चीन के ‘अँट ग्रुप’ की गतिविधियों से बैंकिंग क्षेत्र में खलबली

बीजिंग – चीन के अरबपति उद्योजक जॅक मा की कंपनियों से आर्थिक क्षेत्र में जारी गतिविधियों से देश के बैंकिंग क्षेत्र में खलबली मची है। ई-कॉमर्स तथा वित्तीय तंत्रज्ञान क्षेत्र में दुनिया की अग्रसर कंपनी के रूप में जानी जानेवाली ‘अँट ग्रुप’ के माध्यम से चीन में तक़रीबन २३० अरब डॉलर्स से अधिक कर्ज़वितरण हुआ होने की जानकारी सामने आयी है। कर्ज़वितरण यह प्राय: बैंकों के काम का भाग है; ऐसे में ‘अँट ग्रुप’ के ज़रिये हुआ कर्ज़वितरण चीन के परंपरागत बैंकिंग क्षेत्र को दी चुनौती मानी जा रही है। चीन के बैंकिंग क्षेत्र पर कम्युनिस्ट हुक़ूमत का वर्चस्व होने के कारण, जॅक मा की कंपनी द्वारा जारी होनेवाला कर्ज़वितरण, इस हुक़ूमत की कार्यपद्धति का विरोध करनेवाली कृति होने की चर्चा शुरू हुई है।

‘अँट ग्रुप’

‘अँट ग्रुप’ ने कुछ महीने पहले घोषित की एक रिपोर्ट में, सालभर में चीन के लगभग ५० करोड़ लोगों को शॉर्ट टर्म कर्ज़ा देने में सहायता की होने का दावा किया गया। चुकते न हुए शॉर्ट टर्म कर्ज़ में ‘अँट ग्रुप’ ने दिए कर्ज़े का हिस्सा तक़रीबन २० प्रतिशत इतना है। कर्ज़ा उपलब्ध करा देनेवाले बैंकों में राष्ट्रीय स्तर पर के छोटे-बड़े १०० बैंकों का समावेश है। ग्राहकों की संख्या आसानी से बढ़ रही होने के कारण, बैंकों ने ‘अँट ग्रुप’ के ऍप के माध्यम से कर्ज़वितरण करने का मार्ग चुना, ऐसी जानकारी सामने आयी है।

एक ओर यह कर्ज़वितरण जारी था और उसी समय, ‘अँट ग्रुप’ के प्रमुख जॅक मा ने चीन की बैंकिंग नियंत्रक यंत्रणा तथा बड़े बैंकों की कार्यपद्धति की आलोचना करनेवाला वक्तव्य किया। बैंक और संबंधित यंत्रणा, इस क्षेत्र की नविनतापूर्ण बातों का स्वीकार करने के लिए तथा ख़तरा मोल लेने के लिए तैयार न होने का दावा उन्होंने किया। मा का यह बयान चीन के बैंकिंग क्षेत्र के साथ ही, सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत को बहुत दुखानेवाला साबित हुआ। उसकी क़ीमत भी ‘अँट ग्रुप’ को अदा करनी पड़ी। इस कंपनी द्वारा शांघाय और हाँगकाँग के शेअरबाज़ारों में दाखिल होनेवाला ‘आयपीओ’ रद करना पड़ा।

‘अँट ग्रुप’

यह घटना चीन का निजी क्षेत्र और सत्ताधारी हुक़ूमत के बीच का तनाव रेखांकित करनेवाली साबित हुई है। उसी समय, इस पृष्ठभूमि पर चीन के बैंकिंग क्षेत्र की ढ़हती स्थिति के बारे में भी फिर से चर्चा शुरू हुई। पिछले दो महीनों में चीन की पाँच बड़ी सरकारी कंपनियों ने, कर्ज़ा चुकता करने में असमर्थता ज़ाहिर की है। इन कंपनियों को अर्थसहायता की आपूर्ति करके बाहर निकालने से सत्ताधारी हुक़ूमत ने इन्कार किया है। उल्टा, ऐसी कंपनियाँ यदि डूबतीं हों, तो उनकी ओर अनदेखा करने का रवैया अपनाया जा रहा है, ऐसा सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है। चीन की मध्यवर्ती बैंक ने भी ऐसे स्पष्ट निदेश दिये हैं कि छोटे एवं मध्यम आकार के बैंक्स तथा स्थानिक प्रशासनों को ‘बेलआऊट’ नहीं मिलेगा।

कोरोना के दौर में बैंकों द्वारा दिये गए कर्ज़े में डूबे कर्ज़ों का प्रमाण बढ़ने की संभावना होते हुए, इस प्रकार के निर्देश आना ग़ौरतलब साबित होता है। आन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोश तथा जागतिक बैंक ने, चीन का बैंकिंग क्षेत्र और उसपर के कर्ज़े का बोझ इसके बारे में बार बार चेतावनियाँ दीं हैं। यदि इस समस्या पर ग़ौर नहीं किया, तो उसका झटका जागतिक अर्थव्यवस्था को लग सकता है, यह भी जताया गया है। बैंकिंग क्षेत्र के कर्ज़े की समस्या का हल निकालने के लिए आर्थिक सुधार ज़रूरी होने की सलाह भी दी गयी है।

लेकिन ‘अँट ग्रुप’ के मामले में से ये संकेत मिल रहे हैं कि चीन की सत्ताधारी हुक़ूमत और संबंधित यंत्रणाएँ सुधारों के लिए अभी भी तैयार नहीं हैं। इसलिए आनेवाले दौर में चीन समेत जागतिक अर्थव्यवस्था पर उसके परिणाम दिखायी देंगे, ऐसी गहरी संभावना है। कोरोना के दौर में आन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर मंदी का साया मँड़रा रहा होते समय, चीन में घटित घटनाक्रम चिंता बढ़ानेवाला साबित होता है।

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