ईरान को रोकने के लिए इस्रायल-सौदी सहयोग बड़ा आवश्यक हैं – इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू

तेल अवीव – वेस्ट बैंक में ज्यूधर्मियों की बस्तियों के निर्माण कार्य के मुद्दे पर इस्रायल का खाड़ी देशों से तीव्र विरोध हो रहा है। सौदी अरब ने भी इसपर नाराज़गी जताई थी। लेकिन, ईरान को रोकना हैं तो इस्रायल और सौदी अरब का सहयोग बड़ा अहम होगा, इसका अहसास इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने कराया है। इस्रायल के सौदी के साथ सहयोग करना और ईरान को रोकना यह दोनों मुद्दे एक-दूसरें में फंसे होने का दावा प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने किया है।

इस्रायल-सौदी सहयोगपिछले कुछ दिनों से इस्रायल की सुरक्षा के लिए खतरा निर्माण होने का दावा किया जा रहा है। गाज़ापट्टी से इस्रायल पर हो रहे रॉकेट हमलों की तीव्रता बढ़ी है। वेस्ट बैंक से हमास, इस्लामिक जिहाद के आतंकवादियों द्वारा ज्यूधर्मियों पर हो रहे हमले इस्रायल के सामने खड़ी चुनौती बढ़ा रहे हैं। इस वजह से इस्रायल में नया संघर्ष छिड़ने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में ईरान का परमाणु कार्यक्रम भी खतरनाक स्तर पर पहुँचने की खबरें प्रसिद्ध हो रही हैं। ईरान के ड्रोन्स इस्रायल समेत खाड़ी देशों की सुरक्षा के लिए चुनौती साबित होंगे, ऐसा इशारा अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक दे रहे हैं।

इस पृष्ठभूमि पर मंगलवार को इस्रायल के तेल अवीव शहर में ‘हार्तोग नैशनल सिक्युरिटी कान्फरन्स’ का आयोजन किया गया था। इसमें इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू केसाथ अमरीका के पूर्व विदेश मंत्री माईक पोम्पिओ, पूर्व राजदूत डेविड फिडमन भी उपस्थित थे। इस बैठक में बोलते समय प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने इस्रायल और अरब देशों के विवाद का हल निकालने का विकल्प पेश किया।

इस्रायल-सौदी सहयोग‘सौदी अरब के सहयोग से इस्रायल राजनीतिक स्तर पर बड़ी छलांग लगाएगा। इस एक सहयोग की वजह से इस्रायल के अन्य अरब देशों के ताल्लुकात पुरी तरह से बदल जाएंगे। खाड़ी में इस्रायल का स्थान ऐतिहासिक नजरिये से बदलेगा। इसके परिणाम में इस्रायल-अरब ही नहीं, बल्कि इस्रायल-पैलेस्टिन का संघर्ष भी खत्म होगा’, ऐसा दावा प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने इस बैठक में किया।

साथ ही अरब देशों को इस्रायल से नहीं, बल्कि ईरान से सबसे बड़ा खतरा होने की बात इस्रायल के प्रधानमंत्री ने रेखांकित की। ईरान एक समान शत्रु होने की वजह से ही इस्रायल और अरब देश साथ आ रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर इस्रायल के साथ अरब-खाड़ी देशों की सुरक्षा के लिए खतरनाक बन रहे ईरान को रोकना हैं तो इस्रायल और सौदी का सहयोग बड़ा ज़रूरी होगा। इस्रायल के लिए सौदी का सहयोग और ईरान की आक्रामकता रोकना दोनों भी एक-दूसरे से जुड़े हैं और यही इस्रायल का उद्देश्य होने का ऐलान प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने किया।

इस्रायल के प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू की पिछले हफ्ते हुई कैबिनेट बैठक में वेस्ट बैंक के ज्यूधर्मियों की बस्तियों को लेकर अहम निर्णय किया गया था। वहां के ज्यूधर्मियों के निर्माण कार्य को मंजूरी देने का ऐलान इस्रायल की सरकार ने किया था। आनेवाले समय में नेत्यान्याहू सरकार ज्यूधर्मियों के अन्य निर्माण कार्य को भी वैध करार देगी, ऐसे दावे हो रहे हैं। इस्रायल के इस निर्णय पर अरब-खाड़ी देशों से तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त हुई थी। इस पृष्ठभूमि पर तेल अवीव की सुरक्षा बैठक में बोलते हुए इस्रायल से भी ज्यादा ईरान ही अरब देशों की सुरक्षा के लिए खतरा होने का मुद्दा प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू समझा रहे हैं।

इसी बीच, इस्रायल और सौदी के अधिकारियों की गोपनीय चर्चा होगी, ऐसी खबरें भी कुछ दिन पहले प्रसिद्ध हुई थी। इस्रायल और सौदी का सहयोग पहले ही स्थापित होने का दावा करके सिर्फ इसका ऐलान अभी तक दोनों देशों ने नहीं किया है, ऐसा दावा कुछ वृत्तसंस्थाओं ने पहले ही किया था।

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