जम्मू-कश्‍मीर के पूँछ, राजौरी में जारी ऑपरेशन लंबा चलने की संभावना

जम्मू – जम्मू-कश्‍मीर के पूँछ और राजौरी के जंगलों में आतंकियों के खिलाफ शुरू किए गए ऑपरेशन का शनिवार के दिन २० वां दिन था। यह ऑपरेशन और कुछ दिन लंबा चल सकता है, ऐसी संभावना जताई जा रही है। यहां के घने जंगलों का लाभ उठाकर आतंकी लगातार अपना स्थान बदल रहे हैं और आतंकी सुरक्षाबलों से सीधे मुठभेड़ करने से दूर रह रहे हैं, यह जानकारी अधिकारियों के दाखिले से प्राप्त हो रही है। इस ऑपरेशन में अब तक ९ सैनिक शहीद हुए हैं। साथ ही जम्मू-कश्‍मीर में हिमवर्षा के बढ़ने से पहले घुसपैठ करने की कोशिश भी बढ़ी है। नियंत्रण रेखा के उस ओर आतंकियों की गतिविधियाँ बढ़ने की भी खबरें प्राप्त हो रही हैं।

जम्मू-कश्‍मीर के पूँछजम्मू-कश्‍मीर के पूँछ में स्थित मांढ़ेर केभाटा धुरिया के जंगलों में और पड़ोस के सारनकोट के जंगलों में ११ अक्तुबर के दिन शुरू हुई मुठभेड़ के बाद इस ऑपरेशन की शुरूआत हुई थी। पूँछ और राजौरी में फैले पीर पंजार के जंगल क्षेत्र में सुरक्षा बल और आतंकियों का अब तक तीन बार सामना हुआ है। लेकिन, २४ अक्तुबर के बाद आतंकियों के साथ मुठभेड़ नहीं हुई है। इन जंगलों में आतंकियों की गतिविधियाँ होने की जानकारी एक स्थानीय मज़दूर ने सुरक्षाबलों को देने का वृत्त प्राप्त हुआ था। इसके बाद यह संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया गया था। बीते १८ सालों में जम्मू-कश्‍मीर में यह सबसे बड़ा और लंबे समय तक चला ऑपरेशन साबित हुआ है। वर्ष २००३ में इसी तरह से सुरनकोट के जंगलों में स्थित हिकाका में ‘सर्पविनाश’ नामक काफी बड़ा ‘ऑपरेशन’ किया गया था। जनवरी से अप्रैल २००३ तक चले इस ऑपरेशन के दौरान ६२ आतंकियों को मारा गया था।

वर्तमान ऑपरेशन भी इसी तरह लंबा चलने की संभावना जताई जा रही है। अब तक इस ऑपरेशन के दौरान हथियारों का बड़ा ज़खिरा भी बरामद हुआ है। साथ ही आतंकियों के कुछ ठिकानों को भी तबाह किया गया है। कुछ स्थानीय लोगों द्वारा आतंकियों को सहायता प्रदान करने की आशंका है। इस पृष्ठभूमि पर कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है। इनमें दो महिलाओं का भी समावेश है। उन्होंने इन आतंकियों को अनाज एवं अन्य सामान की आपूर्ति करने की आशंका है।

एक लष्करी अधिकारी ने प्रदान की हुई जानकारी के अनुसार आतंकी फिलहाल सुरक्षाबलों से मुकाबला करने से बच रह रहे हैं। घने जंगल और नैसर्गिक गुफा का लाभ आतंकियों को हो रहा है और आतंकी इसके ज़रिये सुरक्षाबलों से लगातार दूर भाग रहे हैं। इस कारण आतंकियों को एक ही स्थान पर पकड़े रखने में कठिनाई हो रही है।

इस ऑपरेशन की पृष्ठभूमि पर भिंबार गली, जेरा वाली गली और जम्मू-राजौरी राजमार्ग की यातायात अब तक बंद रखी गई है। बीते १५ दिनों से यहां यातायात बंद है। जून में आतंकियों ने इसी क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश की थी। इस घुसपैठ के दौरान हुई मुठभेड़ में ९ आतंकी ढ़ेर हुए हैं। इसी बीच शनिवार के दिन नौशेरा में हुए बम विस्फोट में एक अधिकारी के साथ दो सैनिक शहीद हुए।

जम्मू-कश्‍मीर की सड़कों और स्कूलों को शहीदों के नाम

जम्मू-कश्‍मीर के सड़क, स्कूल और सरकारी संस्थाओं को शहीदों के नाम देने का निर्णय जम्मू-कश्‍मीर के प्रशासन ने चार दिन पहले किया था। इसके बाद इस पर तुरंत अमल करके १०८ नामों की सूचि तैयार की गई है और इनमें से ७६ नाम बीते दो दिनों में अलग-अलग संस्थाओं के लिए तय करके इसकी सूचि भी सार्वजनिक की गई है। स्कूलों में इन शहीदों की वीरगाथाएं बच्चों को सुनाने के आदेश भी दिए गए हैं।

साथ ही ‘सीआरपीएफ’ की स्थायी छांवनी बनाने के लिए १० स्थान उपलब्ध कराए गए हैं। इतने वर्षों में पहली बार ‘सीआरपीएफ’ के लिए इस तरह से जमीन दी जा रही है। इनमें से चार स्थान पुलवामा में और तीन-तीन स्थानों की जमीन शोपियन और अनंतनाग में है।

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