भारत से आयात करने के प्रस्ताव पर पाकिस्तान सरकार की संदिग्धता कायम

लाहौर – पाकिस्तान में आई हुई बाढ़ से मरनेवालों की संख्या बारा सौ के करीब पहुँची है तथा इस देश की संपत्ति और फसलों का भी भारी नुकसान होने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। इस वजह से उभरी किल्लत के भीषण परिणाम अभी से सामने आने लगे हैं और अनाज से लेकर सब्ज़ियों तक सभी आवश्यक सामान की कीमतों में भारी उछाल आया है। ऐसी स्थिति में भारत से इन चीज़ों की, खास तौर पर सब्ज़ियों का आयात शुरू करें, ऐसी माँग पाकिस्तान में जोर पकड़ रही है। इसके बावजूद इस  प्रस्ताव पर अभी निर्णय नहीं हुआ है, ऐसा दावा पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने किया है। इसलिए भारत से जुड़ा यह निर्णय करते समय पाकिस्तान सरकार हिचकिचा रही है।

पाकिस्तान के वित्तमंत्री मिफ्ता इस्माईल ने हमारी सरकार भारत से सब्ज़ियां और ज़रूरी सामान का आयात करने के विचार में होने का ऐलान किया था। इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान में समर्थन प्राप्त हो रहा है। सब्ज़ियों से लेकर दवाईयों तक की कई चीज़ों की पाकिस्तान को भारी ज़रूरत है। ऐसी स्थिति में ईरान या अन्य देशों से इसका आयात महंगा साबित हो सकता है। इसके बजाय वाघा सीमा से भारत इन सभी चीज़ों की आपूर्ति पाकिस्तान को बडी आसानी से कर सकता है, ऐसा पाकिस्तान के व्यापारी संगठनों का कहना है। ऐसे में अधिक समय ज़ाया किए बिना पाकिस्तान सरकार इस पर निर्णय करे, ऐसा इन व्यापारी संगठनों के प्रमुखों का कहना है। पाकिस्तान के पत्रकार और विश्लेषक इसका समर्थन करते हैं। लेकिन, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार यह निर्णय करने का साहस पाकिस्तान सरकार के पास अब तक नहीं है, यही दिखाता है। कुछ दिन पहले कश्मीर मसले पर पाकिस्तान की सरकार के बयान भी इसका कारण हो सकते हैं। भारत ने ५ अगस्त २०१९ को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्ज़ा प्रदान करनेवाली धारा ३७० को हटाया था।

इसके बाद भारत के साथ व्यापार बंद करने का निर्णय पाकिस्तान की भूतपूर्व सरकार ने किया था। इससे पाकिस्तान की जनता को भारी नुकसान भुगतना पड़ा था। सब्ज़ियां, फल और सस्ते दामों में उपलब्ध हो रही भारतीय दवाईयों की पाकिस्तान की जनता को ज़रूरत थी। इसकी आपूर्ति यकायक बंद करने से पाकिस्तान की जनता परेशान हुई थी। फिर भी पूर्व प्रधानमंत्री इम्रान खान ने देश की प्रतिष्ठा को मुद्दा बनाकर भारतविरोधी निर्णय करना ज़रूरी होने के दावे किए थे। बाद में कुछ ज़रूरी दवाईयां भारत से मंगाने के लिए इम्रान खान मज़बूर हुए थे।

अब आई भीषण बाढ़ ने पाकिस्तान को काफी मोहताज कर दिया है और इस बार यदि भारत से आयात करने का व्यवहारिक निर्णय नहीं किया ग्या तो पाकिस्तान की स्थिति अधिक भयंकर बन सकती है। इसका अहसास होने के कारण हमेशा भारत के विरोध में जहर उगलने वाले पत्रकार और विश्लेषक भी अब भारत से आयात में कोई आपत्ति ना होने का बयान बेबसी से करने लगे हैं।

पाकिस्तान की भारतविरोधी नीति की आलोचना कर रहे कुछ पत्रकार और सोशल मीडिया पर सक्रीय लोग भी भारत के साथ व्यापारी और राजनीतिक सहयोग स्थापित करने से ही पाकिस्तान में स्थिरता आएगी, इस पर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। फिर भी यह निर्णय करने पर कड़ी आलोचना होगी, यह चिंता पाकिस्तान सरकार को सता रही है। ईसी कारण अभी इस पर निर्णय नहीं हुआ है, ऐसा स्पष्ट करने के लिए पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय मज़बूर है।

इसी बीच भारत ने पाकिस्तान की जनता के प्रति सहानुभूति जताकर वहां के चरमपंथी और आतंकियों का भारत विरोध ही करता रहेगा, ऐसा स्पष्ट संदेश दिया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद ने आयोजित किए ‘ट्रान्सनैशनल टेररिस्ट थ्रेट’ विषय पर चर्चा में बोलते हुए भारत के राजनीतिक अधिकारी राजेश परिहार ने पाकिस्तान की आतंकी नीति की कड़ी आलोचना की।

लश्कर-ए-तोयबा’, ‘जैश-ए-मोहम्मद’ ‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ जैसे आतंकी संगठन भारतीय जनता, सुरक्षा बल और धार्मिक स्थानों के अलावा भारत की बुनियादी सुविधाओं को भी लक्ष्य कर रही है, इस पर परिहार ने ध्यान आकर्षित किया। ऐसे आतंकी संगठनों पर सख्त कार्रवाई करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान पर दबाव बनाना ही होगा।

इसके लिए पाकिस्तान को जवाबदेही साबित करना आवश्यक ही है, ऐसा बयान राजेश परिहार ने बड़े ड़टकर किया। इस वजह से बाढ़ से परेशान पाकिस्तान की जनता को लेकर सहानुभूति जताने के साथ-साथ भारत ने अपनी पाकिस्तान के आतंकवाद को प्रोत्साहित करने की नीति के खिलाफ अपनी भूमिका उतनी ही सख्त होने का संदेश दिया है।

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