ईरान को ही युद्ध करना है – अमरिकी विदेशमंत्री की आलोचना

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरन्यूयॉर्क – ‘ईरान के नेता पिशाच है और यही नेता युद्ध के लिए बेसब्र हैं’, ऐसी कठोर आलोचना अमरिका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने की हैं| लेकिन अमरिका ने युद्ध टालने का प्रयत्न किया है यह बताते हुए, सौदी अरब पर हुए ईरान के हमलों के बाद भी अमरिका राजनैतिक उपाय निकालने का प्रयास कर रही हैं, ऐसा दावा पोम्पिओ ने किया हैं| तो ईरान पर हमलें की संभावना को नजरंदाज नहीं की जा सकता, ऐसा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने घोषित किया हैं|

विदेश मंत्री जॉन्सन ने अमरिका के उच्चतर समाचार माध्यमों को दी मुलाकात में खाड़ी में अमरिका ने की हुई अतिरिक्त फौज की तैनाती का समर्थन किया हैं| अमरिका की वर्णित तैनाती खाड़ी के हित संबंधियों की सुरक्षा के लिए होने का पोम्पिओ ने कहा हैं| ‘खाड़ी में युद्ध न भड़के, यही अमरिका की धारणा हैं| सुरक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने भी सेना तैनाती की घोषणा करते हुए वर्णित निर्णय अमरिका के हित संबंधियों की सुरक्षा के लिए लिया जाने का कहा था| इसकी याद पोम्पिओ ने कराई हैं|

वही, ‘पर्शियन खाड़ी से यात्रा करने वाले ऑईल टैंक तथा पड़ोसी देशों के ईंधन परियोजनाओं पर हमलें करके ईरान इस क्षेत्र में तनाव बढ़ा रहा हैं| सौदी की ईंधन परियोजनाओं पर हुआ ईरान का हमला यह दुनिया पर किया गया हमला था’, ऐसा आरोप अमरिका के विदेश मंत्री ने किया हैं| ‘खाड़ी में अमरिका के सेना की तैनाती पर आलोचना करने वाले ईरान तथा ईरान के नेता ही पिशाच हैं| उन्हें ही युद्ध अपेक्षित हैं| लेकिन अमरिका को युद्ध नहीं चाहिए| सौदी अरब के ईंधन परियोनाओं पर हुए हमलों का मुद्दा राजनैतिक स्तर पर सुलझाने के लिए अमरिका प्रयत्न कर रहा हैं’, ऐसा विदेश मंत्री पोम्पिओ ने स्पष्ट किया हैं| पर्शियन खाड़ी में मित्र देश और हित संबंधियों पर ईरान के हमलें रोकने के लिए अमरिका अलग-अलग विकल्पों का उपयोग कर रही हैं| अमरिका के इन प्रयत्नों में भी ईरान ने साथ नहीं दी तो राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प आवश्यक परिस्थिति के अनुसार विकल्पों का उपयोग करेंगे, ऐसा विदेश मंत्री पोम्पिओ ने घोषित किया हैं| पिछले सप्ताह में अमरिका के रक्षा मंत्री एस्पर तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार समिति और वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में ईरान के बारे में अलग-अलग विकल्प सूचित किए गए थें| इनमें लष्करी कार्रवाई से लेकर आर्थिक प्रतिबंध, सायबर हमलों का समावेश होने की जानकारी अमरिका ने दी थीं|

अमरिका के समान ब्रिटेन ने भी ईरान के बारे में अपनी भूमिका स्पष्ट की हैं| सौदी अरब के ईंधन परियोजनाओं पर किए हमलों के लिए और खाड़ी क्षेत्र की अस्थिरता के लिए ईरान ही जिम्मेदार होने का आरोप प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने किया हैं| इस हमले की पूछताछ से सामने आई जानकारी से ईरान ही इसमें दोषी होने का रेखांकित होता हैं ऐसा जॉन्सन ने कहा हैं| इस हमले के कारण खाड़ी की स्थिति हाथों के बाहर नहीं जाएगी, ऐसी अपेक्षा हैं| लेकिन ईरान पर लष्करी कार्रवाई की संभावना को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता, ऐसा जॉन्सन ने कहा हैं|

दौरान, अमरिका तथा सौदी अरब ने संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में ईरान के हमले का मुद्दा उपस्थित करते हुए ईरान पर आंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने के संकेत दिए हैं| इस कारण संयुक्त राष्ट्र संघ की सामान्य सभा जारी होते हुए, अमरिका और सौदी ईरान के विरोध में लष्करी कार्रवाई नहीं करेंगे, एसा वर्तमान में तो दिखाई देता हैं्| लेकिन अमरिका ने खाड़ी में की लष्करी तैनाती अपने विरोध में ही होने का दावा करके ईरान ने इस तैनाती की वजह से खाडी क्षेत्र में बना तनाव कम होने की आशा खंडित होने की आलोचना की हैं|

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