जोसेफ लिस्टर (१८२७-१९१२)

joseph listerधरती पर मानव हजारों सालों से प्रगति की राह पर चल रहा था। फिर भी प्रगति की राह पर खुद का बचाव और संवर्धन करते हुए उस ने विज्ञान को शस्त्र और शास्त्र के रूप में अपनाया, इस्तेमाल किया। किसी ने यंत्र खोजे, किसी ने सिद्धांत प्रस्तुत किए, तो किसी ने तकनीकों की खोज की।

ब्रिटिश वैज्ञानिक जोसेफ लिस्टर ने कीटाणुओं को मारने की अर्थात कीटाणुरहित तकनीक विकसित की। उन्नीसवीं शताब्दी के आरम्भ तक सर्वाधिक ऑपरेशन्स के अंत में मरीजों की मृत्यु हुआ करती थी। ऑपरेशन कामयाब होने के बावजूद कुछ ही दिनों में मरीजों के जख्म खराब हो जाते थे, और उस पर यदि जख्म सड जाती तो फिर से ऑपरेशन करके वह अंग या उतना भाग काटना पडता था। इतना करने पर भी कई बार थोडीसी अवधि में ही मरीज की मृत्यु हो जाती थी। ऐसी क्लेशदायक परिस्थिति को बदलने के कारण बने, आधुनिक किटाणुरहित ऑपरेशन के जनक माने जाने वाले वैज्ञानिक जोसेफ लिस्टर।

जोसेफ लिस्टर का जन्म ४ अप्रैल १८२७ को हुआ। उनके पिता जोसेफ जैकसन लिस्टर भैतिकविशेषज्ञ थे। जोसेफ लिस्टर ने लंदन के युनिवर्सिटी कॉलेज से आर्टस की डिग्री हासिल की। तत्पश्‍चात उन्होंने उसी कॉलेज में वैद्यकिय शिक्षा पाने की ठानी। उस समय के प्रसिद्ध शस्त्रक्रिया विषय के प्राध्यापक एवं शरीरविज्ञान विशेषज्ञ (फिजिओलॉजिस्ट) विल्यम शार्पे से उन्होंने शिक्षा पाई। पहले से ही होनहार जोसेफ ने सन १८५२ में उच्च श्रेणी में वैद्यकिय डिग्री हासिल की।

अक्तूबर १८५६ में सहायक सर्जन के रूप में एडिनबर्ग रॉयल अस्पताल में उन्होंने अपना कार्य शुरु किया। उस समय के प्रख्यात स्कॉटिश ऑपरेशनविशेषज्ञ जेम्स साईम की बेटी ऍग्नेस से उनका विवाह हुआ। ऍग्नेस को फ्रेंच भाषा अवगत थी और उस के इस ज्ञान का जोसेफ को बहुत लाभ हुआ। सन १८६१ में उनकी ग्लैसगो रॉयल अस्पताल में सरजन की हैसियत से, तथा नए ऑपरेशन विभाग की इमारत के प्रमुख की हैसियत से नियुक्ति हुई।

उन दिनों जोसेफ के ध्यान में आया कि, सन १८६१ से १८६५ के दौरान ऑपरेशन किए हुए ४० से ५० प्रतिशत मरीज मर गए। लिस्टर ने निरीक्षण किया तो उनके ध्यान में यह बात आई कि, जख्म सडना, पस होने का कारण कि जख्म में कीटाणु निर्माण होना नहीं है बल्कि हवा में मौजूद किटाणुओं का जख्म से संपर्क होता है और वहां पर कीटाणु बढते होंगे। उन कीटाणुओं का नाश करनेवाले किसी असरदार रसायन का उपयोग करने का सोचकर वे कार्बोलिक ऐसिड का इस्तेमाल करने में कामयाब हुए।

अगस्त १८६५ में लिस्टर ने पहली बार एक मरीज की जख्म पर उपचार करके कार्बोलिक ऐसिड का बदबूवाला कीटाणुनाशक ऐसिड इस्तेमाल किया। जख्म पर इस ऐसिड का मोटा लेप लगाकर उन्होंने जख्म पर ड्रेसिंग की। यह ऐसिड दाहक होने की वजह से जख्म के आसपास की त्वचा पर फन्सियां हो गईं और मरीज को तकलीफ हुई, मगर उसका जख्म भर गया।

तदुपरांत लिस्टर ने कार्बोलिक ऐसिड के उपचार में सुधार किए। ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल होनेवाले औजार, सामग्री को इस ऐसिड में धोकर किटाणुरहित किया जाने लगा। ऑपरेशन का भाग, मरीज का शरीर और आसपास के वातावरण में इसके फवारे मारने के तरीके उन्होंने शुरु कि। ऑपरेशन के मरीजों की मृत्यु का प्रमाण ३० से ४० प्रतिशत घट गया।

Joseph Lister

आरम्भ में लिस्टर के इस तरीके की वजह से वैद्यकीय विद्यार्थी, नर्स, अन्य विशेषज्ञ बदबू की वजह से परेशान हो जाते थे। और अनेक शस्त्रवैद्यों द्वारा इस कीटाणुनाशक तरीके का विरोध हुआ। लिस्टर पर बहुत टीकाएं होने लगी। धीरे धीरे अन्य लोग भी इस तरीके को अपनाने लगे। सन १८७० में फ्रैन्को-पर्शियन युद्ध के दौरान जख्मी सैनिकों की जान बचाई गई। इस के बाद लिस्टर के चिकित्सालय में जिज्ञासु विद्यार्थियों व अन्य मिलने आनेवाले लोगों का तांता लगा रहता था।

सन १८७५ में लिस्टर जर्मनी के प्रमुख ऑपरेशन केंद्र में गए। बोस्टन व न्युयॉर्क शहरों में उनका उत्साहपूर्वक स्वागत किया गया। लिस्टर को उनके कार्य की वजह से कई सम्मान मिले।

सामाजिक मान्यता, आर्थिक पुरस्कार की चाह उन्हें कभी भी नहीं थी। सन १८९२ में उनकी पत्नी के निधन के बाद वे डॉक्टरी व्यवसाय से निवृत्त हो गए।

सन १८९५ से १९०० के दौरान उन्होंने रॉयल सोसायटी के अध्यक्ष पद पर कार्य किया। १० फरवरी १९१२ को उनका निधन हुआ। लंदन में सन १८९१ में स्थापित ‘इन्स्टिट्यूट ऑफ प्रिव्हेंटिव्ह मेडिसिन’ संस्था के रूप में उनकी स्मृति चिरंतन रखी जा रही है।

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