स्कॉर्पिन श्रेणी की चौथी पनडुब्बी ‘आयएनएस वेला’ नौसेना को सुपुर्द – जल्द ही नौसेना के बेड़े में दाखिल होगी

INS-Velaमुंबई – ‘प्रोजेक्ट 75’ के तहत निर्माण की जाने वाली स्कॉर्पिन श्रेणी की छह पनडुब्बियों में से चौथी पनडुब्बी मंगलवार को नौसेना को सुपुर्द की गई। पिछले दो सालों में इस पनडुब्बी के सागरी परीक्षण पूरे हुए। कोरोना के दौर में भी सभी प्रतिबंधों का पालन करके ‘आयएनएस वेला’ के सागरी परीक्षण जारी थे, ऐसी जानकारी अधिकारी ने दी। जल्द ही औपचारिक रूप में ‘आयएनएस वेला’ नौसेना के बेड़े में दाखिल की जानेवाली है। इससे भारतीय नौसेना के सामर्थ्य में और वृद्धि होगी ।

स्कॉर्पिन श्रेणी (कलवरी श्रेणी) की छह पनडुब्बियों के निर्माण के लिए भारत और फ्रान्स के बीच समझौता हुआ था। फ्रान्स के तंत्रज्ञान पर आधारित इन पनडुब्बियों का निर्माण, पिछले कुछ सालों से फ्रान्स के मेसर्स नेवल ग्रुप की सहायता से मुंबई के माझगाव डॉक में किया जा रहा था। भारत और फ्रान्स के बीच इसके लिए हालांकि सन २००५ में समझौता हुआ था, फिर भी विभिन्न वजहों के कारण इस ‘प्रोजेक्ट 75’ का काम रुका हुआ था। इस कारण हालाँकि सन २०१२ में ही इन सभी पनडुब्बियों का निर्माण पूरा होना अपेक्षित था, फिर भी यह प्रतीक्षा बढ़ती चली गई। चार साल पहले ‘प्रोजेक्ट 75’ के तहत बनाई जा रही इन पनडुब्बियों के निर्माण की गति बढ़ाई गई। उसके बाद ‘आईएनएस खांदेरी’ और ‘आईएनएस करंज’ ये पनडुब्बियाँ भारतीय नौसेना के बेड़े में दाखिल हुईं। वहीं, ‘प्रोजेक्ट 75’ के तहत बनाई गई पहली पनडुब्बी ‘आईएनएस कलवरी’ का सन २०१५ में जलावतरण हुआ था और सन २०१७ में यह पनडुब्बी नौसेना के बेड़े में दाखिल की गई।

INS-Vela-Navyइसी प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई ‘आईएनएस वेला’ इस चौथी पनडुब्बी का मई २०१९ में जलावरण हुआ था। उसके पश्चात कड़े सागरी परीक्षण पूरे होने के बाद ‘आईएनएस वेला’ को मंगलवार के दिन नौसेना को सुपुर्द किया गया। इस समय व्हाईस अ‍ॅडमिरल नारायण प्रसाद, वेस्टर्न नेवल कमांड के प्रमुख रिअर अ‍ॅडमिरल के.पी.अरविंदन के साथ नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। ‘आईएनएस वेला’ अत्याधुनिक तंत्रज्ञान से लैस है। सबमरीन वारफेयर में यह पनडुब्बी बहुत ही प्रभावी साबित होने का दावा किया जाता है। इस श्रेणी की और ‘प्रोजेक्ट 75’ के तहत बनाई गई पाँचवी पनडुब्बी ‘आईएनएस वागिर’ का नवंबर २०२० में जलावरण हुआ था। फिलहाल इस पनडुब्बी के सागरी परीक्षण जारी हैं और अगले साल तक यह पनडुब्बी नौसेना के बेड़े में दाखिल होने की संभावना है।

इसी बीच, भारत के नौसेना सामर्थ्य में वृद्धि करने के लिए तेज़ी से कदम उठाए जा रहे हैं। सागरी क्षेत्र में सुरक्षा की बड़ी चुनौती को मद्देनज़र रखते हुए, नौसेना की भूमिका भी सुरक्षा की दृष्टि से बहुत अहम साबित होती है। इस कारण नौसेना को अत्याधुनिक युद्धपोत, पनडुब्बियाँ तथा सामग्री से लैस किया जा रहा है। ‘आईएनएस विक्रांत’ इस विमानवाहक युद्धपोत के परीक्षण हाल ही में शुरू हुए हैं।

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