भारत चीन के विरोध में अमरीका से सहयोग नहीं करेगा – ग्लोबल टाईम्स ने जताया भरोसा

बीजिंग – लद्दाख की एलएसी पर भारतीय सेना ने चीन के लष्कर को झटका देने के बाद, भारत अमरीका के बलबूते पर यह कारनामें कर रहा होने के आरोप चीन ने ठोके थे। साथ ही, भारत ने अपनी विदेश नीति की आजादी गँवाकर, चीन के विरोध में अमरीका से सहयोग शुरू करने का होहल्ला चीन के सरकारी माध्यम मचा रहे थे। लेकिन अब भारत अपनी विदेश नीति की आजादी गँवाकर अमरीका से सहयोग नहीं करेगा, ऐसा भरोसा चीन को लगने लगा है। चीन का सरकारी मुखपत्र होने वाले ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने वैसा दावा किया है।

india-china-us-global-timesअमरीका के रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन भारत के दौरे पर आए थे। उससे पहले उन्होंने जापान, दक्षिण कोरिया इन देशों का दौरा किया। चीन का बढ़ता प्रभाव मद्देनजर रखकर अमरीका के रक्षा मंत्री ने इन देशों का दौरा किया होने का दावा ग्लोबल टाइम्स ने किया। लेकिन जापान और दक्षिण कोरिया की तरह, भारत अमरीका के चीनविरोधी मोरचे में सहभागी होने की संभावना नहीं है, ऐसा यक़ीन ग्लोबल टाइम ने हाल ही में जारी की अपनी खबर में दिलाया। इसके लिए इस अखबार ने भारतीय अभ्यासकों का हवाला दिया है। अमरिकी रक्षा मंत्री के जापान दौरे में, चीन से होनेवाले खतरे का ठेंठ ज़िक्र किया गया था। लेकिन रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन के भारत दौरे में चीन का ठेंठ जिक्र नहीं किया गया है, इसपर ग्लोबल टाइम्स ने गौर फरमाया।

इसका अर्थ, भारत अमरीका के चीन विरोधी मोरचे में सहभागी नहीं होगा ऐसा होता है, ऐसा ग्लोबल टाइम्स का कहना है। भारत की विदेश नीति स्वतंत्र होकर, जापान की तरह भारत को अपने पक्ष में मोड़ना अमरीका के लिए संभव नहीं होगा, ऐसा बताकर ग्लोबल टाइम्स ने अलग शब्दों में भारत की प्रशंसा की। जल्द ही भारत, रशिया, चीन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रिका इन देशों के ‘ब्रिक्स’ संगठन का आयोजन भारत में किया जानेवाला होने के संकेत मिल रहे हैं। उसके लिए चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने भारत को समर्थन दिया था। इस कारण भारत ने अमरिकी रक्षामंत्री के दौरे में चीन का नामोल्लेख करके विरोधी भूमिका अपनाना टाला, ऐसा भारतीय अभ्यासको का कहना है। उसकी ग्लोबल टाइम्स ने पुष्टि की।

कुछ हफ्ते पहले, ग्लोबल टाइम्स ने यह जोरदार आलोचना की थी कि भारत अपनी विदेश नीति की आजादी गँवा रहा है। लेकिन अब अचानक चीन के इस सरकारी मुखपत्र को भारत की विदेश नीति के बारे में बहुत ही आदर और विश्वास प्रतीत होने लगा है। इसका कारण, क्वाड के नेताओं की बैठक के बाद, चीन राजनीतिक दांवपेंचों का इस्तेमाल करके भारत को इस संगठन से दूर रखने की कोशिशें कर रहा होने के संकेत मिल रहे हैं। ‘ब्रिक्स’ संगठन का आयोजन भारत में करने के लिए चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने दिया समर्थन, चालाक योजना का भाग साबित होता है। उसी समय लद्दाख की एलएसी पर निर्माण हुए तनाव का बहुत बड़ा झटका चीन को लगा होकर, आनेवाले समय में भारत के विरोध में यदि चरमसीमा की भूमिका अपनाई, तो उसके आर्थिक झटके चीन को लगेंगे, इसका एहसास चीन को हुआ है। इसी कारण चीन अब कूटनीति का इस्तेमाल कर रहा है, ऐसा ग्लोबल टाइम्स के दावे से सामने आ रहा है।

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