हिजबुल्लाह, हमास, हौथी आतंकियों की सहायता से ईरान खाडी में मिसाईलों का जाल बुन रहा है – ईरान के सरकार से जुडे माध्यमों का दावा

तेहरान – खाडी के देशों में ड्रोन्स का नेटवर्क सफतापूर्वक बुनने के बाद ईरान ’इंटिग्रेटेड मिसाईल नेटवर्क’ अर्थात मिसाईलों का एकीकृत जाल निर्माण करने की तैयारी में है। लेबेनान का हिजबुल्लाह, गाज़ापट्टी का हमास, इस्लामिक जिहाद, येमेन के हौथी तो ईराक के हशद गुटों को मिसाईलें एवं उनकी तकनीक सिखाकर ईरान यह नेटवर्क बना रहा है। ईरान के सरकार संलग्न माध्यमों ने यह घोषणा करके अमेरिका, इस्रायल और खाडी स्थित अमेरिका के अन्य मित्रराष्ट्रों को इशारा दिया हुआ लगता है।

1980 के दशक में इराक के साथ छिडे युद्ध में ईरान की सेना के पास की मिसाईलें बहुत ही घटिया दर्जे की थीं। इसके बाद ईरान ने सोवियत रशिया तथा चीन की सहायता से अपना मिसाईल कार्यक्रम बनाना शुरु किया था। आज ईरान मिसाईलें तथा ड्रोन तकनीक से परिपूर्ण खाडी में एकमात्र देश है। खाडी के अरब देशो अब भी मिसाईलों के लिए अमेरिका एवं अन्य देशों पर निर्भर हैं। इसलिए मिसाईल और ड्रोन्स की आघाडी पर ईरान ने इस क्षेत्र में बडी आघाडी हासिल की है, ऐसा दावा ईरान सरकार से संलग्न माध्म कर रहे हैं।

ईरान के मिसाईल कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले हसन तेहरानी मोघद्दम ने 1980 के दशक में ही लेबेनान में हिजबुल्ला के लिए मिसाईलों का युनिट बनाया था, यह जानकारी ’तेहरान टाईम्स’ ने दी। उनकी इन कोशिशों की वजह से हिजबुल्लाह सफलतापूर्वक इस्रायल को जवाब दे रहा है, ऐसे दावे ईरानी अखबार ने किया। इसके अलावा, गाज़ापट्टी के हमास, इस्लामिक जिहाद एवं इराक के हशद आतंकी संघटनाएं और येमेन के हौथी आतंकी संघटनों को भी ईरान ने शस्त्रसज्ज बनाने की जानकारी इन अखबार ने प्रसिद्ध की।

तो, ईरान ने खाडी स्थित अपने ’रेज़िस्टन्स फ्रंट’ को मिसाईलों के निर्माण की तकनीक प्रदान करने का दावा ईरान की और एक वृतसंस्था ने किया। इस ’रेज़िस्टन्स फ्रंट’ में ईरान संलग्न हिजबुल्लाह, हमास, इस्लामिक जिहाद, सिरिया की अस्साद हुकूमत तथा इराक के ईरान संलग्न संघटनों का समावेश होता है। सन 2006 में इस्रायल के साथ युद्ध में ईरान द्वारा दी गई मिसाईलों का हिजबुल्लाह ने इस्तेमाल करने के बाद विश्वभर में इसकी दखल ली गई थी। इसके बात ईरान द्वारा दी गई तकनीक की सहायता से हिजबुल्लाह ने अपने मिसाईलों की मारक क्षमता में बढोतरी करने की बात इस वृतसंस्था ने कही है।

हिजबुल्लाह की तरह सिरियन लश्कर ने आतंक के खिलाफ कार्रवाई में तथा येमेन में हौथियों को सौदी अरेबिया एवं युएई पर हमलों के लिए इन मिसाईलों का इस्तेमाल किया था, ऐसा ध्यान आकर्षित करने वाला उल्लेख इस वृतसंस्था ने किया। इससे पहले ईरान ने अपने ड्रोन्स का नेटवर्क बना लिया था। लेबेनान, सिरिया तथा येमेन में ईरान के ड्रोन्स का जाल बनाए जाने की बात यह दोनों माध्यम कर रहे हैं। जल्द ही ईरान अपने ’रेज़िस्टन्स फ्रंट’ की सहायता से खाडी में मिसाईलों का एकिकृत जाल बुना है। ऐसा हुआ तो ईरान की सुरक्षा को चुनौती देनेवाले अमेरिका, ईस्रायल एवं खाडी स्थित अमेरिका के मित्रराष्ट्रों को चुनौती दी जा सकेगी, ऐसा दावा ईरानी माध्यम कर रहे हैं।

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