जम्मू और कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा बहाल होने के संकेत – केंद्रीय वित्त मंत्री के सूचक बयान से माध्यमों में शुरू हुई चर्चा

नई दिल्ली – कर संकलन में ४२ प्रतिशत हिस्सा राज्यों को देने का वित्त आयोग ने पेश किया प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरी तरह से स्वीकार किया है। लेकिन, फिलहाल यह मात्रा ४१ प्रतिशत हैं। क्यों कि, जम्मू और कश्मीर अब राज्य नहीं रहें। लेकिन, जल्द ही स्थिति बदल सकती हैं, ऐसा बयान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने किया है। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा बहाल करने की तैयारी में होने के संकेत वित्त मंत्री सीतारामन के बयान से प्राप्त होने का दावा माध्यम कर रहे हैं। रणनीतिक नज़रिये से यह काफी अहम बात बनती है।

राज्य का दर्जाएक व्याख्यान के दौरान वित्त मंत्री सीतारामन ने यह सूचक बयान किया। इस वजह से केंद्र सरकार जल्द ही जम्मू और कश्मीर को राज्य का दर्ज़ा बहाल करेगी, ऐसी बड़ी चर्चा माध्यमों में शुरू हुई। धारा ३७० हटाकर जम्मू-कश्मीर को बहाल विशेष दर्जा केंद्र सरकार ने हटाया और इसके बाद जम्मू-कश्मीर समेत लद्दाख केंद्रीय प्रदेश बनाए गए। इसकी बड़ी गूंज सुनाई पड़ी थी। पाकिस्तान ने इसके विरोध में बयानबाज़ी शुरू करके दुष्प्रचार का अभियान भी चलाया था। चीन ने भी इसके विरोध में इशारें दिए थे। लेकिन, जम्मू और कश्मीर के साथ लद्दाख की जनता ने यह निर्णय स्वीकार किया और इसका स्वागत होता दिखाई दिया।

इसके बाद केंद्र सरकार अब जम्मू और कश्मीर को राज्य का दर्ज़ा बहाल करने की तैयारी में होने के संकेत दिए जा रहे हैं। पिछले वर्ष केंद्रीय गृह मंत्री अमित शहा ने डिलिमिटेशन यानी परिसिमन प्रक्रिया के बाद जम्मू और कश्मीर को फिर से राज्य का दर्ज़ा बहाल करने का ऐलान किया था। मतदार संघों की दोबारा रचना की जाती हैं और इसे परिसिमन डिलिमिटेशन कहा जाता हैं। जम्मू और कश्मीर में यह प्रक्रीया पूरी होने के बाद राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, ऐसा दावा केंद्रीय गृह मंत्री ने किया था।

फिलहाल केंद्रीय प्रदेश होने वाले जम्मू और कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा प्राप्त होने के बाद यहां की जनता को अधिक अच्छी तरह से राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त होगा। इससे यहां की राजनीतिक प्रक्रीया को बड़ा लाभ होगा। आजतक आतंकवाद की समस्या के कारण जम्मू और कश्मीर में यर राजनीतिक प्रक्रिया आगे बढ़ नहीं सकी थी।लेकिन, देश के सुरक्षा बलों ने आतंकी संगठनों की जड़े उखाड़ने के बाद यहां की स्थिति में बड़ा बदलाव हुआ हैं। साथ ही पूरे देश एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के निवेशक यहां निवेष करने के लिए रुचि दिखा रहे हैं।

ऐसी स्थिति में राज्य का दर्ज़ा पाने के बाद जम्मू और कश्मीर के विकास को प्रचंड़ गति प्राप्त होगी। केंद्र सरकार ने इसके लिए कदम उठाएँ दिख रहे हैं। अगले साल भारत में आयोजित हो रहीं ‘जी-२०’ परिषद की कुछ बैठकों का आयोजन जम्मू और कश्मीर में करने का ऐलान भारत ने किया हैं। इसपर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी। लेकिन, ‘जी-२०’ की सदस्य ना होने वाले पाकिस्तान की आपत्ति को थोड़ी भी कीमत नहीं। इसका अहसास होने पर पाकिस्तानी विश्लेषकों ने जम्मू और कश्मीर पर भारत की पकड़ अधिक मज़बूत होने का बयान करके इसपर अफसोस जताया था। इसके साथ ही आनेवाले समय में भारत ‘पीओके’ यानी फिलहाल पाकिस्तान के कब्ज़े में होने वाले कश्मीर का हिस्सा वापस पाएगा, ऐसी चेतावनी यह विश्लेषक दे रहे हैं।

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