बहुपक्षीय एशिया के बगैर बहुपक्षीय विश्व मुमकिन नहीं – भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर

स्टॉकहोम/लंदन – वैश्वीकरण यह मौजूदा समय का वास्तव है और इसके लिए बहुपक्षीय विश्व हमें स्वीकारना होगा। लेकिन, बहुपक्षीय विश्व यह बहुपक्षीय एशिया के बगैर संभव नहीं है, ऐसा इशारा भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने किया। एशियाई महाद्वीप पर वर्चस्व स्थापित करके इसके ज़रिये विश्व पर अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे चीन के विरोध में विदेश मंत्री जयशंकर ने आगाह किया है। यूरोपिय महासंघ और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों की बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर बोल रहे थे। 

बहुपक्षीय एशिया‘ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्टेरियन फोरम’ (ईआईपीएमएफ) की बैठक में बोलते समय विदेश मंत्री जयशंकर ने यूरोपिय देश और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों में लगातार संवाद होने की आवश्यकता स्पष्ट की। वैश्विक स्तर की समस्याओं की पृष्ठभूमि पर यह संवाद अहम है, यह दावा जयशंकर ने किया। साथ ही वैश्वीकरण यह मौजूदा दौर का वास्तव हैं और बहुपक्षीय विश्व की कल्पना स्वीकार किए बिना सच्चे मायने में वैश्वीकरण मुमकिन नहीं हो सकता। इसके साथ ही बहुपक्षीय एशियाई महाद्वीप के बिना बहुपक्षीय विश्व की कल्पना वास्तव में नहीं उतरेगी, यह दावा भी जयशंकर ने किया।

‘ईआईपीएमएफ’ की बैठक के लिए चीन को आमंत्रित नहीं किया गया। इंडोपैसिफिक क्षेत्र में चीन की जारी विस्तारवादी हरकते एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्चस्व स्थापित करने के लिए शुरू कोशिशों के मद्देनज़र इस बैठक में चीन को शामिल नहीं किया गया। बल्की चीन से संभावित खतरा ही इस बैठक का प्रमुख मुद्दा होने की बात दिख रही है। वैश्विक स्तर पर इस समस्या की तीव्रता बढ़ रही हैं और तभी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों से यूरोपिय महासंघ का संवाद अधिक अहमियत है, यह विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा।

कोरोना का दौर और उससे सप्लाई चेन से संबंधित उभरी समस्याओं का दाखिला भी जयशंकर ने इस दौरान दिया। उत्पाद एवं अर्थकारण एक ही जगह पर केंद्रीत करने से काफी बड़ा खतरा उठाना पड़ता है। इस खतरे से बचना है तो उत्पाद के लिए अधिक भरोसेमंद और सख्त सप्लाई चेन विकसित करना आवश्यक है, ऐसा जयशंकर ने आगे कहा।

कोरोना फैलाव के बाद विश्व की फैक्टरी समझे जा रहे चीन का उत्पादन बाधित हुआ था। इसका वैश्विक उत्पादन पर असर हुआ था। चीन ने अपनी अहमियत बढ़ाकर विश्व को बंधक बनाने के लिए जानबूझकर यह करवाया, ऐसे आरोप भी लगाए गए थे। इस पृष्ठभूमि पर विदेश मंत्री जयसंकर भरोसेमंद और संकटों के सामने ना झुकने वाली मज़बूत सप्लाई चेन विकसित करने का सुझावा देते दिखाई दे रहे है। भारत वैश्विक उत्पाद का चीन के अभिक विश्वासार्ह केंद्र बनेगा, ऐसे संकेत इसके ज़रिये विदेश मंत्री जयशंकर ने दिए हैं।

इसी बीच, इस बैठक में शामिल फ्रान्स, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, बल्गेरिया, साइप्रस, लाटविया, लिथुआनिया, रोमानिया और स्वीडन इन नौ देशों के विदेश मंत्रियों से जयशंकर की द्विपक्षीय चर्चा होने का वृत्त है। यूक्रेन युद्ध, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिति के साथ ही आर्थिक सहयोग यह इन देशों की चर्चा का अहम मुद्दा रहने की बात कही गई है। 

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