‘इस्रो’ ने रचा इतिहास; एकसाथ १०४ उपग्रहों का प्रक्षेपण

श्रीहरिकोटा, दि. १५ : एकसाथ १०४ उपग्रहों को अवकाश में छोड़कर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इस्रो) ने विश्‍व कीर्तिमान रचा है| ‘इस्रो’ ने अवकाश में प्रक्षेपित किए इन उपग्रहों में से १०१ उपग्रह विदेशी हैं| इससे, व्यावसायिक उपग्रह-प्रक्षेपण के क्षेत्र में ‘इस्रो’ ने अपनी काबिलियत को साबित कर दिखाया है| ‘इस्रो’ के इस शानदार प्रदर्शन के बाद देशभर से ‘इस्रो’ के संशोधकों को बधाई दी जा रही है| ‘इस्रो’ के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने दावा किया है कि एक साथ ४०० नॅनो उपग्रहों का प्रक्षेपण करने की ‘इस्रो’ की क्षमता है|

१०४ उपग्रहों का प्रक्षेपणबुधवार को सुबह श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से ‘इस्रो’ ने भारत में निर्मित ‘पोलार सॅटेलाईट लॉन्च व्हेईकल’ (पीएसएलव्ही) इस प्रक्षेपक यान की सहायता से १०४ उपग्रह अवकाश में छोड़ने का ऐतिहासिक पराक्रम किया| अमरीका, रशिया आणि युरोप की अंतरिक्ष संशोधन संस्थाओं को भी अब तक इतनी बड़ी संख्या में उपग्रहों का प्रक्षेपण करना मुमकिन नहीं हुआ था| लेकिन ‘इस्रो’ ने अपनी क्षमता दिखाई है| ‘इस्रो’ के इस प्रक्षेपण की ओर पूरे विश्‍व का ध्यान लगा था|

बुधवार को ‘इस्रो’ ने प्रक्षेपित किए उपग्रहों में भारत का हवामान उपग्रह ‘ कार्टोसॅट-२’ भी शामिल था| उसीके साथ, ‘आएनएस-१ए’ और ‘आयएनएस-१बी’ ये दो नॅनो भारतीय उपग्रह भी थे| अमरीका के ९६ उपग्रहों के साथ इस्रायल, कझाकस्तान, नेदरलँड, स्वित्झर्लंड और संयुक्त अरब अमिरात इन देशों के नॅनो उपग्रह भी शामिल थे|

अंतरिक्ष क्षेत्र में अमरीका की निजी संस्थाएँ फिलहाल ‘इस्रो’ को मिली इस कामयाबी से घबराई हुईं हैं| कम खर्चे में ‘इस्रो’ ने रची इस मुहिम की वजह से, अमरीकी अवकाश संस्थाओं को झटका लगा है, ऐसा दिखाई दे रहा है| इस वजह से अमरिकी उपग्रहों का प्रक्षेपण भारत से न किया जाए, ऐसी नीति अमरिकी सरकार ने तैयार करनी चाहिए, ऐसी जोरदार माँग ये संस्थाएँ अमरीका सरकार के पास कर रही हैं| इस पार्श्‍वभूमि पर ‘इस्रो’ ने, बुधवार को अमरीका की दोन कंपनियों के ९६ उपग्रहों का अंतरिक्ष में प्रक्षेपण किया है| यह विशेष लक्ष्यवेधी घटना है|

व्यवसायिक उपग्रह प्रक्षेपण क्षेत्र में कदम रखनेवाली इस्रो से संलग्न ‘अँट्रीक्स’ ने, पिछले साल अमरिका, इस्रायल, कझाकस्तान, नेदरलँड, स्वित्झर्लंड और युएई इन देशों के साथ उपग्रह प्रक्षेपण के लिए समझौते किए थे| इनमें अमरीका के दोन बड़े उपग्रह भी थे| भारत के ‘ कार्टोसॅट-२’ और अमरीका के दो बड़े उपग्रहों के साथ ८३ उपग्रहों का प्रक्षेपण इस्रो जनवरी में करनेवाली थी| लेकिन अमरीका ने इन दो उपग्रहों का प्रक्षेपण न करने का फ़ैसला किया| इस वजह से अमरीका के दो उपग्रहों के लिए अवकाश यान में इस्रो ने बनाई हुई जगह खाली हो गई थी| इस जगह का क्या करना है, यह सवाल खड़ा हुआ था| इस वजह से ‘काट्रोसॅट-२’ का प्रक्षेपण करने का फ़ैसला किया गया| इसके लिए, मूल टाइम-टेबल के अनुसार जनवरी महिने में होनेवाले प्रक्षेपण को स्थगित किया गया| तभी अमरिकी कंपनियों द्वारा और २० नॅनो उपग्रहों का प्रक्षेपण करने के लिए इस्रो से संपर्क किया गया| इस वजह से दो बड़े उपग्रहों का समझौता ख़ारिज होने की वजह से रिक्त हुई जगह में ‘ कार्टोसॅट-२’ के साथ अमरीका के इन २० नॅनो उपग्रहों को बिठाया गया| इस वजह से उपग्रहों की संख्या बढ़कर १०४ हुई| सन २०१४ में रशियन अंतरिक्ष संस्था ने ३७ उपग्रहों को प्रक्षेपण किया था| एकसाथ इतनी बड़ी संख्या में उपग्रहों का प्रक्षेपण करने का यह पहला अवसर था| अमरीका के नासा ने भी इससे पहले २९ उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण किया था| इस्रो ने सन २०१५ में एक साथ २० उपग्रहों का प्रक्षेपण करके, हम भी इस क्षेत्र में किसी से कम नहीं हैं, यह दिखाया था|

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