कलवरी श्रेणी की चौथी पनडुब्बी ‘आयएनएस वेला’ नौसेना में सहभागी

INS-Vela-1मुंबई – भारतीय नौसेना की कोमा पनडुब्बियों द्वारा आयोजित की जाने वाली मुहिमें चलाने का सामर्थ्य ‘आयएनएस वेला’ के पास है, इन शब्दों में नौसेना प्रमुख अ‍ॅडमिरल करमबिर सिंग ने इस पनडुब्बी का महत्व अधोरेखांकित किया। गुरुवार को मुंबई के माझगाव डॉक में ‘आयएनएस वेला’ के नौसेना में सहभाग का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस समय बात करते हुए नौसेना प्रमुख ने ‘वेला का सामर्थ्य और मारक क्षमता देश के सागरी हितसंबंधों की रक्षा के लिए बहुत अहम भूमिका निभाएगी’, ऐसा विश्‍वास नौसेना प्रमुख ने ज़ाहिर किया।

INS-Vela-Indian-Navyनौसेना में अधिकृत रूप से सहभागी होने से पहले ही इस पनडुब्बी की चर्चा माध्यमों में शुरू हुई थी। कलावरी क्लास की और प्रोजेक्ट ७५ के अंतर्गत तैयार होनेवाली यह भारत की चौथी पनडुब्बी है। फ्रान्स के सहयोग से देश में ही तैयार हुई यह डीज़ल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी लगभग ५० दिन तक पानी के नीचे रह सकती है। बहुत ही कम आवाज़ करनेवाली इस पनडुब्बी को सोनार राडार यंत्रणा भी खोज नहीं सकती। इस स्टेल्थ यानी रडार यंत्रणा को चकमा देने की क्षमता के कारण, इस पनडुब्बी को ‘साइलेंट किलर’ के रूप में जाना जाता है।

इस पनडुब्बी में प्रगत सोनार रडार यंत्रणा होकर, अद्यतन शस्त्रास्त्र तैनात किए गए हैं। एक बार जब लक्ष्य निश्चित हो जाता है, तो यह पनडुब्बी अपने क्षेपणास्त्र अथवा टॉर्पिडो द्वारा उसे छेद सकती है। ‘आयएनएस वेला’ के पास होनेवाली यह क्षमता शत्रु की पनडुब्बियों और युद्धपोतों के लिए बहुत ही घातक साबित होगी, ऐसा विश्वास व्यक्त किया जाता है। इससे भारतीय नौसेना का सामर्थ्य प्रचंड मात्रा में बढ़ेगा, ऐसे दावे किए जाते हैं। 

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