युक्रेन के युद्ध में कोई भी विजयी साबित नहीं होगा – जर्मनी के दौरे पर होनेवाले प्रधानमंत्री मोदी की चेतावनी

बर्लिन – रशिया-युक्रेन के युद्ध में कोई भी विजयी साबित नहीं होगा। इसी कारण भारत शांति का पुरस्कार करके राजनयिक चर्चा की माँग कर रहा है, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर एक बार स्पष्ट किया। जर्मनी के दौरे पर रहते हुए, प्रधानमंत्री ने युक्रेन के युद्ध के सिलसिले में भारत की भूमिका स्पष्ट रूप में रखी। उसी समय, विभिन्न क्षेत्रों में जर्मनी के साथ भारत के सहयोग के दोनों देशों के क्षेत्रों पर तथा जागतिक स्तर पर सकारात्मक परिणाम होंगे, ऐसा भरोसा प्रधानमंत्री मोदी ने ज़ाहिर किया है।

जर्मनी में प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत किया गया। उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी की जर्मनी के चॅन्सेलर ओलाफ शोल्झ के साथ, भारत और जर्मनी के ‘इंटर गव्हर्मेंटल कन्सल्टेशन्स-आयजीसी’ की चर्चा संपन्न हुई। दोनों नेताओं ने संयुक्त पत्रकार परिषद को संबोधित करके इस द्विपक्षीय सहयोग का महत्त्व अधोरेखित किया। ऊर्जा से लेकर पर्यावरण तक कई क्षेत्रों में भारत और जर्मनी सहयोग करनेवाले होकर, इसके क्षेत्रीय तथा जागतिक स्तर पर सकारात्मक परिणाम होंगे, ऐसा विश्‍वास प्रधानमंत्री ने ज़ाहिर किया।

इसी बीच, प्रधानमंत्री मोदी के इस जर्मन दौरे से पहले, जी7 परिषद का आयोजन करनेवाले जर्मनी ने अमरीका के दबाव के कारण, भारत को आमंत्रण नकारा होने की ख़बरें जारी हुई थीं। युक्रेन का युद्ध भड़कने के बाद भी रशिया के साथ सहयोग जारी रखने का फ़ैसला भारत ने किया था। इससे ग़ुस्सा हुई अमरीका ने दबाव डालकर, जी7 में भारत के प्रधानमंत्री सहभागी नहीं होंगे, इसका प्रबंध किया था। लेकिन माध्यमों को संबोधित करते समय जर्मनी के चॅन्सेलर शोल्झ ने जी7 परिषद के लिए भारत के प्रधानमंत्री को आमंत्रित करने की घोषणा की। इससे भारत का महत्त्व फिर एक बार अधोरेखित हुआ दिख रहा है।

युक्रेन के युद्ध में किसी की भी जीत नहीं होगी, उल्टे सभी की हानि होगी। इसीलिए हम शांति का पुरस्कार कर रहे हैं, ऐसा कहते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस मामले में देश की भूमिका प्रस्तुत की। साथ ही, युक्रेन के युद्ध के कारण ईंधन के दामों ने आसमान को छू लिया है। अनाज और खादों की क़िल्लत पैदा हुई है। इसका झटका दुनिया के हर एक परिवार को लग रहा है। ख़ासकर विकासशील और गरीब देशों पर इसके भयानक परिणाम हो रहे हैं, इसका एहसास प्रधानमंत्री ने इस समय करा दिया।

साथ ही, इस युद्ध के भयंकर परिणामों की भारत को चिंता प्रतीत हो रही है, यह बताकर प्रधानमंत्री मोदी ने इस युद्ध को तुरंत रोकने की ज़रूरत प्रतिपादित की। जर्मनी के दौरे पर रहते प्रधानमंत्री मोदी ने युक्रेन के युद्ध के बारे में किये ये बयान ग़ौरतलब साबित होते हैं। रशिया के साथ मित्रतापूर्ण सहयोग होनेवाला भारत, अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके रशिया को यह युद्ध रोकने के लिए मजबूर करें,  ऐसी उम्मीद युरोपीय देश व्यक्त कर रहे हैं। उसी समय, रशिया ने भी यह घोषित किया था कि अगर यह युद्ध रोकने के लिए भारत ने मध्यस्थता की, तो रशिया उसका स्वागत करेगा। ऐसी परिस्थिति में प्रधानमंत्री मोदी का जर्मनी, डेन्मार्क और फ्रान्स दौरा शुरू हुआ है। इसी कारण जर्मनी में युक्रेन के युद्ध के सिलसिले में प्रधानमंत्री ने किये बयान बहुत ही अहमियत रखते हैं।

अमरीका और कुछ युरोपीय देश, युक्रेन का युद्ध दशकभरा के लिए चलेगा, ऐसी भयानक चेतावनियाँ दे रहे हैं। वहीं, इस युद्ध की आँच में झुलस रहे देशों को ऐसा लग रहा है कि युक्रेन का युद्ध जल्द से जल्द ख़त्म हों। रशिया के ईंधन पर निर्भर होनेवाले जर्मनी का भी इसमें समावेश है। उसी समय फ्रान्स भी युक्रेन का युद्ध रोकने के लिए, अमरीका की नाराज़गी की परवाह न करते हुए रशियन राष्ट्राध्यक्ष के साथ चर्चा कर रहा है। इन दोनों देशों समेत अगर भारत युक्रेन में चल रहा ख़ूनख़राबा रोकने के लिए प्रयास करता है, तो उसके सकारात्मक परिणाम आनेवाले समय में सामने आ सकते हैं।

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