म्यानमार की विदेशमंत्री ‘स्यू की’ की चीन यात्रा संपन्न

बीजिंग, दि. २२ (वृत्तसंस्था)- म्यानमार की प्रमुख नेता और विदेशमंत्री ‘आँग सॅन स्यू की’ की चीन यात्रा संपन्न हुई है| विदेशमंत्री होने के बाद ‘स्यू की’ की यह पहली ही विदेश यात्रा थी| म्यानमार की पूर्व सैनिकी हुक़ूमत के, चीन के साथ रहनेवाले सहयोग का इतिहास देखते हुए, ‘स्यू की’ ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चीन को ही चुना, यह सबका ध्यान खींचनेवाली बात है| चीन सरकार और प्रसारमाध्यमों द्वारा इस यात्रा को दिया गया महत्त्व यही दिखा रहा है कि चीन म्यानमार के साथ सहयोग बढाने के लिए उत्सुक है|
पिछले सप्ताह में म्यानमार की विदेशमंत्री ‘स्यू की’ अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चीन पहुँची| पाँच दिन की अपनी यात्रा में, ‘स्यू की’ ने चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग, प्रधानमंत्री ली केकिआंग और बाकी वरिष्ठ नेताओं से मुलाक़ात की| इस दौरे में, दोनों देशों के बीच का द्विपक्षीय सहयोग, निवेश और व्यापारी संबंध बढ़ाने के मुद्दे पर बातचीत हुई| इसमें चीन द्वारा म्यानमार के विभिन्न क्षेत्रों में किया जानेवाला निवेश और महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं का समावेश था|

‘स्यू की’म्यानमार में लोकतंत्रवादी सरकार की सत्ता आने के बाद, दुनिया के प्रमुख देशों ने म्यानमार के साथ सहयोग करने के लिए उत्सुकता दर्शायी है| उनमें चीन समेत अमरीका, जापान, भारत, रशिया और ब्रिटन का समावेश है| लेकिन पड़ोसी देश होने के कारण चीन का स्थान और म्यानमार की सेना के साथ रहनेवाले चीन के संबंध, इस पृष्ठभूमि पर, चीन ने म्यानमार के साथ सहयोग विकसित करने में पहल की है| ‘स्यू की’ द्वारा अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चीन को चुना जाना, इससे इस बात को पुष्टी मिल गयी है|
म्यानमार के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष थिन सेन ने सन २०११ में, चीन के साथ विकसित की जानेवाली ‘मित्सोन’ डॅम की महत्त्वाकांक्षी परियोजना को स्थगिती दी थी| क़रीब ३.६ अरब डॉलर्स की यह परियोजना, यह दोनों देशों के बीच के तनाव का प्रमुख कारण माना जाता था| पाँच महीने पहले चुनकर आयी लोकतंत्रवादी सरकार ने, कुछ ही दिन पहले इस प्रकल्प का पुन:परीक्षण कर, उसका अहवाल पेश करने का आदेश दिया था|

म्यानमार की इरावदी नदी पर निर्माण किया जानेवाला डॅम और जलविद्युत प्रकल्प चीन के फ़ायदे के लिए हो रहे है, ऐसा आरोप स्थानीय लोग और स्वयंसेवी गुटों ने किया था| चीन के इस प्रकल्प के खिलाफ़, म्यानमार के लगभग सौ से अधिक संगठन और गुट एकत्रित हुए हैं| चीन की यात्रा पर आयीं विदेशमंत्री ‘स्यू की’ ने भी इस प्रदर्शन को समर्थन दिया था| इस पृष्ठभूमि पर, ‘स्यू की’ की यात्रा के दौरान इस प्रकल्प पर हुई बातचीत, यह दोन देशों के सहयोग का महत्त्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है|

विवादास्पद प्रकल्प के बारे में बातचीत करने के साथ ही, चीन के साथ दो हॉस्पिटल्स और एक ब्रिज के निर्माण पर हुए समझौते पर हस्ताक्षर किये गये है| इसके अलावा म्यानमार के प्रतिनिधिमंडल ने, चीन के ‘स्टेट ग्रिड कॉर्पोरेशन’, ‘चायना नॉर्थ इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन’ इन बड़े सरकारी उपक्रमों के साथ भी बातचीत की, ऐसी जानकारी दी गयी|

दो साल पहले, चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग ने किये म्यानमार दौरे में लगभग आठ अरब डॉलर्स के समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे| इस समझौते के बारे में दोनों देशों ने कोई भी प्रतिक्रिया नही दी है|
दूसरी ओर चीन ने, म्यानमार-चीन सरहद पर की बग़ावत रोकने के लिए संबंधित गुटों पर दबाव लाया था, यह जानकारी सामने आ रही है| गुरुवार के दिन दो देशों की सीमा पर सक्रिय रहनेवाले तीन सशस्त्र गुटों ने, म्यानमार सरकार के साथ शांतिचर्चा में शामिल होने की तैय्यारी दर्शायी है, यह निवेदन प्रकाशित हुआ है| ये गुट म्यानमार की विदेशमंत्री ‘स्यू की’ के साथ बैठक में शामिल होनेवाले हैं|

विद्रोही गुटों द्वारा बातचीत के लिए दर्शायी गयी तैय्यारी, यह चीन ने विदेशमंत्री ‘स्यू की’ को दिया हुआ तोहफ़ा है, ऐसा दावा माध्यमों द्वारा किया जा रहा है| इसके बदले म्यानमार ने चीन को, ‘सिल्क रोड इनिशिएटिव्ह’ तथा ‘बांगलादेश-चीन-इंडिया-म्यानमार’ इन महत्त्वाकांक्षी उपक्रमों के लिए समर्थन दिया है, यह सामने आया है|

विदेशमंत्री स्यू की की चीन यात्रा के दौरान ही, म्यानमार के राष्ट्राध्यक्ष की भारतयात्रा की घोषणा हुई थी| अगले महीने में स्यू की अमरीका की यात्रा पर जानेवाली हैं| इससे म्यानमार ने, चीन के साथ सहयोग बढ़ाते समय भी, अन्य देश नाराज नहीं होंगे, इसका ध्यान रखा हुआ दिखायी देता है|

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