रक्षा से जुड़ी नवीनतम तकनीक के लिए उद्योग क्षेत्र पहल करे – सेनाप्रमुख जनरल नरवणे का आवाहन

नई दिल्ली – ‘बड़ी चुनौतियाँ और सीमित साधन परिसंपत्ति होने के बावजूद इस्रायल जैसे देश ने रक्षा संबंधी खरीद के लिए सटीक नीति तैयार करके काफी कुछ हासिल किया है। इससे हम भी सबक सिख सकते हैं’, ऐसा भारत के सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकूंद नरवणे ने कहा है। रक्षा खरीद में प्रशासकिय अड़ंगे और इससे संबंधित पुरानी नीति की आलोचना करके सेनाप्रमुख ने इस्रायल का नमूना पेश किया। साथ ही देश का उद्योग क्षेत्र रक्षा संबंधित नवीनतम तकनीक के लिए पहल करे, यह आवाहन भी जनरल नरवणे ने किया है।

जनरल नरवणे

सबसे कम रकम की निविदा पेश करनेवाले को ठेका देने की आज़ादी से पहले की नीति अब पुरानी हुई है। रक्षा सामान का देश में ही निर्माण हो रहा है और ऐसे में इसके खरीद में हो रहे खर्चे की राशि का निवेश अब देश में किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में दर्जे से समझौता करके कम से कम खर्च करके सामान खरीदने का बंधन सेना पर लगाया नहीं जा सकता, ऐसे स्पष्ट विचार जनरल नरवणे ने व्यक्त किया। ‘पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स ऐण्ड इंडस्ट्री’ को संबोधित करते समय सेनाप्रमुख ने देश के रक्षा खरीद और नवीनतम तकनीक से संबंधित भूमिका स्पष्ट शब्दों में रखी।

पुरानी नीति में बदलाव करके प्रभावी नीति अपनाने का अवसर मिला है। नवीनतम तकनीक ते गति से विकसित होने के दौरान देश के सुक्ष्म, लघू और मध्यम उद्योग रक्षा क्षेत्र से संबंधित नवीनतम तकनीक को बढ़ावा दे। इसके लिए पहल करके उद्योग क्षेत्र उभरती तकनीक की आस रखें, यह आवाहन भी सेनाप्रमुख ने इस दौरान किया। युद्ध मात्र दो देशों के सेनाबलों का नही होता, बल्कि युद्ध दो देशों के बीच लड़ा जाता हैं। इसमें रक्षा से संबंधित उद्योगों का भी काफी बड़ा योगदान होता हैं, इस ओर जनरल नरवणे ने ध्यान आकर्षित किया। इस बात को ध्यान में रखकर रक्षा सामान का देश में निर्माण करने के लिए सहायक नीति केंद्र सरकार अपना रही हैं। लेकिन, इस मोर्चे पर अभी तक हमें काफी कुछ करना होगा, ऐसा जनरल नरवणे ने कहा।

खास तौर पर रक्षा खरीद में प्रशासकीय अड़ंगों की समस्या काफी बड़ी है। इस वजह से नवीनतम तकनीक के हथियार और रक्षा सामान प्राप्त करने में कठिनाई होती है। रक्षा से जुड़ी तकनीक का तेज़ गति से विकास हो रहा है और ऐसे में इस तरह अडंगे यानी काफी बड़ी खतरे की बात बनती हैं। इसी कारण इस अडंगे को दूर करने के लिए प्रभावी प्रावधान करना ज़रूरी हैं। इसके लिए औपनिवेशिक युग के नियमों का बदलना ही पड़ेगा, इस ओर सेनाप्रमुख ने ध्यान आकर्षित किया।

इस कमी पर ध्यान केंद्रीत करते समय सेनाप्रमुख ने इस मोर्चे पर हुए कुछ सुधारों पर संतोष व्यक्त किया। केंद्र सरकार ने रक्षा बलों के लिए ज़रूरी खरीद के विशेष में अधिकार प्रदान किए हैं। इसके सकारात्मक असर भी सामने आ रहे हैं। इसके अनुसार युद्ध की तैयारी के लिए बड़े आवश्‍यक बारूद, हथियार, गाड़ियाँ, पुर्जे एवं पर्वतारोहण के लिए ज़रूरी सामान की खरीद करने के लिए करीबन नौ हज़ार करोड़ रुपयों के ११३ ठेके प्रदान किए गए हैं। इसके अलावा ज़रूरी सामान की खरीद करने के लिए ६,५०० करोड़ रुपयों के ६८ ठेके दिए गए हैं, ऐसा कहकर जनरल नरवणे ने इस सकारात्मक बदलावों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।

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