इस्रायल-सौदी सहयोग से इतिहास बदल जाएगा – इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू

जेरूसलम – ‘सौदी अरब सबसे प्रभावी अरब देश हैं। सीर्फ अरब खाड़ी देशों में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के मुस्लिम देशों पर भी सौदी का प्रभाव हैं। इस वजह से इस्रायल-सौदी सहयोग स्थापित हुआ तो यह सबसे बड़ी छलांग साबित होगी और इससे इतिहास ही बदल जाएगा। अरब-इस्रायल संघर्ष खत्म हो जाएगा और पैलेस्टिन-इस्रायल विवाद खत्म करने के लिए भी यह सहायक साबित होगा’, ऐसा ऐलान करके इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने ध्यान आकर्षित किया। कुछ घंटे पहले ही सौदी के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान ने हमारा देश इस्रायल के साथ सशर्त सहयोग करने के लिए तैयार है, ऐसा कहा था। इसपर इस्रायल के प्रधानमंत्री ने सौदी के सामने यह प्रस्ताव रखा दिख रहा है।

दो दिन पहले अमरीका के विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने सौदी का दौरा करके क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी। ईरान, येमन, सीरिया के मुद्दे के साथ ही इस्रायल के सहयोग को लेकर भी ब्लिंकन ने क्राउन प्रिन्स से चर्चा की थी। सौदी का दौरा करने के बाद इस्रायल पहुंचे अमरिकी विदेश मंत्री ने सौदी के साथ अब्राहम समझौते के मुद्दे पर चर्चा हुई, यह जानकारी  साझा की।

सौदी के विदेश मंत्री प्रिन्स फैसल बिन फरहान ने भी इस्रायल के साथ सहयोग स्थापित करना सौदी को यकिनन पसंत होगा, ऐसा कहा है। इस सहयोग के कारण खाड़ी क्षेत्र को बड़ा लाभ प्राप्त होगा, ऐसा दावा प्रिन्स फैसल ने किया। लेकिन, इस्रायल-पैलेस्टिन संघर्ष का मुद्दा बने द्विराष्ट्रवाद पर संतोषजनक जवाब प्राप्त होने तक इस्रायल-सौदी सहयोग के लाभ सीमित रहेंगे, ऐसा प्रिन्स फैसल ने कहा।

इसके बाद इस्रायल के प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने ब्रिटीश समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में यह दावा किया कि, इस्रायल-सौदी सहयोग काफी बड़ी छलांग साबित होगी। ‘सभी अरब देश, खास तौर पर सौदी अरब जैसे अहम देश के साथ सहयोग करने के लिए इस्रायल ने अपना हाथ आगे किया है। दोनों देशों में शांति स्थापित करने के लिए जनता का हित करने के लिए हमारे सामने काफी बड़ा अवसर हैं। इससे पहले ही इस्रायल ने यूएई, बहरीन, मोरोक्को और सूड़ान इन चार अरब देशों के साथ अब्राहम समझौता करके काफी बड़ी सफलता हासिल की है। सौदी के साथ सहयोग स्थापित हुआ तो इससे पुरा इतिहास बदल जाएगा’, इस संभावना पर प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने ध्यान आकर्षित किया।

इसके साथ ही ईरान को ठिकाने लगाने के लिए इस्रायल आवश्यक सभी कार्रवाई करेगा, ऐसी चेतावनी भी प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने दी। ‘राजनीतिक बातचीत के ज़रिये ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकने में अमरीका असफल हुई है। इस राजनीतिक बातचीत के साथ ही सैन्य कार्रवाई का दबाव भी इस्तेमाल किया होता तो मुमकिन हो, यह कोशिश कायमाब होती’, ऐसा नेत्यान्याहू ने कहा। ‘ईरान खुलेआम ६० से ७० लाख ज्यूधर्मियों का संहार करने की धमकियां दे रहा हैं और हम शांत बैठे हैं। लेकिन, परमाणु हथियारों के बलबूते पर इस्रायल को वंश संहार की धमकियां देने की गलती ईरानी नेता ना करें। इस्रायल आत्मरक्षा के लिए कोई भी कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं’, ऐसी चेतावनी प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने दी है।

इसी बीच, इस्रायल के प्रधानमंत्री ने पहले भी सौदी के साथ अब्राहम समझौता करने के संकेत दिए थे। सौदी के क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने भी इस्रायल का यह प्रस्ताव स्वीकारने में कोई भी आपत्ति ना होने का  बयान किया ता। लेकिन, उससे पहले इस्रायल   द्विराष्ट्रवाद के मुद्दे का हल निकाले, ऐसी मांग सौदी के क्राउन प्रिन्स ने की थी। सौदी अरब अपनी इस मांग पर अभी भी कायम हैं।

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