रुपये से कारोबार करने के लिए कई देश उत्सुकता दिखा रहे हैं – केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन

नई दिल्ली – यूक्रेन युद्ध के बाद अमरीका ने रशिया के कारोबार में डॉलर का इस्तेमाल करने पर रोक लगायी थी। इससे भारत और रशिया के कारोबार को नुकसान ना पहुँचे, इसके लिए दोनों देशों ने रुपया-रुबल से कारोबार शुरू किया था। लेकिन, मौजूदा दौर में कारोबार करने के लिए भारत के रुपये का इस्तेमाल करने के लिए कई देश उत्सुक हैं, ऐसा केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा हैं। इसके लिए रिज़र्व बैंक ने उचित समय पर आवश्‍यक निर्णय किए, इस वजह से अन्य देशों को रुपये का इस्तेमाल करके कारोबार करना आसान होगा, ऐसा कहकर सीतारामन ने इसपर संतोष व्यक्त किया। वित्तमंत्री यह दावा कर रही थी, तभी प्रमुख आर्थिक सलाहकार व्ही. अनंत नागेस्वरन ने यह विश्‍वास व्यक्त किया कि, सरकार ने रुपया का बचाव करने की आवश्‍यकता नहीं हैं और अपना ध्यान रखने में रुपया समर्थ हैं।

रुपये से कारोबारनई दिल्ली में आयोजित एक परिषद में बोलते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री सीतारामन ने ने रशिया के बाद अन्य देश में कारोबार में रुपये का इस्तेमाल करने के लिए उत्सुक होने की जानकारी साझा की। यह बात भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक खुली करने के लिए सहायक साबित होगी। इस वजह से अन्य देशों के साथ भारत का व्यापार अधिक बढ़ेगा, ऐसें संकेत वित्तमंत्री ने दिए। रिज़र्व बैंक ने समय पर उठाएँ कदमों की वजह से अन्य देशों को रुपये से कारोबार करना आसान होगा, यह दावा वित्तमंत्री ने किया। साथ ही भारत ने डिजिटायझेशन के लिए किए निर्णय अन्य देशों के साथ कारोबार में रुपये का इस्तेमाल करने के लिए काफी उपयुक्त साबित हो रहा हैं, ऐसा कहकर वित्तमंत्री सीतारामन ने इसपर संतोष व्यक्त किया।

कोरोना की महामारी खत्म होने के बाद भारत ने दायरे के बाहर का विचार करके अर्थकारण सामान्य करने के लिए कदम उठाएँ थे। इनमें अन्य देशों से कारोबार करते समय भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक खुली करने की नीति का समावेश था। इसके लिए भारत ने अपने ‘डिजिटल प्लैटफॉर्म्स’ का अधिक प्रभावी इस्तेमाल किया और अन्य देशों के साथ कारोबार करते समय इससे बड़ा लाभ हुआ, ऐसा सीतारामन ने कहा। प्रमुख देश और अंतरराष्ट्रीय निवेषक भारतीय अर्थव्यवस्था पर अधिक विश्‍वास दिखाकर यहां पर निवेष कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारतीय उद्योगक्षेत्र अभी भी उत्पादन क्षेत्र में निवेश करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं, ऐसी शिकायत भी सीतारामन ने इस दौरान की। भारत के उद्योगक्षेत्र को अपने सामर्थ्य का विस्मरण हुआ है क्या, यह सवाल भी इस दौरान सीतारामन ने किया।

रुपये से कारोबारइसी बीच भारत ने पाकिस्तान को छोड़कर रशिया समेत अपने पड़ोसी देशों के साथ कारोबार करते समय रुपये का इस्तेमाल किया तो भी हर वर्ष भारत करीबन ३० से ३५ अरब डॉलर्स विदेशी मुद्रा की बचत करेगा, ऐसें दावे कुछ आर्थिक विशेषज्ञों ने किए थे। इस वजह से भारत के अन्य देशों के साथ जारी व्यापार और कारोबार में रुपये का समावेश होना काफी बड़ी बात बनती हैं। इस वजह से भारतीय मुद्रा का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी मात्रा में इस्तेमाल शुरू हो सकता हैं। अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं और इसी दौरान भारतीय मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति प्राप्त होने की राह भी इससे अधिक चौड़ी हो जाएगी।

इसी बीच, देश के प्रमुख आर्थिक सलाहकार व्ही.अनंत नागेस्वरन ने रुपया को लेकर काफी अहम ऐलान किया। डॉलर की तुलना में युरो, येन एवं विश्‍व के अन्य प्रमुख देशों की मुद्राओं की गिरावट हो रही हैं और ऐसें में भारत को रुपये का बचाव करने की ज़रूरत नहीं, ऐसा नागेस्वरन ने कहा हैं। बाज़ार ही रुपये का मुल्य निर्धारित करेगा, इसमें हस्तक्षेप की ज़रूरत ना होने का दावा उन्होंने किया। यह बात भारत का अपनी मुद्रा पर विश्‍वास व्यक्त करनेवाली साबित होती हैं। दूसरें देश की मुद्रा का कारोबार में इस्तेमाल करते समय उस मुद्रा का मुल्य निर्धारित करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप ना हो, ऐसी माँग अन्य देश करते हैं। इस पृष्ठभूमि पर भारत के प्रमुख आर्थिक सलाहकार ने रुपये के बचाव की ज़रूरत ही नहीं हैं, ऐसा कहकर अन्य देशों को रुपया अधिक विश्‍वासार्ह और सुरक्षित होने का संदेश दिया है।

वित्तमंत्री और प्रमुख आर्थिक सलाहकार यह संदेश दे रहे हैं और इसी बीच अमरीका की यात्रा के दौरान वाणिज्यमंत्री पियुष गोयल ने भी ध्यान आकर्षित करनेवाला बयान किया हैं। डॉलर की तुलना में प्रमुख देशों के मुद्राओं की गिरावट जारी हैं और तभी भारत का रुपया सबसे अधिक मात्रा में अपनी क्षमता साबित कर रहा हैं, ऐसा पियुष गोयल ने कहा हैं। इस वजह से रुपये की गिरावट की ओर ध्यान दिए बिना निर्यातक अपने उत्पादन के दर्जे पर और ग्राहकों की ज़रूरतों पर अधिक ध्यान केंद्रीत करें, ऐसी सलाह भी पियुष गोयल ने दी हैं।

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