भारत और ईरान के बीच नौ सहकार्य अनुबंध   

नई दिल्ली: ईरान के राष्ट्राध्यक्ष हसन रोहानी के भारत दौरे में दोनों देशों के बीच नौ सहकार्य अनुबंधों पर हस्ताक्षर हुए हैं। इस में ईरान के छाबर बंदरगाह के बारे में अनुबंध का भी समावेश है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चर्चा के बाद राष्ट्राध्यक्ष रोहानी ने भारत और ईरान की आतंकवाद खिलाफ भूमिका एकसमान है, इस की पुष्टि की।

भारत और ईरान के साथ हुए इन अनुबंधों में दोहरा कर प्रभार, वीसा विषयक नियम शिथिल करना, गुनाहगारों का प्रत्यर्पण, दवाईयां, स्वास्थ्य और कृषि से क्षेत्र से संबंधित अनुबंधों का समावेश है। इन अनुबंधों में छाबर बंदरगाह के मामले में हुआ अनुबंध सब से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत ने ईरान के छाबर बंदरगाह को विकसित किया है और इस का पहला पड़ाव पिछले साल के दिसंबर महीने में कार्यान्वित हुआ था। अब छाबर परियोजना का एक हिस्सा ‘शहीद बेहस्ती बंदरगाह’ के विकास के लिए भारत ८.५ करोड़ डॉलर्स की सहायता करने वाला है।

भारत के पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड और ईरान पोर्ट एंड मेरीटाइम ऑर्गनायजेशन के बीच यह अनुबंध पूरा हुआ है। छाबर बंदरगाह के द्वारा अफगानिस्तान में सुवर्णमार्ग उपलब्ध कराके देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने ईरानी राष्ट्राध्यक्ष का अभिनन्दन किया है। दौरान, छाबर बंदरगाह को ‘इंटरनॅशनलनॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर’ के साथ जोड़ने की कोशिश भारत और ईरान कर रहे हैं। यह परियोजना मतलब चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ को प्रत्युत्तर है, ऐसा माना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष रोहानी के बीच इस बात पर चर्चा भी हुयी है, ऐसा कहा जाता है लेकिन इस के तपशील सामने नहीं आए हैं।

ईरान के प्रचंड इंधन क्षेत्र में भारत को निवेश करने का बहुत बड़ा अवसर है, ऐसा कहकर इस के लिए ईरान के राष्ट्राध्यक्ष ने भारत को आवाहन किया है। आतंकवाद के मामले में आपपरभाव दिखाया नहीं जा सकता, ऐसा कहकर रोहानी ने सीधे नाम न लेते हुए पाकिस्तान को ताना मारा है। अपना पडौसी आतंकवाद से मुक्त होना चाहिए, ऐसा कहकर राष्ट्राध्यक्ष रोहानी ने पाकिस्तान को और एक तमाचा मारा है।

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