भारत के खिलाफ ‘माईंड गेम’ चल रहा है – ‘प्रेस फ्रीडम इंडेक्स’ पर विदेश मंत्री जयशंकर का आरोप

मैसूर – ‘प्रेस फ्रीडम इंडेक्स’ यानी पत्रकारिता को स्वतंत्रता बहाल करनेवाले देशों की सुचि में भारत को १६१ वां स्थान देने का पराक्रम ‘रिपोर्टस्‌‍ विदाऊट बॉर्डर’ नामक संगठन ने किया है। इस सुचि में अफ़गानिस्तान को भारत से भी आगे १५२ वां स्थान दिया गया है। इससे अफ़गानिस्तान में पत्रकार और माध्यम भारत से भी अधिक स्वतंत्र होने का दावा यह संगठन करती दिख रही है। थोड़ी सी भी विश्वासार्हता ना होने वाले इस क्रम पर भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने जोरदार तमाचा जड़ा है। अफ़गानिस्तान से भी भारत अधिक ड़रावना है क्या, यह सवाल करके जयशंकर ने यह ‘माईंड गेम’ यानी प्रचार नीति का हिस्सा होने की आलोचना की। साथ ही भारत एक पत्रकारिता पर बिल्कुल भी नियंत्रण ना रखनेवाला देश है, ऐसा पुख्ता बयान भी विदेश मंत्री जयशंकर ने किया। 

‘माईंड गेम’जो देश हमें पसंद नहीं हैं, लेकिन, दूसरों को काफी पसंद हैं उनका दुष्प्रचार इसी तरह से करने की कोशिश होती है, ऐसा विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा। कुछ लोग जानबूझकर भारत के खिलाफ ऐसी हरकतें कर रहे हैं, ऐसे संकेत देकर भारत के प्रति भ्रम फैलाया जा रहा है, यह आरोप जयशंकर ने इस दौरान लगाया। कुछ हफ्ते पहले ‘वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स’ यानी विश्व के आनंदी देशों की सूची जारी की गई थी। इसमें भी भारत को जानबूझकर पीछे रखा गया था। उस समय भी विदेश मंत्री जयशंकर ने यह ‘माईंड गेम’ होने का आरोप लगाया था। इस बार सिंगापुर स्थित अपने एक दोस्त का दाखिला जयशंकर ने दिया था। भारतीय लोग यूरोपिय देशों की जनता से अधिक आनंदी होने की बात हमारे मित्र ने हमसे साझा की थी, यह जानकारी जयशंकर ने प्रदान थी।

अन्न और ईंधन की किल्लत एवं बेरोजगारी से पीड़ित पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार की जनता भारत से अधिक आनंदी होने की बात इस वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स में दर्शायी गई थी। इसकी भी विदेश मंत्री जयशंकर ने आलोचना की थी। इस तरह की सुचि जारी करनेवालों की विश्वासार्हता पर ही जयशंकर ने सवाल किए थे।

इसी बीच, यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने अमरीका और यूरोपिय देशों के दबाव का शिकार हुए बिना गुटनिरपेक्ष नीति अपनाई थी। हमारे दबाव के बावजूद भारत ने रशिया से अपना सहयोग जारी रखा, उल्टा रशिया से ईंधन खरीद काफी बढ़ाई भी, यह बात अमरीका और यूरोपिय देशों को मंजूर नहीं है। लेकिन, भारत के खिलाफ स्पष्ट भूमिका अपनाना अपने लिए महंगा साबित होगा, इसका अहसास इन देशों को हुआ है। इसी वजह से भारत के खिलाफ हर मुमकिन दुष्प्रचार करने के लिए इस तरह के ‘माईंड गेम’ किए जा रहे हैं। इसमें पश्चिमी देशों के माध्यम और कुछ भारत द्वेषी गुट शामिल दिखाई दे रहे हैं। विदेश मंत्री जयशंकर ने समय समय पर इसका अहसास कराया था।

कुछ हफ्ते पहले अपनी अमरीका यात्रा के दौरान भारत विरोधी मानसिकता बड़ी तीव्रता से सामने आने का बयान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने किया था। एक समाचार चैनल ने आयोजित कार्यक्रम में बोलते समय सीतारामन ने अमरीका में हमने भारत की आर्थिक प्रगति के दाखिले दिए और इसपर काफी समर्थन भी प्राप्त हुआ, यह कहा। लेकिन, इसके बाद आखरी सवाल पुछते हुए ‘भारत में अल्पसंख्यांक असुरक्षित हैं’, ऐसी बयानबाज़ी हुई। इससे हम चौक गए थे, यह सीतारामन ने स्पष्ट किया। भारत के अल्पसंख्यांक समुदाय सुरक्षित हैं और उनकी संख्या बढ़ रही हैं, इसपर हमने बयानबाज़ी करने वालों का ध्यान आकर्षित किया, ऐसा सीतारामन ने कहा। साथ ही भारत पर दोष लगा रहे पाकिस्तान में अल्पसंख्यांकों की संख्या प्रचंड़ मात्रा में कम हुई और वहां पर उनके उपर अत्याचार शुरू हैं, इसका अहसास भी हमने मौजुद लोगों को कराया था, यह सीतारामन ने स्पष्ट किया।

भारत से आर्थिक सहायता प्राप्त किए बिना कोई चारा नहीं है, इसका अहसास रखनेवाले पश्चिमी देश मानव अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे उठाकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश लगातार कर रहे हैं। प्रेस फ्रिडम इन्डेक्स, हैपिनेस इंडेक्स जैसी सुचि जारी करके भारत को लक्ष्य करना इन्हीं कोशिशों का हिस्सा दिखता है। लेकिन, मौजूदा भारत इस तरह के दबाव में नहीं आएगा, उल्टा इसपर मुंहतोड़ जवाब दिए बिना नहीं रहेगा, ऐसे स्पष्ट संकेत भारत का नेतृत्व दे रहा है। 

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