कश्मीर के लिए दूत की नियुक्ती करनेपर ‘ओआईसी’ को भारत की फटकार

नई दिल्ली – कश्मीर के लिए स्वतंत्र दूत नियुक्त करने संबंधी ‘ऑर्गनाईजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन’ (ओआईसी) ने किए निर्णय पर भारत ने कडी आलोचना की है| जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है और इसका ‘ओआईसी’ के साथ किसी भी प्रकार का संबंध नही है, यह कहकर भारत के विदेश मंत्रालय ने इस निर्णय पर कडे शब्दों में फटकार लगाई है| इसके पहले भी अबू धाबी में हुई ‘ओआईसी’ की बैठक में कश्मीर संबंधी प्रस्ताव पारित किया गया था| यह प्रस्ताव भारत ने स्पष्ट शब्दों में ठुकराया था|

सौदी अरब के मक्का शहर में ‘ओआईसी’ की १४ वी बैठक हुई| इस दौरान कश्मीर समस्या पर चिंता व्यक्त करके ओआईसी ने विशेष दूत की नियुक्ती करने का ऐलान किया| अब इसपर भारत ने कडी नाराजगी व्यक्त की है और ‘ओआईसी’ और कश्मीर का कोई भी संबंध नही है, इस बात पर ध्यान आकर्षित किया है| भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रविश कुमार इन्होंने ‘ओआईसी’ ने पारित किया प्रस्ताव ठुकराया है|

कश्मीर सीर्फ भारत का ही अंग है और इसके बारे में निर्णय करने का अधिकार अन्य किसी को नही है, ऐसा रविश कुमार ने कहा है| साथ ही इस प्रस्ताव की पृष्ठभूमि की ओर भी रविश कुमार इन्होंने ध्यान केंद्रीत कराया| ‘ओआईसी’ में कुछ पाकिस्तान समर्थक सदस्य देश शामिल है| उनकी हरकतों की वजह से भी ‘ओआईसी’ में हमेशा कश्मीर संबंधी प्रस्ताव रखे जाते है| इसकी जरा भी अहमियत नही| क्यों की इससे परिस्थिति में बदलाव नही होता, यह फटकार रविश कुमार इन्होंने लगाई|

अगले दौर में ‘ओआईसी’ इस तरह के प्रस्ताव रखने से दूर रहे, यह सलाह भी भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दी है| वही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने ‘ओआईसी’ के इस प्रस्ताव का स्वागत किया है और यह कश्मीरी जनता के अधिकारों के लिए ‘ओआईसी’ ने दिया समर्थन होने का दावा किया है| इस दौरान पहले भी पाकिस्तान के दबाव में ‘ओआईसी’ ने कश्मीर संबंधी प्रस्ताव पारित किए थे| लेकिन, उसका किसी भी प्रकार का असर नही हो सका है|

सिर्फ पाकिस्तान को शांत करने के लिए ही इसका इस्तेमाल ‘ओआईसी’ कर रही है, यह स्पष्ट हुआ था| यूएई के अबू धाबी में हुई ‘ओआईसी’ की बैठक में उस समय भारत की विदेशमंत्री रही सुषमा स्वराज शामिल हुई थी| इस परीषद में भारत को न्यौता मिलने से पाकिस्तान ने बहिष्कार किया था| उसके बाद पाकिस्तान को मनाने के लिए ‘ओआईसी’ में कश्मीर संबंधी प्रस्ताव पारित किया गया| उस समय भी भारत ने इस प्रस्ताव पर आलोचना की थी|

‘ओआईसी’ के जरिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश पाकिस्तान ने पहले भी की थी| लेकिन, इस्लामधर्मिय देशों की इस संगठन में अधिकांश सदस्य देशों के साथ भारत के राजनयिक संबंध अच्छे है| इस वजह से पाकिस्तान अपनी कोशिश में हमेशा नाकामयाब होता है|

भारत का आर्थिक और राजनयिक प्रभाव में बढोतरी होते समय कश्मीर समस्या की ओर दुनिया में अन्य कोई भी देश ध्यान नही दे रहा है, यह तकरार पाकिस्तान लगातार करता है| फिर भी कश्मीर का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपस्थित करने की हरकतें पाकिस्तान ने अभी बंद नही की है| संयुक्त राष्ट्रसंघ एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय कश्मीर समस्या के लिए भारत को जिम्मेदार नही कहता और इस्लामी देश भी भारत की नाराजगी लेने के लिए तैयार नही है, यह आलोचना पाकिस्तान करता रहता है|

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