ईरान के छाबर बंदरगाह से भारत अफगानिस्तान मे व्यापार शुरू

नई दिल्ली: इरान के छाबर बंदरगाह से अफगानिस्तान के लिए गेहू ले जाने वाले भारत के जहाज को विदेश मंत्री सुषमा स्वराजने हरा सिग्नल दिखाया है। अफगानिस्तान के लिए यह खुला मार्ग मतलब शांति एवं समृद्धि के लिए नई दिशा ठहरेगी, ऐसा सूचक विधान विदेशमंत्री स्वराजने किया है। इस नए मार्ग की वजह से अन्न धान्य से लेकर अन्य जीवन आवश्यक वस्तुओं के आदान-प्रदान के लिए आगे चलकर अफगानिस्तान को पाकिस्तान पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होगी। इसका प्रभाव अफगानिस्तान के नीति में दिखाई दे रहा है और कुछ ही दिनों पहले अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष ने अवरोध करने वाले पाकिस्तान को कड़ा इशारा दिया था।

छाबर बंदरगाहरविवार को गुजरात के कांडला बंदरगाह से अफगानिस्तान को गेहूं ले जाने वाला जहाज निकला। इस जहाज को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा हरा सिग्नल दिखाया। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री सलाहुद्दीन रब्बानी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा इसका स्वागत किया है। उसमें बोलते हुए विदेश मंत्री स्वराजने यह गेहू मतलब भारतीय जनता से अफगानी जनता को होने वाली भेंट है, ऐसा भावपूर्ण विधान किया है। उसमें अफगानिस्तान के लिए खुला यह व्यापारी परिवहन का मार्ग मतलब शांति एवं समृद्धि का नया मार्ग ठहरेगा ऐसा विश्वास सुषमा स्वराज ने व्यक्त किया है। संस्कृति से व्यापार तक, परंपरा से तंत्रज्ञान तक अनेक क्षेत्र में आदान-प्रदान के लिए प्रशस्त दालन दोनों देशों की जनता के लिए खुला किया गया है। इसकी वजह से भारत अफगानिस्तान एवं ईरान के संबंध अधिक सक्षम होंगे ऐसा विदेश मंत्री स्वराज ने कहा है।

दौरान भारत ने विकसित किया ईरान के छाबर बंदरगाह से अफगानिस्तान के लिए माल परिवहन का मार्ग खुला होने की वजह से इस क्षेत्र में अनेक आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक बदलाव होने वाले हैं। इससे पहले अफगानिस्तान अन्न धान्य से लेकर अन्य जीवन आवश्यक वस्तुओं के आदान-प्रदान के लिए पाकिस्तान पर निर्भर था। इसकी वजह से अफगानिस्तान में आतंकवाद फैलाने वाले पाकिस्तान के विरोध में अफगानी सरकार को कठोर भूमिका लेना संभव नहीं था। पर अब अफगानिस्तान की समस्या दूर हुई है और अफ़ग़ानिस्तान के राजनैतिक नेतृत्व अब पाकिस्तान पर निशाना साधने लगे हैं। कुछ दिनों पहले अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष ने इसकी झलक पाकिस्तान को दिखाई थी।

आगे चलकर पाकिस्तान ने अफगानिस्तान एवं भारत में व्यापारी परिवहन को अनुमति नहीं दी, तो अफगानिस्तान ‘सीपीईसी’ परियोजना अपनी भूमि में से नहीं जाने देगा, ऐसा अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष ने पाकिस्तान को सूचित किया था। इतना ही नहीं, अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष गनी भारत के दौरे पर आने से पहले, पाकिस्तान से अफगानिस्तान में घुसने वाले ट्रक अफगानिस्तान की सीमा पर रुके थे। इन ट्रकों में भरे उत्पादन सीमा पर निकाले गए और अफगानिस्तान के ट्रक्स से आगे परिवहन किया गया। इस द्वारा अफगानिस्तान ने पाकिस्तान तक योग्य संदेश पहुंचाने की बात कही जा रही है।

छाबर बंदरगाह विकसित होने के बाद अफगानिस्तान में यह आत्मविश्वास निर्माण हो रहा है और आने वाले समय में अफगानिस्तान पाकिस्तान के विरोध में अधिक कड़ी भूमिका लेगा, ऐसी चिंता पाकिस्तानी विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं।

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