ़गानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने अमरीका की यात्रा करके राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन से भेंट की थी। तब उप-राष्ट्राध्यक्ष अमरुल्ला सालेह भी मौजूद थे। इसके बाद स्वदेश पहुँचे उप-राष्ट्राध्याक्ष सालेह ने पाकिस्तान को दिया हुआ यह इशारा यानी अमरीका ने पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष पद्धती से दी हुई समझ होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस वजह से पाकिस्तान काफी ड़रा हुआ हैं और ऐसें में अब पाकिस्तान ने चीन, रशिया और ईरान की सहायता से अमरीका के दबाव का सामना करना होगा, ऐसीं सलाह कुछ सामरिक विश्‍लेषक पाकिस्तान को दे रहे हैं। 

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