ताइवान में जूइश सांस्कृतिक केंद्र शुरू – ताइवान के उप-राष्ट्राध्यक्ष लाई चिंग-ते की उपस्थिति

ताइपे – ताइवान की राजधानी ताइपे में जूइश का बहुउद्देशीय सांस्कृतिक केंद्र शुरू हुआ है। ‘ताइवानी और जूइश मानव अधिकार एवं स्वतंत्रता के मूल्यों का सम्मान करते हैं। इसकी वजह से यह केंद्र ताइवानी और यहूदियों की संस्कृति के बीच समन्वय बढ़ानेवाला साबित होगा’, यह विश्‍वास ताइवान के उप-राष्ट्राध्यक्ष लाई चिंग-ते ने व्यक्त किया। इसके साथ ही यह स्थान जूइश और ताइवानी जनता को और करीब लाएगा, यह दावा इस केंद्र की स्थापना करनेवाले उद्यमी जेफ्री डी. श्‍वार्ट्ज़ ने किया। ताइवान में स्थित जू धर्मियों का यह केंद्र इस्रायल और ताइवान के सहयोग का विश्‍व में ऐलान करने की शुरूआत दिख रही है।

जूइश सांस्कृतिक केंद्रपिछले कुछ वर्षों के दौरान ताइवान में अपना कारोबार बढ़ानेवाले उद्यमी जेफ्री श्‍वार्ट्ज़ ने पिछले हफ्ते जूइश सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण किया। अपनी संस्कृति, परंपरा, शिक्षा और धार्मिक रुढ़ी की पहचान कराने के लिए इस केंद्र की स्थापना करने की बात श्‍वार्ट्ज़ ने स्पष्ट की। लेकिन, यह बात सांस्कृतिक केंद्र से भी आगे की है और ताइवानी जनता का सामर्थ्य और जूइश जनता की खासियत से मेल करने के लिए इसका इस्तेमाल होगा, यह अहम दावा भी श्‍वार्ट्ज़ ने किया।

‘विश्‍वभर के जू धर्मी फॉर्मोसा द्विप के मूल्य और सौंदर्य देख लें। साथ ही ताइवान के लिए वैश्विक कारोबार के अवसर उपलब्ध कराना, हमारी इच्छा है’, ऐसा श्‍वार्ट्ज़ ने कहा। लगभग एक शतक पहले यूरोपिय दर्यावर्दी ने ताइवान का ज़िक्र ’फॉर्मोसा’ कहकर किया था। बिल्कुल दूसरे विश्‍वयुद्ध तक कुछ कारोबारों में ताइवान का ज़िक्र फॉर्मोसा के तौर पर ही होता था। इस वजह से जूइश उद्यमी ने ताइवान का पूराने नाम से ज़िक्र करके अलग ही संकेत दिए हुए दिख रहे हैं।

जूइश सांस्कृतिक केंद्रताइवान में स्थित इस्रायल के प्रतिनिधि ओमेर कैस्पी ने भी जूइश सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण का स्वागत किया। ताइवान में स्थित जू धर्मियों के लिए यह ध्यान आकर्षिकत करनेवाली बात होने का बयान कैस्पी ने किया। दूसरे विश्‍वयुद्ध के दौर में विश्‍वभर में जिन चुनिंदा स्थानों पर जू धर्मी सुरक्षित थे, इनमें ताइवान का समावेश है। इस वजह से यह केंद्र ताइवान में मौजूद इस्रायल के हितों का प्रतिनिधित्व करता है, ऐसा कैस्पी ने कहा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताइवान और इस्रायल ने एक-दूसरे को स्वीकृति नहीं दी है। फिर भी दोनों देशों के बीच आर्थिक एवं व्यापारी सहयोग जारी है। इसके अलावा इस्रायल और ताइवान के बीच खुफिया सैन्य सहयोग होने की खभरें भी प्राप्त हुईं थी। इस्रायल ने ताइवान को ‘अर्थ रोमिंग ऑब्ज़र्वेशन सिस्टम’ प्रदान करने के दावे किए गए थे। लेकिन, दोनों देशों ने यह कभी नही कबूली।

इसी बीच, पिछले कुछ हफ्तों से चीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्रायल के खिलाफ भूमिका अपनाना शुरू किया है। पैलेस्टिन एवं ईरान के मुद्दे पर चीन इस्रायल विरोधी गुट में शामिल होने की बात पिछले वर्ष स्पष्ट हुई थी। साथ ही इस्रायल पर हुए सायबर हमलों के पीछे भी चीन के होने के आरोप हुए थे। ऐसे में पिछले महीने अमरीका और लिथुआनिया के जूइश गुटों ने झिंजियांग के उइगरवंशियों पर अत्याचारों के मामले में चीन के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाई थी। अमरीका का बायडेन प्रशासन और अंतरराष्ट्रीय समूदाय चीन के खिलाफ कार्रवाई करे, यह माँग इन जूइश गुटों ने की थी।

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