अमरीका के सहयोग के लिए पाकिस्तान ने जवाहिरी का बलि चढ़ाया – पाकिस्तानी पत्रकारों का दावा

न्यूयॉर्क – अल जवाहिरी को जाने से मारने के बाद अमरीका ने पूरे विश्व में फैले अपने नागरिकों को सावधानी बरतने की चेतावनी दी है। जवाहिरी की हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए अल कायदा के आतंकी अमरिकी नागरिकों को लक्ष्य करेंगे, इस संभावना को ध्यान में रखकर अमरिकी विदेश मंत्रालय ने विश्वभर में अपने नागरिकों को आगाह किया है। साथ ही जवाहिरी को लक्ष्य करनेवाली अमरीका के ‘एमक्यू-९ रिपर ड्रोन’ ने ठीक कहा से उड़ान भरी और क्या इस हमले के लिए पाकिस्तान की हवाई सीमा का इस्तेमाल किया? ऐसे सवाल उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा जवाहिरी की जानकारी अमरिका की ‘सीआईए’ को पाकिस्तान ने ही प्रदान की, यह चर्चा भी शुरू हुई है। अमरीका का सहयोग पाने के लिए पाकिस्तान ने जवाहिरी का बलि चढ़ाया होगा, ऐसी चर्चा पाकिस्तान के ही पत्रकार कर रहे हैं।

अफ़गानिस्तान के काबुल पहुँचने से पहले अल जवाहिरी पाकिस्तान में ही था, ऐसा दावा अमरिकी माध्यमों ने किया है। साथ ही तालिबान के हक्कानी गुट के कमांडर अज़ीज हक्कानी ने ही जवाहिरी को मई में काबुल पहुँचाया, यह दावा किया जा रहा है। हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान से संबंध रखनेवाला तालिबान का एक गुट है। इसलिए अमरीका को जवाहिरी का ठिकाना पाकिस्तान ने ही बताया होगा, ऐसी ठोस संभावना जतायी जा रही है। इस वजह से आतंकवाद विरोधि युद्ध में पाकिस्तान दोनों ओर से खेल रहा है, यह बात फिर से विश्व के सामने आ रही है।

जवाहिरी पर हमला होने से कुछ दिन पहले पाकिस्तान के सेनाप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की अमरिकी नेता और अफसरों से बातचीत हुई थी। इस ओर भी पाकिस्तानी माध्यम ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने पाकिस्तान की ऋण सहायता रोक रखी है। साथ ही ‘फाइनान्शियल ऐक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान की अब तक रिहाई नहीं हुई है। इन दोनों के कारण पाकिस्तान की सेना ने जवाहिरी की खबर अमरीका को पहुँचाई, यह दावा पाकिस्तान के एक वरिष्ठ पत्रकार ने किया। अमरीका की सहायता पाए बिना अन्य विकल्प नहीं है, इसका अहसास पाकिस्तान को हुआ है।

अफ़गानिस्तान के सैन्य अभियान के लिए पाकिस्तान ने अमरीका से सहयोग करने से इन्कार करने के बाद गुस्सा हुई अमरीका को रिझाने के लिए पाकिस्तान को कुछ ना कुछ तो करना ही था। जवाहिरी की खबर देकर पाकिस्तान ने अमरीका का सहयोग फिर से पाने की कोशिश की होगी, ऐसा इस पाकिस्तानी पत्रकार का कहना है।

इसके साथ ही जवाहिरी को लक्ष्य करनेवाले अमरिकी ‘एमक्यू-९ रिपर ड्रोन’ ने कहा से उड़ान भरी और क्या इस हमले के लिए पाकिस्तान की हवाई सीमा का इस्तेमाल हुआ? ऐसे सवाल उठाए जा रहे हैं। इस हमले के लिए अमरीका ने पाकिस्तान की हवाई सीमा का इस्तेमाल किया होगा तो क्या इसके लिए अनुमति प्राप्त की थी? यह सवाल भी कुछ विश्लेषकों ने उठाया है। पाकिस्तान ने अमरीका के इस हमले के लिए खबर देने के साथ हवाई सीमा का इस्तेमाल करने देने का निर्णय किया होगा तो आनेवाले दिनों में इसके भयंकर परिणाम हमारे देश को भुगतने पड़ेंगे, ऐसी चिंता इन विश्लेषकों ने जतायी है। तालिबान एवं अल कायदा के आतंकी अपने नेता को मारने के लिए सहायता प्रदान करनेवाले पाकिस्तान को सबक सिखाए बिना नहीं रहेंगे, यह ड़र यह विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं।

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