चीन द्वारा ‘युआन’ का अवमूल्यन

पाँच साल के निम्नतम स्तर पर पहुँचा ‘युआन’

 

china-yuan-dollars-Yellen_AP-(BBC)

जापान में हाल ही में संपन्न हुई ‘जी-७’ की बैठक में मुद्रायुद्ध (करन्सी वॉर) को रोकने के लिए कदम उठाने की बात ज़ाहिर की गयी है। लेकिन इसी दौरान, चीन द्वारा अपनी ‘युआन’ मुद्रा का मूल्य कम करने की घोषणा की गयी है। पिछले हफ़्ते, अमरीका के ‘फ़ेड़रल रिझर्व्ह’ इस मध्यवर्ती बँक की प्रमुख जॅनेट येलेन ने ब्याजदरों में वृद्धि करने के संकेत दिए थे। उस पार्श्वभूमि पर चीन द्वारा यह कदम उठाया गया होने का अँदाज़ा विशेषज्ञों ने व्यक्त किया है।

चीन की मध्यवर्ती बँक ‘पीपल्स बँक ऑफ़ चायना’ ने सोमवार को, युआन का अवमूल्यन कर रहे होने की घोषणा की। इस घोषणा के अनुसार, एक अमरिकी डॉलर के लिए अब से ६.५७८४ युआन देने पड़ेंगे। पिछले हफ़्ते के युआन के मूल्य की अपेक्षा इसमें ०.४५ प्रतिशत की घटोतरी की गयी है। अमरिकी डॉलर की तुलना में युआन का नया मूल्य सन २०११ के बाद का निम्नतम मूल्य होने की बात सामने आयी है।

चीन ने इससे पहले, अगस्त महीने में युआन का अवमूल्यन करके आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को झटका दिया था। यह फ़ैसला करते समय चीन ने, ‘अब इसके आगे युआन का मूल्य मर्यादित प्रमाण में आंतर्राष्ट्रीय मार्केट्स के व्यवहारों पर निश्चित होगा’ ऐसा भी घोषित किया था। उसके बाद युआन के व्यवहारों में बड़े पैमाने पर अस्थिरता निर्माण हुई होने की बात सामने आयी थी। चीन के कई उद्योजकों ने अपना पैसा देश से बाहर ले जाने की शुरुआत की है, यह बात भी स्पष्ट हो गयी थी।

अगस्त महीने में किए हुए इस फ़ैसले के बाद, सन २०१६ की शुरुआत में युआन की क़ीमत गिर गयी होने की बात सामने आयी थी। युआन को सँवारने के लिए चीन की मध्यवर्ति बँक ने बड़े पैमाने पर निवेश किया था। पिछले तीन दिनों में इसकी पुनरावृत्ति हो गयी होकर, मध्यवर्ति बँक ने अतिरिक्त ११० अरब युआन, अर्थव्यवस्था में उपलब्ध करा दिये होने की जानकारी दी गयी है।

चीन ने सोमवार को किया हुआ युआन का अवमूल्यन, यह अमरीका की मध्यवर्ति बँक के प्रमुख द्वारा किये गये वक्तव्य का ही परिणाम होने का दावा विश्लेषकों द्वारा किया जा रहा है। ‘फ़ेड़रल रिझर्व्ह’ की प्रमुख जॅनेट येलेन ने, अमरीका के ब्याजदर जल्द ही बढ़ाये जायेंगे, ऐसे संकेत दिए थे। इस घोषणा के कारण अमरिकी डॉलर पुन: मज़बूत होता हुआ दिखायी दे रहा है, उससे अन्य देशों को नुकसान पहुँच सकता है।

उसी दौरान, जापान में संपन्न हुई ‘जी-७’ देशों की बैठक में, सात प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने मुद्रायुद्ध के ख़िलाफ़ सख़्त कदम उठाने के संकेत दिए है। इस बैठक में, चीन की गतिविधियों पर नाराज़गी भी व्यक्त की गयी थी। चीन अपनी मुद्रा एवं व्यापार के मामले में संरक्षणवाद की भूमिका अपना रहा होने की आलोचना इस बैठक में की गयी थी। साथ ही, ‘साऊथ चायना सी’ के मुद्दे को लेकर भी चीन को खरी खरी सुनायी गयी थी।

युआन के अवमूल्यन की घोषणा करके चीन ने आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को आश्चर्यचकित कर दिया होकर, चीन के इस कदम के पीछे, ‘जी-७’ की बैठक में की गयी चीन की आलोचना को लेकर चीन की हुई नाराज़गी हो सकती है, ऐसा माना जा रहा है।

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