‘ड्रोन’ हमलों के खिलाफ इस्रायल का पड़ोसी देशों के साथ गठबंधन – इस्रायली समचार चैनल का दावा

जेरूसलम – ड्रोन हमलों का सामना करने के लिए इस्रायल और पड़ोसी देश ‘ड्रोन’ विरोधि गठबंधन का निर्माण कर रहे हैं| इस्रायल के प्रमुख समाचार चैनल ने यह खबर जारी की है| यह पड़ोसी देश कौनसे हैं, यह इस चैनल ने स्पष्ट नहीं किया|

‘ड्रोन’ईरान और ईरान से जुड़े आतंकी संगठनों के हमलों की वजह से इस्रायल और यूएई करीब आ रहे हैं, यह दावा किया जा रहा है| चैनल १२ नामक समाचार चैनल ने इस्रायल और पड़ोसी देशों के इस ड्रोन विरोधि गठबंध की जानकारी साझा की| सौदी अरब और यूएई पर कुछ दिन पहले ड्रोन्स एवं क्रूज मिसाइल के हमले हुए थे| अरब देशों पर इन हमलों के पीछे येमन और इराक में मौजूद ईरान से जुडे आतंकी संगटन होने का आरोप सौदी और यूएई ने लगाया था| इसके बाद इस्रायल ने पड़ोसी देशों के साथ ड्रोन विरोधि गठबंधन करने की दिशा में गतिविधियॉं शुरू करने की बात इस चैनल ने कही है|

यह सहयोग बढ़ने पर इस्रायल और पड़ोसी देश एक-दूसरे को संभावित ड्रोन हमलों की जानकारी प्रदान करेंगे| साथ ही जरुरत पडने पर इस्रायल इन देशों को ड्रोन हमलों को रोकने के लिए सहायता भी कर सकेगा| इस्रायली समाचार चैनल ने यह जानकारी देते हुए किसी भी सूत्र का दाखिला नहीं दिया है और ना ही पड़ोसी देशों के नाम सार्वजनिक किए हैं| लेकिन, पिछले कुछ महीनों की गतिविधियों पर गौर करें तो इस्रायल और अब्राहम समझौता का हिस्सा बने अरब देशों में इस तरह के गठबंधन होना मुमकिन होने का दावा इस्रायली माध्यम कर रहे हैं|

पिछले कुछ महीनों में इस्रायल ने यूएई, बहरीन और मोरोक्को जैसे अरब देशों को हवाई सुरक्षा यंत्रणा प्रदान करने की गतिविधियॉं शुरू की हैं| इससे संबंधित खबरें पिछले कुछ दिनों में तीव्रता से सामने आयीं थी| तो, येमन के हौथी विद्रोहियों ने यूएई की राजधानी अबु धाबी पर किए हुए ड्रोन हमलों के बाद इस्रायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने इस देश का दौरा भी किया था|

पिछले हफ्ते लेबनान में मौजूद ईरान से जुडे आतंकी संगठन हिज़बुल्लाह ने इस्रायल पर ड्रोन हमला किया था| इसके बाद इस्रायल और अरब देशों के इस ड्रोन विरोधि गठबंधन की खबर सामने आयी है| इसी बीच अमरिकी नौसेना ने खाड़ी क्षेत्र में सौ ड्रोन्स का काफिला तैनात करने का ऐलान किया है| हवाई एवं समुद्री गश्त के लिए तैनात किए जा रहे यह ड्रोन्स अमरिकी नौसेना के कान और आँख के तौर पर काम करेंगे, यह दावा अमरीका के वरिष्ठ अफसर ने किया है| पर्शियन खाड़ी से भारी मात्रा में ईंधन और सामान की यातायात होती है| इसकी सुरक्षा के लिए यह तैनाती की जाने का दावा किया जा रहा है| वर्ष २०२३ तक यह तैनाती पूरी होगी, ऐसा अमरिकी नौसेना का कहना है|

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