चर्च गिराने वाली चीन की कारवाई ‘तालिबान’ और ‘आयएस’ जैसी- दुनियाभर से घनघोर टीका

बीजिंग: चीन के उत्तरी प्रान्त में स्थित ‘गोल्डन लॅम्पस्टॅन्ड’ यह भव्य चर्च चीन ने उध्वस्त किया है। उस के बाद दुनिया भर के ख्रिश्चनधर्मियों ने चीन पर तीव्र टीका की है, और धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने वाले गुटों ने भी चीन के खिलाफ क्रोध की भावना व्यक्त की है। अमरिका के ‘चाइना एड एसोसिएशन’ के अध्यक्ष ‘बॉब फू’ ने चीन की यह कृति मतलब तालिबान और ‘आयएस’ जैसे आतंकवादी संगठनों की तरह भद्दी होने का आरोप किया है।

तीव्र टीका

चीन के उत्तर में स्थित शांक्सी प्रान्त में निर्माण किए गए इस चर्च के साथ ५० हजार से अधिक भाविक जुड़े हैं। शांक्सी प्रान्त के कुछ किसानों ने अपनी खेती की जमीनें इस चर्च को दी थी। सन २००९ में इस चर्च का निर्माण हुआ था। इस चर्च का निर्माण कार्य अधिकृत नहीं है, ऐसा दावा चीन के अधिकारी कर रहे थे। लेकिन यहाँ के ख्रिश्चनधर्मीय इस चर्च को बचाने के लिए प्रशासन के साथ लड़ रहे थे।

आखिर में मंगलवार को चीन के प्रशासन ने ख्रिश्चनधर्मियों की भावनाओं को पैरों तले रौंदकर इस चर्च को गिराने की तैयारी की। डायनामाईट लगाकर चीनी अधिकारीयों ने इस चर्च को उड़ाने की खबरें भी आई हैं। चीनी अधिकारीयों की कारवाई का समर्थन कर के चीन के ‘ग्लोबल टाइम्स’ इस सरकारी दैनिक ने इस चर्च का पंजीकरण नहीं हुआ था, ऐसा दावा किया है। सिर्फ एक ईमारत के तौर पर इसका पंजीकरण हुआ था। इस वजह से यह चर्च अवैध साबित होता है, ऐसा दावा एक चीनी अधिकारी ने किया है। इस अधिकारी ने अपना नाम ‘ग्लोबल टाइम्स’ को बताया नहीं है।

दुनिया भर से इस कारवाई पर क्रोधित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। ‘चाइना एड एसोसिएशन’ के अध्यक्ष ‘बॉब फू’ ने चीन की यह कारवाई ‘तालिबान और ‘आयएस’ जैसे आतंकवादी संगठनों की तरह भयंकर होने का आरोप किया है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ जुड़ने के लिए इनकार करने की वजह से यह कारवाई की गई है, ऐसी टीका बॉब फू ने की है। इस के पहले भी चीन ने अपने उत्तरी प्रान्त का ऐसा ही एक बड़ा चर्च गिराया था, इस की याद भी मीडिया दिला रही है।

पिछले वर्ष फ़रवरी महीने में चीन ने अपने नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबन्ध लगाने वाले कठोर नियम घोषित किए थे। पूरी तरह से नास्तिकता को प्राधान्य देने वाली चीन की कम्युनिस्ट राजवट अपनी जनता को धार्मिक स्वातंत्र्य देने के लिए तैयार नहीं है। क्योंकि इस धार्मिक स्वतंत्रता का इस्तेमाल कर के नागरिक अपनी राजवट के खिलाफ बगावत करेंगे, ऐसी चिंता चीन पर निरंकुश सत्ता करने वाली कम्युनिस्ट पार्टी को सता रही है। इसीलिए राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने धार्मिक स्वतंत्रता पर वार करने वाले कानून बनाए हैं। इस का झटका चीन के ५७ लाख ख्रिस्तधर्मियों को लगा है, ऐसा दिखाई दे रहा है। चीन ने अपने झिंजीयांग प्रान्त में इस्लामधर्मियों की भावनाओं को ठेंस पहुँचाने वाले निर्णय लिए थे।

इस वजह से चीन की तरफ से हो रहे इन धार्मिक और नागरिकों के मुलभुत अधिकारों का उल्लंघन, यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर का विषय बन गया है। अपनी आर्थिक और राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करके चीन इसके खिलाफ उठाई जाने वाली आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है।

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