भारतीय नौसेना का ‘टास्क फोर्स’ साऊथ चाइना सी में

नई दिल्ली – चीन दावा कर रहे ‘साऊथ चाइना सी’ क्षेत्र में भारत ने अपनी नौसेना का ‘टास्क फोर्स’ रवाना किया है। इस क्षेत्र के देशों के साथ सुरक्षाविषयक साझेदारी दृढ़ करने के लिए ‘ऍक्ट ईस्ट’ नीति के अनुसार यह फैसला किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी देने की बात बताई जाती है। इन दिनों इस सागरी क्षेत्र में अमरीका और ब्रिटेन की नौसेनाओं की तैनाती, यह चीन की चिंता का विषय बना है। उसी के साथ जर्मन नौसेना द्वारा भी इस क्षेत्र में तैनाती की जानेवाली है। इस पृष्ठभूमि पर, भारतीय युद्धपोतों का समावेश होनेवाले ‘टास्क फोर्स’ की साउथ चाइना सी में तैनाती, यह चीन को सबक सिखाने की योजना का भाग दिखाई दे रहा है।

Indian-navy-task-forceभारतीय नौसेना के इस टास्क फोर्स में ‘आयएनएस रणविजय’, ‘आयएनएस शिवालिक’, ‘आयएनएस कदमत’ और ‘आयएनएस कोरा’ इन युद्धपोतों का समावेश है। फिलीपींस, वियतनाम , सिंगापुर, इंडोनेशिया इन देशों के साथ ही ये युद्धपोत ऑस्ट्रेलिया की भी भेंट करेंगे। साथ ही, ये युद्धपोत मलाबार-२१ युद्धाभ्यास करनेवाले हैं। इस युद्धाभ्यास में अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का सहभाग होगा। इन दिनों साउथ चाइना सी क्षेत्र में गतिविधियाँ भारी मात्रा में तेज़ हुईं होकर, पश्चिमी देशों ने इस क्षेत्र पर दावा ठोकनेवाले चीन को नकेल डालने के लिए तेज़ी से कदम उठाना शुरू किया है। इसके लिए अमरिकी नौसेना की इंडो-पैसिफिक कमांड ने आक्रमक दाँवपेंचों का इस्तेमाल शुरू किया है।

कुछ महीने पहले फ्रांस का विमानवाहक युद्धपोत इस क्षेत्र में तैनात था। अब ब्रिटेन का विमानवाहक युद्धपोत ‘एचएमएस क्विन एलिझाबेथ’ अपने बेड़े के युद्धपोतों के साथ यहाँ गश्त कर रहा है। इसपर चीन ने जताया ऐतराज ब्रिटेन ने ठुकराया है। सितंबर-अक्तूबर महीने में जर्मन नौसेना का युद्धपोत इस क्षेत्र में आयेगा, ऐसी खबर है। इस पृष्ठभूमि पर, भारतीय नौसेना के टास्क फोर्स की साऊथ चाइना सी क्षेत्र में तैनाती, चीन की चिंता बढ़ानेवाली साबित हो सकती है।

इससे पहले हिंद महासागर क्षेत्र में बने भारत के नैसर्गिक प्रभाव को चुनौती देनेवाले चीन को जवाब देने के लिए भारत साउथ चाइना सी क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाएँ, ऐसी सलाह विश्लेषकों द्वारा दी जा रही थी। भारतीय नौसेना के पास बहुत क्षमता है और चीन की दहशत में होनेवाले साउथ चाइना सी क्षेत्र के देश भी भारत की ओर बड़ी उम्मीद के साथ देख रहे हैं, ऐसा इन विश्लेषकों का कहना है।

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