‘सन २०३० तक चाँद भारत का ऊर्जास्रोत बनेगा’ : इस्रो के अनुसंधानकर्ता का दावा

नई दिल्ली, दि. १९ : पहले प्रयास में ही ‘चांद्रयान’, ‘मंगलयान’ ये अभियान सफल होने के बाद, इस्रो ने हाल ही में १०४ उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने का पराक्रम किया था| इसके बाद अब ‘इस्रो’ द्वारा, भविष्य में भारत के लिए आवश्यक रहनेवाली ऊर्जा चाँद से हासिल करने के लिये ज़ोर से कोशिशें शुरू हुई हैं| सन २०३० तक चाँद पर मिलनेवाली साधनसंपत्ति का इस्तेमाल करके, भारत के लिए आवश्यक रहनेवाली ऊर्जा हासिल हो सकेगी और इस्रो इस दिशा में कार्यरत हुआ है, ऐसा दावा ‘इस्रो’ के अग्रसर वैज्ञानिक डॉ. सिवथनू पिल्लई ने किया|

भारत का ऊर्जास्रोत‘चाँद पर रहनेवाले ऊर्जासाधनों का इस्तेमाल करने के लिए कई विकसित देश कोशिश कर रहे हैं| ऐसा ही एक प्रकल्प भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इस्रो) ने हाथ में लिया है| इस प्रकल्प के द्वारा चाँद पर की मिट्टी पृथ्वी पर लाने की दिशा में इस्रो कोशिश कर रहा है,’ ऐसा इस्रो के वरिष्ठ अन्वेषक और प्राध्यापक डॉ. पिल्लई ने कहा है| ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ के ‘कल्पना चावला स्पेस पॉलिसी डायलॉग’ कार्यक्रम में उन्होंने यह जानकारी दी|

भारत का ऊर्जास्रोतचाँद पर पायी जानेवाली मिट्टी में ‘हेलियम-३’ यह रासायनिक घटक बड़े पैमाने पर मौजूद है| चाँद पर पायी जानेवाली मिट्टी में से इस घटक को अलग करके और उसपर ज़रूरी प्रक्रिया करके भारत के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त हो सकती है| चाँद पर पायी जानेवाली मिट्टी में इतना ‘हेलियम’ है कि उससे पूरी दुनिया की ऊर्जा की ज़रूरत पूरी हो सकती है, ऐसा पिल्लई ने कहा|

भारत और रशिया के बीच संयुक्त मिसाईल कार्यक्रम ‘ब्रह्मोस एरोस्पेस’ के भूतपूर्व प्रमुख रहे डॉ. पिल्लई के दावे के अनुसार, इस्रो अपना लक्ष्य सन २०३० तक पूरा कर सकता है| चाँद पर खनन के लिए और इससे ‘हेलियम’ प्राप्त कर उससे ऊर्जानिर्माण करने के लिए और इस ऊर्जास्रोत को पृथ्वी पर लाने के लिये योजना बनायी जा रही होने की जानकारी उन्होंने दी| इसके लिये कम खर्च में चाँद तक पहुँचने के लिए, साथ ही, वहाँ उत्खनन के लिए बहुद्देशीय और पुन: पुन: इस्तेमाल कर सकनेवाला ‘रोबोटिक यान’ विकसित हो रहा है, ऐसा पिल्लई ने कहा| इसके आधार पर भविष्य में ‘अंतरिक्ष पर्यटन’ भी हो सकता है, ऐसा दावा भी उन्होंने किया|

इसी दौरान, इस कार्यक्रम में मौजूद रहे भारतीय सेना के ‘पर्स्पेक्टीव्ह प्लॅनिंग’ विभाग के महासंचालक लेफ्टनंट जनरल पी. एम. बाली ने इस्रो की प्रशंसा की है| ‘जीसॅट-७’ उपग्रह यह भारतीय सेना के लिए रहनेवाला पहला स्वतंत्र उपग्रह है। इस उपग्रह की सहायता से सेना द्वारा भारत की रक्षा पर अधिक बारिक़ी से ध्यान दिया जा रहा है, ऐसा बाली ने कहा|

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