माओवादियों को संघर्षविराम चाहिए

भुवनेश्वर – ओडिशा के माओवादियों ने सरकार के सामने संघर्षविराम का प्रस्ताव रखा है। कोरोनावायरस का फैलाव देशभर में हुआ है। इस पार्श्वभूमि पर माओवादियों का प्रभाव होनेवाले दुर्गम क्षेत्र में दवाइयों की सप्लाई प्रशासन कर सकें इसलिए हम यह संघर्षबंदी कर रहे हैं, ऐसा माओवादियों ने कहा है। लेकिन कुछ माओवादी कोरोना से संक्रमित हुए होने की संभावना जतायी जा रही है और इसी कारण गाँववालों का बहाना बनाकर, माओवादी इस भाग में दवाई सप्लाई की भाषा कर रहे हैं, ऐसा शक़ उपस्थित किया जा रहा है।

माओवादियों ने ध्वनिफीत तथा एक पत्रक के द्वारा, वैद्यकीय पथक भेजनी की माँग सरकार के पास की है। ‘जंगल में तथा दुर्गम इलाक़े में रहनेवाले नागरिकों के लिए वैद्यकीय पथक भेजें। यदि जवानों ने माओवादियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की, तो माओवादी भी हमलें नहीं करेंगे’ ऐसा माओवादियों ने कहा है। माओवादियों की मलकानगिरी-कोरापुट-विशाखा विभागीय समिति (एमकेव्हीडीसी) के सचिव ने यह माँग की है। साथ ही, उनके संगठन में किसी को भी कोरोना का संक्रमण नहीं हुआ है, ऐसा दावा भी ऑडिओ में किया गया है।

लेकिन दो हफ़्तें पहले सुरक्षादल के जवानों पर हमला करनेवाले माओवादियों द्वारा, संघर्षविराम की भाषा बोली जाना, इसपर शक़ जताया जा रहा है। कोरोनावायरस का फैलाव हो रहा होने के कारण माओवादी चिंताग्रस्त हुए हैं, यह साफ़ साफ़ दिखायी दे रहा है। माओवादियों में भी कोरोना का संक्रमण हुआ होगा, ऐसी संभावना इस कारण व्यक्त की जा रही है। गाँववालों का बहाना बनाकर, उनकी आड़ में माओवादी अपने लिए ही सहायता माँग रहे हैं, ऐसा दावा किया जा रहा है।

वहीं, हिंसाचार को रोकने के लिए माओवादियों पर स्थानिक स्तर पर से दबाव बढ़ रहा होगा। यह भी कारण हो सकता है जिससे कि हिंसाचार रोकने की भाषा माओवादी बोल रहे हैं, ऐसा बस्तर रेंज के पुलीस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. टी. ने कहा।

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