संविधान और राजघराने में सुधार, इन मुद्दों पर थाईलैंड में जारी आंदोलन की व्याप्ति बढ़ी

बँकॉक – लष्कर ने लिखे संविधान की पुनर्रचना और राजघराने में सुधार, इन मुद्दों पर थाईलैंड में जारी आंदोलन की व्याप्ति बढ़ती चली जा रही है। बुधवार को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में हजारों प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा यंत्रणाओं की परवाह न करते हुए जुलूस निकाला। इस समय राजघराने समेत सरकार के विरोध में नारेबाजी करते हुए, प्लैकार्ड्स भी दिखाए गए । थाईलैंड में पिछले साल से लोकतंत्रवादी गुटों द्वारा आंदोलन जारी होकर, इस गुट ने प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा के इस्तीफे की भी माँग की है।

Thailand-Scopeपिछले साल फरवरी महीने में थाईलैंड के संविधान न्यायालय ने, लोकतंत्रवादी सुधारों की माँग करनेवाली ‘फ्युचर फॉरवर्ड पार्टी’ पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए थे। इस फैसले के बाद थाईलैंड के लोकतंत्रवादी गुटों ने एकत्रित आकर आंदोलन की शुरुआत की। कोरोना महामारी के चलते आंदोलन की व्याप्ति मर्यादित की। लेकिन जुलाई से सितंबर इस कालावधि में हुए आंदोलन में लगभग एक लाख प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरने के का चित्र देखा गया। उसके बाद थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत ने इमरजेंसी की घोषणा करके, प्रदर्शनकारी गुटों के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई हाथ में ली।

इस कार्रवाई के कारण आंदोलन की तीव्रता कम होने के संकेत मिल रहे थे। लेकिन पिछले महीने में म्यानमार में हुए हुई लष्करी बगावत के विरोध में थाईलैंड के गुट फिर एक बार एकत्रित हुए। उसके बाद फिर एक बार व्यापक प्रदर्शनों की शुरुआत हुई दिख रही है। पिछले हफ्ते में थाईलैंड के ‘ग्रँड पॅलेस’ के पास हजारों प्रदर्शनकारियों ने राजघराने में सुधार लाने के मुद्दे पर जुलूस निकाला। इस समय सुरक्षा यंत्रणाओं ने की कार्रवाई में कई प्रदर्शनकारी जख्मी हुए।

Thailand-Scopeउसके बाद कोरोना की महामारी का बहाना बनाकर थाईलैंड की यंत्रणाओं ने जुलूस और प्रदर्शन गैरकानूनी होने के आदेश जारी किए। लेकिन इन आदेशों को ठुकराकर, बुधवार को राजधानी बैंकॉक में फिर एक बार व्यापक प्रदर्शन हुए। इस समय राजघराने से संबंधित सुधारों की माँग करनेवाले प्लैकार्ड ध्यान आकर्षित कर रहे थे। थाईलैंड में राजघराने का अपमान करना यह बड़ा अपराध होकर, उसके विरोध में १५ साल तक के कारावास की सजा हो सकती है। इस पृष्ठभूमि पर, राजघराने के विरोध में प्रदर्शन होना गौरतलब साबित होता है।

प्रधानमंत्री प्रयुत तथा राजघराने के विरोध में होनेवाले प्रदर्शनों को चीनविरोधी असंतोष की पृष्ठभूमि है, ऐसा भी बताया जाता है। चीन से शुरू हुई कोरोना की महामारी के कारण आग्नेय एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को जबरदस्त झटका लगा होकर, लाखों नागरिकों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। उसी समय, चीन द्वारा थाईलैंड समेत अन्य देशों में होनेवाला निवेश देखने में चाहे कितना भी आकर्षक हो, फिर भी आम जनता पर होनेवाले उसके परिणाम भयावह होने की बात सामने आ रही है।Thailand-Scope

इसीलिए जनता द्वारा चीनी निवेश और दखलअंदाजी को कड़ा विरोध हो रहा है। थाईलैंड की विद्यमान सरकार और राजघराना चीन से नज़दीकियाँ रखनेवाले माने जाते हैं। खासकर थाईलैंड के राजघराने के चीन के साथ करीबी संबंध हैं। इस कारण इन आरोपों की तीव्रता बढ़ी है।

पिछले साल थाईलैंड में प्रदर्शनों के जारी रहते, चीन के विदेश मंत्री वँग ई ने थाईलैंड के राजा की मुलाकात करके राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग का संदेश देने की बात भी सामने आई थी। प्रधानमंत्री प्रयुत ने भी पिछले छः सालों में चीनपरस्त फैसले किए होने की बात बताई जाती है।

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