म्यानमार में विद्रोहीयों के हमलो में सेना के ३० जवान मारे गए

३० जवान मारे गएकानी –  उत्तर म्यानमार में विद्रोहीयों ने सेना और संलग्न सशस्त्र गट पर किए हुए हमलो में ३० जवान मारे गए। कुछ दिनों पहले म्यानमार के सेना ने सशस्त्र गट की सहायता से यहाँ के गाँव पर हमला करके आग लगा दी थी। इसी के उत्तर में विद्रोहीयों ने सेना पर हमला करने का दावा किया जाता है। ठीक सालभर पहले म्यानमार के सेना ने आँग सॅन स्यू की लोकशाहीवादी सरकार को पलटकर सत्ता का ताबा हथिया लिया था। जुंटा हुकूमत के इस अत्याचार को देखने के अलावा आंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कुछ भी नहीं किया था। ऐसी आलोचना म्यानमार के बहिष्कृत सरकार ने की है।

३० जवान मारे गएपिछले वर्ष १ फरवरी के दिन सेना प्रमुख जनरल मिन आँग हलाईंग के नेतृत्व के अंतर्गत सेना ने स्यू की के लोकनियुक्त सरकार को पलट दिया था। स्यु की और म्यानमार सरकार के वरिष्ठ नेताओं को नजरकैद करके जुंटा हुकूमत ने अन्य नेताओं को कैद लिया था। उसी प्रकार लोकशाहीवादी सरकार के समर्थकों पर अमानवीय कार्यवाही शुरू कर दी थी। पिछले पूरे वर्षभर में जुंटा हुकूमत की कार्यवाही में १,४८८ निदर्शकों की हत्या हो गई और लगभग नौ हजार लोगों को जेल हो गई।

म्यानमार की जनता ने इस अत्याचार के विरोध में शुरु किए हुए आंदोलन को ठंडा होने नहीं दिया। साल पुरा होने के बाद भी म्यानमार के विभिन्न शहरों और गाँवों में सेना के विरोध में निदर्शन शुरु हैं। इस विद्रोह को एक वर्ष पूर्ण होने पर निषेध के रूप में म्यानमार की जनता ने मंगलवार को पूरे देश में स्वयंघोषित बंदी जारी की। इस समय प्रमुख शहरों में सन्नाटा दिखाई दे रहा था। तो कुछ जगह पर सेना की कार्यवाही के विरोध में निदर्शन हुए।

३० जवान मारे गएइस काल में जुंटा हुकूमत के विरोध में विद्रोह पुकारनेवाले ‘पिपल्स डिफेन्स फोर्सेस-पीडीएफ’ ने सेना और संलग्न गटों पर हमले जारी रखे है। सोमवार को सागियांग प्रांत में म्यानमार के सेना और संलग्न सशस्त्र गट पडाव तथा मोटरबोट द्वारा प्रवास करते समय पीडीएफ के विद्रोहीयों ने हमला कर दिया। इसमें लगभग ३० जवान मारे जाने का दावा किया जा रहा है। इस हमले के समय पडाव और मोटरबोट मे लगभग १०० जवान यात्रा कर रहे थे। म्यानमार के सेना विरोध में संघर्ष करने के लिए विद्रोही संघटना आगे आई है और उन्हें स्थानीय लोगों का भी साथ मिला है।

इसी बीच म्यानमार के जुंटा हुकूमत की कार्यवाही का समर्थन करनेवाले न्यायालयीन अधिकारियों पर अमेरिका, ब्रिटेन और कॅनडा ने निर्बंध लगाए है।  किंतु आंतरराष्ट्रीय समुदाय ने जुंटा हुकूमत के विरोध में ठोस कदम नहीं उठाए हैं ऐसी आलोचना ‘नॅशनल युनिटी गव्हर्मेंट-एनयूजी’ इस बहिष्कृत सरकार के नेता कर रहे है। आंतरराष्ट्रीय समुदाय सिर्फ देखने का काम कर रही है ऐसी शिकायत एनयूजी कर रहा है।

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