भारतीय नौसेना चीन को प्रत्युत्तर देने के लिए सिद्ध – नौसेनाप्रमुख ऍडमिरल करमबिर सिंग

नई दिल्ली – ‘कोविड-१९’ और चीन, ऐसीं दोनों चुनौतियों का मुक़ाबला करने के लिए भारतीय नौसेना सिद्ध है, ऐसा नौसेनाप्रमुख ऍडमिरल करमबिर सिंग ने कहा है। हिंद महासागर क्षेत्र में यदि चीन ने कुछ हरक़त की ही, तो उसे जवाब देने की पूरी तैयारी नौसेना ने की है। चीन को प्रत्युत्तर देने की निश्‍चित योजना नौसेना के पास तैयार है, ऐसा नौसेनाप्रमुख ने जताया। नौसेनाप्रमुख के ये बयान यानी भारत ने चीन को दी एक और कड़ी चेतावनी होने की बात दिख रई है।

करमबिर सिंग

लद्दाख के पँगॉंग सरोवर क्षेत्र में नौसेना का ‘मार्कोस’ पथक तैनात किया गया है। साथ ही, इस पथक के लिए नौसेना की विशेष बोटें भी रवाना की गयीं हैं। उसके बाद चीन ने, इस क्षेत्र में हमला करने की क्षमता होनेवालीं बोटों की तैनाती की होने की ख़बरें जारी हुईं थीं। इस पृष्ठभूमि पर, नौसेनाप्रमुख ऍडमिरल करमबिर सिंग ने भारतीय नौसेना की चीनविरोधी सिद्धता की जानकारी खुली की होकर, यह ग़ौरतलब बात साबित होती है। लष्कर तथा वायुसेना के साथ भारतीय नौसेना ने भी ईशान्य की सरहद की रक्षा के लिए अपने बेड़े के ‘पी-८आय’ गश्ती विमान तथा हेरॉन ड्रोन्स की तैनाती की होने की जानकारी नौसेनाप्रमुख ने साझा की।

इसीके साथ, हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की गतिविधियों पर नौदल ने कड़ी नज़र रखी है, इसका भी एहसास ऍडमिरल करमबिर सिंग ने करा दिया। समुद्री लुटेरेंविरोधी कार्रवाई के लिए सन २००८ से चीन के लगभग तीन युद्धपोत हिंद महासागर क्षेत्र में हमेशा तैनात किये जाते हैं। वहीं, संशोधन के लिए भी चीन के जहाज़ हिंद महासागर क्षेत्र में विचरण करते हैं। नौसेना उनपर कड़ी नज़र रखे हुए है। चीन से किसी भी प्रकार की हरक़त की गयी, तो उसका किस तरह से जवाब देना है, इसकी पक्की तैयारी नौसेना ने पहले से ही कर रखी होकर, इस संदर्भ में मानक कार्यप्रणालि भी तैयार है, ऐसे सूचक शब्दों में नौसेनाप्रमुख ने चीन को संदेश दिया।

भारतीय नौसेना अपनी क्षमता में लगातार बढ़ोतरी कर रही है। नौसेना के लिए बनायीं जानेवालीं ४३ में से ४१ युद्धपोत और पनडुब्बियों का देशांतर्गत निर्माण हो रहा है। इनमें विमानवाहक युद्धपोत का भी समावेश है, ऐसा नौसेनाप्रमुख ने कहा है। ड्रोन हमलों के विरोध में नौदल ने ‘स्मॅश-२०००’ रायफलें प्राप्त करने की तैयारी की होकर, अधिक क्षमतावाले तक़रीबन ३० प्रिडेटर ड्रोन्स तीनों रक्षादलों को मिलें, इसलिए गतिविधियाँ शुरू हुईं हैं, ऐसा जानकारी नौसेनाप्रमुख ने दी।

नौसेना इस प्रकार अपनी क्षमता बढ़ा रही है; ऐसे में नौसेना के पास हवाई मारक क्षमता होना बहुत महत्त्वपूर्ण साबित होती है। भारत जब पाच ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तब यदि उसे अपने ही क़िनारों तक सीमित नहीं रहना है, तो विमानवाहक युद्धपोत के अलावा और कोई चारा ही नहीं है, ऐसा कहते हुए नौसेनाप्रमुख ने अपनी भूमिका स्पष्ट की।

इसी बीच, नौसेनाप्रमुख ऍडमिरल करमबिर सिंग ने चीन को ठेंठ चेतावनी देने के एक दिन पहले व्हाईस ऍडमिरल ए. के. चावला ने भी, नौसेना की सिद्धता के कारण चीन की हिंद महासागर क्षेत्र में दुःस्साहस करने की हिम्मत नहीं हुई है, ऐसा कहा था। अब नौसेनाप्रमुख द्वारा चीन को दी गयी चेतावनी भारत की आक्रमक भूमिका स्पष्ट कर रही है। लद्दाख की ‘एलएसी’ पर चीन नयी तैनाती कर रहा होकर, हिंद महासागर क्षेत्र में भी चीन ने भारत के विरोध में गतिविधियाँ चालू की हैं, ऐसे संकेत मिल रहे थे। लेकिन मलाक्का की खाड़ी में भारत का नियंत्रण होकर, किसी भी पल भारत मलाक्का की खाड़ी से होनेवाली चीन की मालडुलाई रोक सकता है, इसका एहसास चीन को भारत द्वारा करा दिया जा रहा है।

लगातार दो दिन भारत चीन को अपनी नौसेना की सिद्धता को लेकर चेतावनी दे रहा है। उसी समय, भारतीय नौसेना द्वारा युद्धपोतभेदी क्षेपणास्त्रों के तथा पनडुब्बीभेदी टॉर्पिडोज़् के भी परीक्षण किये हैं। इसके ज़रिये भारत अपनी क्षमता और सामर्थ्य का प्रदर्शन कर रहा है।

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