ईरान ‘एससीओ’ का सदस्य बनेगा – रशिया के विदेश मंत्रालय की घोषणा

तेहरान/मॉस्को – दो दिनों बाद उज़बेकिस्तान में होनेवाले ‘शांघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन – एससीओ’ के नए सदस्य के रूप में ईरान को शामिल कर लिया जाएगा। इससे एससीओ अधिक मजबूत बनेगा, यह घोषणा रशिया के विदेश मंत्रालय ने की। अमेरिका एवं युरोपिय देश ईरान के साथ परमाणु करार विलंबित होने के दावे किए जा रहे हैं तभी ईरान की एससीओ में समावेश होने की घोषणा सामरिक स्तर पर बहुत बडी बात है।

सन २००१ में पहली बार ‘शांघाई फाईव’ के नाम से स्थापन की गई इस संगठना की संख्या बढती जा रही है। युरोशिया के नाम से जानी जानेवाले युरोप और एशिया के दशों की सबसे बडी संगठना के रूप में जानी जाती है। विश्व की ४० प्रतिशत जनसंख्या और बहुत बडी आर्थिक ताकत इस संगठना के पास होने का दावा किया जाता है। एशियाई देशों के अलावा खाडी के देश भी इस संगठना के सदश्य बनने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसी खबर मिली थीं।

रशिया, भारात, चीन, कज़ाकस्तान, उज़बेकिस्तान, किरगिज़िस्तान, ताजिकिस्तान और पाकिस्तान इस संगठना के सदस्य हैं। तो अफगानिस्तान, ईरान, बेलारुस और मंगोलिया ‘एससीओ’ के निरीक्षक हैं। पर आनेवाले १५ और १६ सितंबर को उज़बेकिस्तान के समरकंद में ‘एससीओ’ की सालाना सभा में ईरान और बेलारुस इस संगठना की सदस्यता पा सकते हैं। रशिया के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाखरोवा ने ‘एससीओ’ में ईरान को शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी, ऐसा घोषित किया।

रशिया, भारात और चीन के राष्ट्रप्रमुखों की उपस्थिति में ईरान की इस संगठना में समावेश होने की प्रक्रिया शुरु होगी। तत्पश्चात दो साल बाद ईरान को इस संगठना में शामिल कर लिया जाएगा, यह जानकारी रशियन विदेश मंत्रलय के प्रवक्ताओं ने दी। इसी तरह सौदी अरेबिया, इजिप्ट और कतार को व्यावहारिक सहयोगी देश के रूप में इस बार की बैठक में स्थान दिया जाएगा, ऐसे संकेत ज़ाखारोवा ने दिए। पहले से ही इस गुट में तुर्की, अर्मेनिया, अज़रबैजान, कंबोडिया, नेपाल और श्रीलंका का समावेश है। इसलिए सौदी, इजिप्ट को शामिल करके ‘एससीओ’ अपना विस्तार कर रहा है।

एससीओ में ईरान के समावेश पर इस्रायली माध्यमों से प्रतिक्रिया दर्ज हो रही है। भारत के अलावा इस संगठना में तानाशाही हुकूमत वाले देशों का समावेश एससीओ में की टीका इस्रायली माध्यमे कर रहे हैं। अब तक अमेरिका से इस बात पर प्रतिक्रिया दर्ज नहीं हुई है। पर ईरान के साथ परमाणु समझौता करने के लिए उत्सुक अमेरिका को ईरान का एससीओ में समावेश से बहुत बडा झटका लगने के संकेत मिल रहे हैं। अमेरिका एवं युरोपिय देशों द्वारा परमाणु समझौता मुश्किल बन रहा है, ऐसा घोषित करने के बाद, ईरान की एससीओ में शामिल होने की खबर प्रसिद्ध हुई। यह संजोग नहीं है बल्कि, ईरान समेत रशिया एवं चीन की पश्चिमी देशों के खिलाफ दांवपेंच का हिस्सा होने की बात सामने आ रही है। 

अमेरिका एवं युरोपिय देशों ने परमाणु समझौते से इन्कार किया तो अपने समक्ष रशिया-चीन के गुट में शामिल होने का विकल्प खुला है, यह ईरान ने साबित कर दिया। ईरान जैसे ईंधन उत्पादक देश का इस संगठना में समावेश पश्चिमी देशों के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण बात हो सकती है। एससीओ जैसे प्रबल संगठना में शामिल होकर ईंधन का निर्यात तथा व्यापार  बढाने से अमेरिका एवं युरोपिय देशों ने ईरान पर लादे हुए आर्थिक प्रतिबंधों को प्रभाव अधिक घटेगा। इसकी वजह से ईरान का एससीओ में शामिल होना यह केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामरिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण बात है।

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