‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र’ अमरिका के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता – रक्षामंत्री पॅट्रिक शॅनाहन ने किया वादा

सिंगापुर – अमरिका यह पैसिफिक क्षेत्र का देश है और इंडो-पैसिफिक अमरिका के रक्षा विभाग के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता की बात होने का वादा अमरिका के रक्षामंत्री पॅट्रिक शॅनाहन ने किया है| इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से अमरिका अलग अलग माध्यमों से जुड़ा है, इस क्षेत्र में अमरिका ने काफी निवेश किया है और अब इस क्षेत्र के देशों को भी उनकी सुरक्षा के लिए बड़ा निवेश करने की आवश्यकता है, ऐसा पॅट्रिक शॅनाहन ने सूचित किया है| साउथ चाइना सी एवं तैवान के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य करनेवाले अमरिकी रक्षामंत्री ने आवश्यकता के अनुसार अमरिका इस क्षेत्र में चीन से स्पर्धा करने के लिए तैयार है, यह चेतावनी भी दी है|

इंडो-पैसिफिक सागरी क्षेत्र सभी के लिए खुला एवं मुक्त रहें इसके लिए जापान अब अमरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया तथा ब्रिटेन और फ्रान्स के साथ सहयोग करेगा, ऐसी घोषणा जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ऐबे ने पिछले हफ्ते में की थी| इससे पहले भी अमरिकन नौसेना प्रमुख एडमिरल जॉन रिचर्डसन ने भारत को दिए भेंट में इंडो-पैसिफिक सागरी क्षेत्र में भारत एवं अमरिका का सहयोग बढ़ाने के मुद्दे को प्राथमिकता दी थी| पिछले वर्ष में अमरिका ने भारत के साथ अन्य देशों के साथ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं और रक्षामंत्री द्वारा प्रस्तुत की भूमिका ध्यान केंद्रित कर रही है|

सिंगापुर में शुरू ‘शांग्रीला डायलॉग’ इस परिषद में अमरिका, चीन, जापान के साथ १४ देशों के रक्षामंत्री एवं रक्षाक्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए हैं| आशिया एवं आशिया पैसिफिक क्षेत्र के सुरक्षा से संबंधित विविध मुद्दों पर इस परिषद में चर्चा हुई है| उस समय रक्षामंत्री पॅट्रिक शॅनाहन ने अपने भाषण के शुरुआत में ही अमरिका के पैसिफिक क्षेत्र से जुड़े हुए मुद्दों की जानकारी देकर, इंडो-पैसिफिक स्टार्ट की रिपोर्ट प्रसिद्ध करने की बात घोषित की है|

अमरिका ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए ब्लूप्रिंट पहले ही घोषित करने की बात कहकर, उस पर मुख्य सूत्र, मुक्त एवं खुले इंडो-पैसिफिक है, ऐसा रक्षामंत्री शॅनाहन ने स्पष्ट किया है| उस आधार पर पिछले ७ दशकों में इस क्षेत्र में आर्थिक, व्यापारी एवं अन्य सभी क्षेत्र में प्रगति करने का और सभी देशों को उसका लाभ मिलने का दावा किया है| पर कई देश इंडो-पैसिफिक के मूल्य एवं नियमों के विरोध में कार्यरत होने की बात कहकर शॅनाहन ने चीन पर निशाना साधा है|

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का विकास एवं हितसंबंधों को इस क्षेत्र के कई देश झटका देने का प्रयत्न कर रहे हैं| यह देश इस क्षेत्र में अन्य देशों पर विविध माध्यमों से जबरदस्ती करने का प्रयत्न कर रहा है| इसके लिए लष्करी सामर्थ्य का उपयोग शुरू है| विवादीत क्षेत्रों में प्रगत लष्करी यंत्रणा तैनात करना, अन्य देशों के अंतर्गत कामकाज में हस्तक्षेप का प्रयत्न करना, लष्करी एवं नागरी तंत्रज्ञान चुराना और वित्त सहायता का उपयोग दुर्बल देशों को आकर्षित करने के लिए करना, ऐसे माध्यमों से दबाव लाया जा रहा है, इन शब्दों में अमरिकी रक्षामंत्री ने बिना नाम लिए चीन पर आलोचना की है|

ऐसी गतिविधियां अमरिका बर्दाश्त नहीं करेगी और उसे प्रत्युत्तर देने के लिए हमेशा तैयार रहेगी, यह वादा शॅनाहन ने किया है| अमरिका को संघर्ष नहीं चाहिए, पर युद्ध जीतने की क्षमता होती है तो ही ऐसे संघर्षों से बचा जा सकता है, इसका पूर्ण एहसास है| लष्करी सामर्थ्य के बल पर कोई भी शत्रु उसके राजनीतिक उद्देश्य पूर्ण करने का प्रयत्न नहीं करेंगे, इसका ध्यान अमरिका रख रहा है, ऐसे शब्दों में पैट्रिक शैनाहन ने चीन को सूचित किया है|

इसी बीच पिछले कुछ वर्षों से पैसिफिक क्षेत्र में अमरिका की बढ़ती उपस्थिति, युद्धाभ्यास एवं भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ बढ़ते योगदान का उल्लेख भी अमरिकी रक्षामंत्री ने किया है|

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