ईरान को ‘आखरी मौका’ दे रहे हैं अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष का इशारा- ईरान की तरफ से तीव्र प्रतिक्रिया

वॉशिंगटन: अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को ईरान के परमाणु अनुबंध के कार्यान्वयन का समय छः महीनों तक बढाने की घोषणा की है। लेकिन यह समय की बढ़ोत्तरी मतलब ईरान और उसे समर्थन देने वाले देशों के लिए आखरी मौका है, उस के बाद अमरिका परमाणु अनुबंध से बाहर निकलेगा, ऐसा ट्रम्प ने इशारा दिया है। उसी समय अमरिकी प्रशासन ने ईरान में १४ अधिकारी और उपक्रमों के खिलाफ नए प्रतिबन्ध लगाने की घोषणा की है और उस के खिलाफ ईरान की तरफ से तीव्र प्रतिक्रिया आई है।

‘यह आखरी मौका है। इस के आगे अगर अपेक्षित प्रावधानों वाला अनुबंध नहीं हुआ, तो अमरिका ईरान के परमाणु अनुबंध से बाहर निकलेगा और प्रतिबन्ध शिथिल करने का निर्णय भी पीछे लेगा’, ऐसा ट्रम्प ने इशारा दिया है। ईरान के साथ किए परमाणु अनुबंध कई कमजोर कड़ियाँ हैं, जिन्हें दुरुस्त करना होगा, ऐसी माँग भी ट्रम्प ने रखी है। ट्रम्प के यह वक्तव्य ईरान के परमाणु अनुबंध का समर्थन करने वाले यूरोपीय देशों पर दबाव डालने की एक कोशिश कही जा रही है।

ईरान के परमाणु अनुबंध की समय सीमा बढाते समय अमरिका ने ईरान के १४ वरिष्ठ नेता और अधिकारीयों के साथ साथ कुछ ईरानी कंपनियों पर प्रतिबन्ध लगाने की भी घोषणा की है। उस में ईरान की न्यायव्यवस्था के प्रमुख ‘अयातुल्लाह सादेक अमोली लारिजानी’ का समावेश है। उस के अलावा ईरान के रक्षा, दूरसंचार, साइबर क्षेत्र की कंपनियों पर प्रतिबन्ध लगाए जाने की जानकारी अमरिका के वित्तमंत्री स्टीवन मुचिन ने दी है।

ट्रम्प का इशारा और नए प्रतिबंधों की घोषणा पर चीन ने तीव्र प्रतिक्रिया दी है। ईरान के विदेश मंत्री जावेद झरीफ ट्रम्प परमाणु अनुबंध का उल्लंघन करने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसा आरोप लगाया है। ‘ट्रम्प की नीति और उन्होंने की हुई घोषणा बहुपक्षीय अनुबंध को नाकाम करने के लिए चल रही कोशिशों का एक हिस्सा नजर आ रहा है। ऐसी बकवास जारी रखने के बजाय अमरिका ईरान की तरह परमाणु अनुबंध का पालन करने पर जोर दे’, ऐसा झरीफ ने कहा है। कुछ दिनों पहले ही झरीफ ने परमाणु अनुबंध के मुद्दे को लेकर अमरिका और यूरोपीय देशों को धमकाया था। अमरिका इस परमाणु अनुबंध से बाहर निकला तो ईरान भी उसे उचित प्रत्युत्तर देगा, ऐसा झरीफ ने इशारा दिया था।

ईरान के विदेश मंत्री ने दी इस धमकी के बाद यूरोपीय देशों ने आपातकालीन बैठक बुलाई थी। इस बैठक में, अमरिका इस अनुबंध से बाहर न निकले, ऐसा आवाहन ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी इन अमरिकी मित्र देशों ने किया था।

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