पाकिस्तान की ‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ से रिहाई नहीं

बर्लिन – ‘फाइनान्शियल ऐक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) की ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल पाकिस्तान इससे बाहर निकलेगा, ऐसी खुशखबर इस देश की जनता को दी जा रही थी। इस वजह से अन्य देशों के साथ पाकिस्तान का व्यापार बढ़ेगा और पाकिस्तान में निवेश होगा, अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष से कर्ज़ भी मिलेगा, पाकिस्तान के माध्यम ऐसे सपने सजा कर रहे थे। लेकिन, पाकिस्तान ‘ग्रे लिस्ट’ में बना रहेगा, यह ऐलान हुआ और यह सपना हवा में ही खो गया। अपने देश ने समय से पहले खुशियां मनाना शुरू करने का यही नतीजा होगा, ऐसी आलोचना पाकिस्तान में ही हो रही है।

आतंकी संगठनों को निधि प्रदान करनेवालों पर सख्त कार्रवाई ना करनेवाले देशों की सूचि ‘एफएटीएफ’ जारी करती है। साल २००८ से २०१०, २०१२ से २०१५ और २०१८ से २०२२ के दौरान पाकिस्तान ‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ का हिस्सा रहा। इस सूचि में शामिल देशों पर कुछ हद तक आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाते हैं। इन देशों ने ‘एफएटीएफ’ ने दिए गए समय में उम्मीद के अनुसार कार्रवाई नहीं की तो उन देशों को ‘ब्लैक लिस्ट’ किया जाता है। पाकिस्तान ने अभी ‘एफएटीएफ’ की काफी माँगें स्वीकार की हैं और इस वजह से अपना देश ‘ब्लैक लिस्ट’ हुए बिना ‘ग्रे लिस्ट’ से भी निकाला जाएगा, ऐसा भरोसा पाकिस्तान के नेता और माध्यम व्यक्त कर रहे हैं।

लेकिन, सबकी बड़ी निराशा हुई है। और तीन महीनों के लिए पाकिस्तान ‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रहेगा, ऐसा ऐलान किया गया है। इस वजह से पाकिस्तान की स्थिति में कुछ बदलाव नहीं होगा। इससे अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज़ पाने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान का नुकसान हो सकता है। पाकिस्तान की तिजोरी में फिलहाल महज़ दो महीनों के आयात के बिल चुकाने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंड़ार बचा है। ऐसी स्थिति में अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने रिहायत के ब्याजदर से कर्ज़ नहीं दिया तो पाकिस्तान की स्थिति काफी बिगड़ सकती है।

‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ में रहने के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को अब तक ३६ अरब डॉलर्स का नुकसान भुगतना पड़ा है, यह दावे किए जा रहे हैं। इसमें अधिक बढ़ोतरी होगी और यह  बात पाकिस्तान के लिए घातक साबित हो सकती है। 

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