मौसम विभाग ‘मलेरिया’ का भी अनुमान जताएगा

नई दिल्ली – देश में मौसम का अनुमान बतानेवाला मौसम विभाग इसके आगे मानसून के दौरान फैलनेवाले मलेरिया का अनुमान भी बताएगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम.राजीवन ने यह जानकारी साझा की है। इसके लिए नागपूर में हुए अनुसंधान का इस्तेमाल किया जाएगा, यह जानकारी भी राजीवन ने बतायी।

Malaria-diseaseभारतीय विज्ञान अकादमी ने ‘रिसेन्ट एडव्हान्सेस इन वेदर ॲण्ड क्लायमेट प्रेडिक्शन्स’ विषय पर आयोजित किए कार्यक्रम के दौरान एम.राजीवन बात कर रहे थे। ‘मौसम विभाग ने, मच्छरों के कारण फैलनेवाली बीमारियों का अध्ययन करना शुरू किया है। इसमें संक्रमण की बीमारियों का, मान्सून की बारिश और तापमान से कुछ संबंध है या नहीं, इस विषय पर अनुसंधान किया गया। नागपूर से मलेरिया से संबंधित प्राप्त हुई जानकारी का इस्तेमाल किया गया। यही पद्धति अन्य जगहों पर भी उपयोग में लायी जा सकती है। इससे मलेरिया की महामारी का कहाँ पर बड़ी मात्रा में फैलाव होगा, इसका अनुमान अगले मान्सून से जताना संभव होगा’ यह विश्‍वास राजीवन ने व्यक्त किया है। इस तकनीक का इस्तेमाल डेंग्यू एवं कॉलरा के फैलाव का अनुमान लगाने के लिए भी हो सकता है, यह दावा भी उन्होंने किया।

M-rajivanदेश में सन २००१ में मलेरिया के २८ लाख मरीज़ देखें गए थे। सन २०१८ में यही संख्या घटकर ४ लाख तक पहुँची है। देश में मलेरिया के मरीज़ों की संख्या में कमी होती हुई दिख रही है। लेकिन, देश में पहाड़ी, वन, आदिवासी इलाकों में मलेरिया की मात्रा अभी भी सबसे ज्यादा है। इसमें ओड़िशा, छत्तीसगड़, झारखंड़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ईशान्य के त्रिपुरा, मेघालय और मिज़ोराम जैसे राज्यों का समावेश है। इस समय राजीवन ने, मौसम विभाग के अन्य मुद्दों पर भी ध्यान आकर्षित किया।

मौसम का अनुमान जताने के लिए भारत ने ‘हाय परफॉर्मन्स कॉम्प्युटिंग’ (एचपीसी) का इस्तेमाल शुरू किया है और फिलहाल इसकी क्षमता १० ‘पेटाफ्लॉप्स’ है। इसे ४० ‘पेटाफ्लॉप्स’ तक बढ़ाया जा रहा है, जिससे मौसम का अनुमान अधिक सटिकता के साथ जताना संभव होगा, ऐसा राजीवन ने कहा। ‘एचपीसी’ तकनीक का इस्तेमाल कर रहें देशों में अमरीका, जापान और ब्रिटेन के बाद अब भारत का समावेश हुआ है। मौसम विभाग ने ‘नैशनल मान्सून मिशन’ और ‘एचपीसी’ के लिए अबतक कुल ९९० करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

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