चालीस साल से अधिक उम्र के नागरिकों को बूस्टर डोस देने की ‘इन्साकॉग’ द्वारा सरकार से सिफारिश

नई दिल्ली – ‘भारतीय सार्स-कोव्ह-2 जिनोम सिक्वेन्सिंग कंसोर्टियम’(आयएनएसएसीओजी-इन्साकॉग) इस सरकार ने ही स्थापन किए पैनल के संशोधकों ने बूस्टर डोस के संदर्भ में सरकार को अहम सूचना की है। अब तक जिन्होंने टीका नहीं लगाया है, ऐसे लोगों का टीकाकरण तेज़ी से पूरा किया जाए, उसी के साथ चालीस साल से अधिक उम्र के नागरिकों को टीके का बूस्टर डोस दिया जाए, ऐसा इन्साकॉग ने अपनी सिफारिश में कहा है।

‘इन्साकॉग’कोरोना का नया ‘ओमिक्रॉन’ वैरीअंट आने के बाद बहुत ही तेज़ी से वह दुनिया भर के विभिन्न देशों में पहुँच रहा है। इससे दुनिया भर से चिंता ज़ाहिर हो रही है। इस पृष्ठभूमि पर, कोरोना टीके का तीसरा बूस्टर डोस देने के मामले में चर्चा शुरू हुई है। अमरीका और ब्रिटेन इन देशों ने पहले ही अपने देश में बूस्टर डोस के लिए मंजूरी दी है। इन देशों में भी ४० साल से अधिक उम्र के नागरिकों को टीके का बूस्टर डोस देने का फैसला किया गया है। बूस्टर डोस के कारण नागरिक की कोरोना विरोधी रोगप्रतिकारशक्ति में वृद्धि होगी और उन्हें दीर्घ काल के लिए सुरक्षा मिलेगी, ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

लॅन्सेट जर्नल में भी बूस्टर डोस के संदर्भ में एक संशोधन रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। कोरोना के टीके का डोस लेने के बाद कोरोना के विरोध में मिलनेवाली सुरक्षा कुछ समय बाद कम होती चली जाती है। ऐसे समय बूस्टर डोस से अधिक सुरक्षा मिलेगी और स्वास्थ्य यंत्रणाओं पर बना तनाव कम होगा, ऐसा दावा इस रिपोर्ट में किया गया है। साथ ही, अ‍ॅस्ट्राझेनिका, फायजर, नोव्हॅक्स, जॉन्सर्न, मॉडर्ना और क्यूरव्हॅक इन छह टीकों के बूस्टर डोस सुरक्षित होने की बात भी इस स्टडी रिपोर्ट में कही गई है।

फिलहाल संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। इसके दौरान भी कुछ लोकप्रतिनिधियों ने बूस्टर डोस के बारे में सवाल उपस्थित किया था। इसके जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने, बूस्टर डोस देने के बारे में फ़ैसला यह विशेषज्ञों द्वारा आई वैज्ञानिक सलाह के अनुसार किया जाएगा, यह स्पष्ट किया। साथ ही, छोटे बच्चों को टीका देने का फ़ैसला भी विशेषज्ञों की सलाह से सरकार करेगी, ऐसा भी मंडाविया ने कहा।

इस पृष्ठभूमि पर, कोरोना के वायरस में होनेवाले जिनोमिक बदलावों पर नज़र रखने के लिए तैयार की गई राष्ट्रीय लैब का नेटवर्क ‘इन्साकॉग’ के संशोधकों ने भी बूस्टर डोस देने की सिफ़ारिश की है। ‘इन्साकॉग’ द्वारा जारी किए गए साप्ताहिक बुलेटिन में इसका ज़िक्र किया गया है। अब तक जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है, उनका टीकाकरण पूरा करना और ४० साल से अधिक उम्र के नागरिकों को बूस्टर डोस देना, इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ऐसी सलाह ‘इन्साकॉग’ के संशोधकों ने दी है। बूस्टर डोस देते समय भी, अधिक ख़तरा होनेवाले नागरिकों का प्रथम टीकाकरण किया जाए, ऐसा भी ‘इन्साकॉग’ ने कहा है। इससे, कम अ‍ॅन्टीबॉडी होनेवालों में ‘ओमिक्रॉन’ जैसे वेरिएंट के साथ लड़ने के लिए अच्छी अ‍ॅन्टीबॉडी तैयार होंगी, ऐसा दावा इन्साकॉग ने किया है।

कोरोना के नए वेरिएंट की जल्द से जल्द पहचान कराने के लिए जिनॉमिक जाँच आवश्यक है। उससे जनता के स्वास्थ्य के संदर्भ में तेज़ी से कदम उठाना संभव होता है, ऐसा भी ‘इन्साकॉग’ ने अधोरेखांकित किया है। साथ ही, मरीज पाए जा रहे इलाके में परीक्षण बढ़ाएँ, यात्रियों का ट्रैकिंग करें, ऐसी सिफ़ारिश भी ‘इन्साकॉग’ ने की।

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