इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की मुख्य भूमिका – दक्षिण कोरिया का दावा 

सेऊल – मुक्त, शांत, समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए दक्षिण कोरिया ने अपनी नीति घोषित की है। इसके तहत, अपार क्षमता और समान मूल्य रहनेवाले भारत की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मुख्य भूमिका होगी, ऐसा दक्षिण कोरिया ने कहा है। इससे कुछ दिन पहले जापान ने भी, भारत यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की बड़ी ताक़त है, यह बताते हुए, इस क्षेत्र के भले के लिए भारत के साथ सहयोग बढ़ाने का ऐलान किया था। वहीं, कनाड़ा ने भी अपनी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र विषयक नीति घोषित करते समय, भारत के साथ के अपने सहयोग को विशेष महत्त्व दिया है। चीन से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संभव होनेवाले ख़तरे की पृष्ठभूमि पर, इन देशों ने भारत के साथ के सहयोग को दी यह अहमियत सामरिक विश्लेषकों का ध्यान आकर्षित कर रही है।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र‘स्ट्रॅटेजी फॉर अ फ्री, पीसफुल अँड प्रॉस्परस इंडो-पैसिफिक रिजन’ नामल तक़रीबन 43 पन्नों की रिपोर्ट दक्षिण कोरिया ने जारी की। इस प्रकार दक्षिण कोरिया ने पहली ही बार अपनी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र विषयक नीति की जानकारी देनेवाली रिपोर्ट जारी की है। इसमें इस क्षेत्र का बहुत ही महत्त्वपूर्ण देश होनेवाले चीन का कम से कम मात्रा में उल्लेख करके दक्षिण कोरिया ने बहुत चौकन्नी भूमिका अपनायी दिख रही है। लेकिन भारत यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का अपार क्षमता और दक्षिण कोरिया जैसे ही मूल्य रहनेवाला देश होने की बात स्पष्ट रूप में इस रिपोर्ट में की गई है। साथ ही, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका को मुख्य बताकर दक्षिण कोरिया ने, आनेवाले समय में भारत के साथ का सहयोग बढ़ाया जायेगा, ऐसा कहा है।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्रदक्षिण कोरिया के साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के अन्य देशों को चीन के वर्चस्ववादी क़ारनामों से ख़तरा संभव है। दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया द्वारा सर्वनाश की धमकियाँ दीं जाती हैं। उत्तर कोरिया की इस आक्रामकता के पीछे चीन का उक़साऊ समर्थन होने की बात बार बार सामने आयी थी। ऐसी स्थिति में, अपने सामने खड़े हुए ख़तरे का मूल चीन में होने का एहसास दक्षिण कोरिया को है और इसीलिए दक्षिण कोरिया ने अपनी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र विषयक नीति की घोषणा करते समय भारत के साथ के सहयोग को विशेष महत्त्व दिया हुआ दिख रहा है। ‘इस क्षेत्र में प्रमुख भूमिका होनेवाला देश’ ऐसा भारत का उल्लेख करके दक्षिण कोरिया ने यह संदेश दिया है कि उसकी नीतियों में, भारत के साथ के राजनीतिक तथा लष्करी स्तर पर के सहयोग को बहुत बड़ा महत्त्व होगा।

कुछ दिन पहले जापान ने भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र तथा अपनी सुरक्षा विषयक नीति की जानकारी देते समय, भारत के साथ के अपने देश के सहयोग के महत्त्व को अधोरेखांकित किया था। इस सागरी क्षेत्र में भारत के स्थान को ‘असाधारण’ बताकर जापान ने संकेत दिये थे कि चीन के वर्चस्ववादी कारनामों का विरोध करने के लिए वह भारत से सहयोग करेगा। उससे भी पहले, नवम्बर महीने में कनाडा ने अपनी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र विषयक नीति घोषित करके, कनाडा भारत के साथ के अपना सहयोग बढ़ायेगा, ऐसा ऐलान किया था।

ख़ासकर इंडोनेशिया के बाली में संपन्न हुई जी20 परिषद में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो के, चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के साथ तीव्र मतभेद होने की बात सामने आने के बाद, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग करने के लिए कनाडा ने की पहल ग़ौरतलब साबित हुई थी। चीन अधिक से अधिक मात्रा में अस्थिरता मचानेवाला देश साबित हो रहा है, वहीं, भारत कनाडा का अहम साझेदार देश बन चुका है, ऐसा दावा प्रधानमंत्री ट्रुडो ने किया था।

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