यूक्रेन मामले में भारत की आलोचना कर रहें यूरोपिय देशों को विदेशमंत्री जयशंकर का करारा जवाब

ब्रतिस्लावा – यूक्रेन के युद्ध में भारत किसी के भी पक्ष में खड़े हुए बिना बाड़ पर बैठा होने की आलोचना यूरोपिय देश कर रहे हैं। यूरोपिय देशों का दौरा कर रहें विदेशमंत्री जयशंकर ने इसका क़रारा जवाब दिया। भारत बाड़ पर नहीं, बल्कि अपनी भूमिका पर कायम है, ऐसा जयशंकर ने ड़टकर कहा। इसके अलावा भारतीय विदेशमंत्री ने यूरोपिय देशों को इसकी भी याद दिलायी कि पहले कई अहम मुद्दों पर यूरोप ने भी मौन रखा था। यूरोप की समस्या यानी विश्व की समस्या बनती है, लेकिन विश्व की समस्या हमारी समस्या नहीं, ऐसी मानसिकता यूरोप रखता है, ऐसे स्पष्ट शब्दों में विदेशमंत्री जयशंकर ने यूरोपिय देशों की आत्मकेंद्रित नीति को लक्ष्य किया।

स्लोवाकिया और झेक रिपब्लिक का दौरा कर रहें विदेशमंत्री जयशंकर स्लोवाकिया की राजधानी ब्रातिस्लावा में ‘ग्लोबसेक फोरम’ नामक चर्चा सत्र में शामिल हुए थे। यूक्रेन युद्ध में भारत ने अपनायी तटस्थ नीति यूरोपिय देशों को मंजूर नहीं। भारत की तटस्थता रशिया के लिए फ़ायदेमन्द साबित होती है, ऐसे आरोप यूरोपिय देश लगा रहे हैं। यूक्रेन युद्ध में भारत किसी के भी पक्ष में खड़े हुए बिना बाड़ पर बैठा होने का ऐतराज़ अमरीका और कुछ यूरोपिय देशों ने जताया था। साथ ही, आज रशिया के हमले के कारण यूक्रेन की जो स्थिति बनी हैं, वैसी ही स्थिति चीन की हरकतों की वजह से भारत की भी हो सकती है, ऐसा कहकर यूरोपिय देश भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। इन सभी ऐतराज़ों और चेतावनियों को विदेशमंत्री जयशंकर ने सटीक शब्दों में जवाब दिया।

यूक्रेन युद्ध में भारत, यूरोपिय देशों को अनुकूल भूमिका अपनाता नहीं, इसके लिए यूरोपिय देश भारत की आलोचना कर रहे हैं। लेकिन, इससे पहले कई बार कई बड़े अहम मुद्दों को अनदेखा करके यूरोपिय देशों ने मौन रखा था। यूरोप की समस्या ही विश्व की समस्या बनती है, लेकिन, विश्व की समस्या यूरोप की समस्या नहीं हो सकती, ऐसी मानसिकता यूरोपिय देश रखते हैं, ऐसा सख्त बयान भारतीय विदेशमंत्री ने किया। एशियाई महाद्वीप में हुई कई घटनाओं पर यूरोप ने मौन रखा था। इस वजह से एशियायी देश यूरोप का भरोसा करने के लिए तैयार नहीं। ऐसा क्यो हो रहा है, इसपर यूरोप ने साथ मिलकर सोचना होगा, ऐसी फटकार जयशंकर ने लगायी।

यूक्रेन पर रशिया ने किए हमले का, चीन की भारतविरोधी गतिविधियों से संबंध जोड़ने की यूरोपिय देशों की हो रही कोशिश का भी जयशंकर ने मज़ाक उड़ाया। ‘एक स्थान पर शुरू संघर्ष में हम किसी एक का पक्ष लेते हैं, तो दूसरें स्थान पर भड़के संघर्ष में कोई हमारें पक्ष में नहीं खड़ा होगा, ऐसा तर्क मान्य होने लायक नहीं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह से व्यवहार नहीं होता’, ऐसी फटकार भी विदेशमंत्री जयशंकर ने लगायी। साथ ही, यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले ही चीन ने भारत के विरोध में कार्रवाइयाँ की थीं, इसका यूक्रेन या रशिया से कुछ भी संबंध नहीं था, ऐसा जयशंकर ने आगे कहा।

फिलहाल भारत और चीन के संबंधों में तनाव होने के बावजूद इसका सामना करने का साहस भारत रखता है, इसका एहसास विदेशमंत्री जयशंकर ने यूरोपिय देशों को कराया। साथ ही यूरोपिय देश दावा कर रहे हैं, उस तरह से भारत ने यूक्रेन संघर्ष को अनदेखा नहीं किया हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदोमीर झेलेन्स्की से फोन पर स्वतंत्र  बातचीत की थी। इसे जरा भी अनदेखा कहना मुमकिन नहीं होगा, ऐसा विदेशमंत्री जयशंकर ने कहा।

इसी बीच, यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत ने अपनायी तटस्थता की नीति की अंतरराष्ट्रीय निरीक्षक सराहना कर रहे हैं। भारत को लगातार लक्ष्य करनेवाले चीन और पाकिस्तान जैसें देश भी, भारत की इस नीति की खुले मन से सराहना कर रहे हैं। सौदी अरब, यूएई समेत खाड़ी के कुछ देशों ने भारत की इस तटस्थ नीति का आदर्श सामने रखा है। इस युद्ध में रशिया या यूक्रेन में से किसी का भी पक्ष लेना मुनासिब नहीं है। राजनीतिक बातचीत से ही यूक्रेन मसले का  हल निकलेगा, ऐसा सौदी अरब ने हाल ही में कहा था। यूक्रेन का युद्ध शुरू होने के साथ ही भारत ने यही भूमिका अपनायी थी।

लेकिन, अमरीका और यूरोपिय देश भारत को रशिया के खिलाफ खड़ा करने के सपने देख रहे हैं। भारत ने रशिया विरोधी भूमिका अपनायी होती, तो इसका रशिया पर काफी बड़ा दबाव बना होता। यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ने सीधे शब्दों में यह दावा करके, इसके लिए भारत के प्रधानमंत्री से बिनती की थी। लेकिन, भारत ने यह माँग अस्वीकार करके अपनी तटस्थ नीति कायम रखी थी। अमरीका की चेतावनी और धमकियों के बावजूद भारत ने अपनी नीति में कोई भी बदलाव नहीं किया। फिर भी अमरीका और यूरोपिय देशों ने इस मामले में भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश छोड़ी नहीं हैं, यही बात स्लोवाकिया की राजधानी में आयोजित ‘ग्लोबसेक फोरम’ में स्पष्ट हुई है।

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