केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर के निवासी (डोमिसाईल) नियम में बड़े बदलाव

नयी दिल्ली/इस्लामाबाद – केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में एक अधिसूचना जारी कर नये डोमिसाईल नियम लागू किए हैं। इसके अनुसार जम्मू-कश्मीर में १५ वर्षे निवास किए अथवा ७ वर्ष पढ़ाई किए किसी भी व्यक्ति को इस केंद्रशासित प्रदेश का निवासी माना जायेगा। साथ ही, यहाँ से दसवीं और बारहवीं की परीक्षा देनेवालों को भी कश्मीर के निवासी होने का प्रमाणपत्र मिल सकेगा। इससे ये नागरिक यहाँ मालमत्ता ख़रीद सकते हैं। उसीके साथ, यहाँ की सरकारी नौकरियों में भी आरक्षण का लाभ उन्हें मिल सकेगा। पिछले साल अगस्त महीने में जम्मू-कश्मीर के लिए होनेवाला कलम ३७० हटाकर इस राज्य का विशेष दर्जा निकाल दिया गया था। उसके बाद यहाँ के निवासी क़ानून में बदलाव कर केंद्र सरकार ने यह एक और बड़ा निर्णय लिया है। केंद्र सरकार ने कश्मीर में लागू किये नये नियम पर पाकिस्तान से तीव्र प्रतिक्रिया आयी है।

केंद्र सरकार ने ३१ मार्च को जम्मू-कश्मीर इस केंद्रशासित प्रदेश के लिए निवासी प्रमाणपत्र के संदर्भ में गॅजेटरी अधिसूचना जारी की है। काढली इससे यहाँ के निवासी प्रमाणपत्र के संदर्भ में होनेवाले नियम बदल दिए गये हैं। जम्मू-कश्मीर में १५ साले से अधिक समय निवास किये हुए लोग अब इस राज्य के मूल निवासी होने का प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं। अखिल भारतीय सेवा, सार्वजनिक उपक्रम, सरकारी बँक और स्वायत्त संस्थाओं में नौकरी करते हुए, कश्मीर में १५ साल से अधिक समय तक निवास किए लोगों को इससे, यहाँ के निवासी होने का प्रमाणपत्र मिल सकता है। साथ ही, उनके बच्चों को भी यह अधिकार प्राप्त होगा। वैसे ही, यहाँ की शैक्षणिक संस्थाओं में ७ वर्ष पढ़ाई किए हुए और यहाँ से दसवीं तथा बारहवीं की परीक्षा दिए छात्र एवं अन्य लोग कश्मीर के निवासी प्रमाणपत्र के लिए अर्जी कर सकते हैं। इस प्रकार से निवासी प्रमाणपत्र प्राप्त हुए लोग यहाँ की चतुर्थ श्रेणी नौकरियों के आरक्षण के लिए भी पात्र साबित होंगे। जम्मू-कश्मीर में चतुर्थ श्रेणी की नौकरियाँ ये केवल इस केंद्रशासित प्रदेश के नागरिकों के लिए ही रिज़र्व्ड् हैं। इनमें ‘हवालदार’पद तक की नौकरियाँ शामिल हैं।

पिछले ६० साल जम्मू-कश्मीर राज्य को संविधान के कलम ३७० अंतर्गत विशेष राज्य का दर्ज़ा था। इसी कलम के अंतर्गत आनेवाले आर्टिकल ३५ए के तहत यहाँ पर ज़मीन ख़रीद के अधिकार और नौकरियों में आरक्षण केवल यहाँ के नागरिकों के लिए ही था। कलम ३७० हटाने के बाद आर्टिकल ३५ए भी ख़ारिज़ हुआ। वैसे ही जम्मू-काश्मीर राज्य का विभाजन अब दो स्वतंत्र केंद्रशासित प्रदेशों में हुआ। लद्दाख और जम्मू-काश्मीर ऐसे दो केंद्रशासित प्रदेशों का निर्माण हुआ। अब इस कलम को हटाने के आठ महीने बाद केंद्रशासन ने यहाँ के निवासी नियम में बड़े बदलाव किये हैं। इससे, यहाँ के निवासी होने का प्रमाणपत्र पाने के नियम काफ़ी शिथिल हुए हैं। इस बदले हुए नियम का लाभ यहाँ के तैनात पुलीस अधिकारियों को भी मिलेगा। कई अधिकारियों के बच्चों की शिक्षा यहाँ पर होकर भी नौकरी हासिल करने के लिए उन्हें बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।

इसी बीच, यहाँ की कुछ स्थानिक राजनीतिक पार्टियों ने इस बदले हुए नियम का विरोध किया है। यह नियम स्वीकारार्ह नहीं है; जब कोरोनावायरस के संकट से मुक़ाबला करने की ओर सारा ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, तब सरकार यह नय़ा डोमिसाईल क़ानून लायी है, ऐसी आलोचना इन पार्टियों से की गयी। पाकिस्तान से भी इस जम्मू-कश्मीर के नये निवासी प्रमाणपत्र संदर्भ के क़ानून पर कड़ी प्रतिक्रिया आयी है। पाकिस्तान भारत के इस कदम का विरोध करेगा। यह बदलाव ग़ैरक़ानूनी होकर आंतर्राष्ट्रीय क़ानून तथा जिनेव्हा समझौते का उल्लंघन होने की प्रतिक्रिया पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता आयेशा फारुखी ने दी है।

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