तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने से भारत के लिए खतरा बढ़ा – अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का इशारा

वॉशिंग्टन – ‘अफ़गानिस्तान से अमरीका की शर्मनाक वापसी के भयंकर राजनीतिक असर सामने आ रहे हैं। मास्को से तेहरान तक, बीजिंग से प्यौन्गयांग तक अमरीका के दुश्‍मनों का साहस बढ़ा है। इसी बीच मित्र एवं सहयोगी देश अमरीका की ओर अविश्‍वास की नज़रों से देखने लगे हैं’, ऐसे सख्त शब्दों में अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एच.आर.मैक्‌मस्टर ने अमरिकी संसद को स्थिति का अहसास कराया। साथ ही मैक्‌मस्टर ने यह इशारा भी दिया है कि, अफ़गानिस्तान पर तालिबान ने कब्ज़ा करने से दक्षिण एशिया की स्थिति घातक बनी है और इससे भारत को सबसे ज्यादा खतरा है।

भारत के लिए खतराअमरिकी संसद की ‘फॉरेन अफेअर्स कमिटी’ के सामने बोलते समय मैक्‌मस्टर ने अमरीका की अफ़गानिस्तान से हुई सेना वापसी पर कड़ी आलोचना की। यह वापसी बड़ी शर्मसार करनेवाली थी। अफ़गानिस्तान से सेना हटाते समय अमरीका ने अरबों डॉलर्स के हथियार और रक्षा सामान तालिबान के लिए पीछे छोड़ दिया। अमरीका ने आतंकी करार दिए हुए अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के २० आतंकी संगठनों को यह हथियार और रक्षा सामान प्राप्त होगा। इस वजह से दक्षिण एशिया की स्थिति अधिक घातक बनती जा रही है। तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर किए कब्ज़े का सबसे अधिक खतरा भारत को है क्योंकि, अल कायदा और लश्‍कर ए तोयबा जैसे आतंकी संगठन आगे के दिनों में भारत में भयंकर हिंसा का सत्र शुरू कर सकते हैं, यह इशारा मैक्‌मस्टर ने दिया।

इसके साथ ही पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के हाथ विश्‍व के सबसे विनाशकारी हथियार लगने का गंभीर खतरा निर्माण हुआ है, यह इशारा भी मैक्‌मस्टर ने दिया। इससे पहले अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भी पाकिस्तान के १५० परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लगेंगे, यह चिंता जताई थी। अमरीका के पूर्व उप-विदेशमंत्री रिचर्ड आर्मिटेज ने पाकिस्तान की आयएसआय ने ही तालिबान को अन्न, हथियारों के अलावा अन्य सामान की आपूर्ति की थी, इस ओर ध्यान आकर्षित किया। इसके अलावा अल कायदा का प्रमुख ओसामा बिन लादेन अपने ही देश में मौजूद होने की जानकारी पाकिस्तान की कुख्यात गुप्तचर यंत्रणा आयएसआय को ना होना, मुमकिन ही नहीं, यह बयान भी आर्मिटेज ने किया।

इसी बीच, अमरीका की उप-विदेशमंत्री वेंडी शर्मन की पाकिस्तान यात्रा के दौरान अमरिकी संसद की समिती के सामने सुनवाई में यह सभी दावे किए जा रहे हैं। इसके ज़रिये अमरीका अब पाकिस्तान पर दबाव ड़ालने की कोशिश कर रही है, ऐसी शिकायत इस देश के नेता कर रहे हैं। लेकिन, अमरीका और अन्य देश कितना भी दबाव ड़ालें तब भी पाकिस्तान तालिबान को सहायता प्रदान किए बगैर नहीं रहेगा, यह दावा पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख रशीद ने किया। तो, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अमरीका के साथ पाकिस्तान को संतुलित और व्यापक सहयोग की उम्मीद होने का बयान किया है। अमरीका भारत की तरह ही पाकिस्तान को भी अहमियत दे, यह अमरीका से पाकिस्तान की उम्मीद का संतुलन समझा जा रहा है। लेकिन, पाकिस्तान का भारत के साथ बराबरी करने की उम्मीद रखना मूर्खता होगी, ऐसी आलोचना पाकिस्तान के ही पत्रकार और विश्‍लेषक कर रहे हैं।

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